नई दिल्ली: आज हम उस जहर की बात करेंगे जो आपकी आंख और कान से होते हुए दिमाग में उतारा जा रहा है. ज्यादा टीआरपी पाने के लिए खबरों से खिलवाड़ तो होता ही था, लेकिन अब उस मीटर से भी छेड़छाड़ होने लगी है, जिससे पता चलता है कि किसी चैनल की टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट यानी TRP क्या है. मतलब यह कि उस चैनल को कितने लोग देखते हैं?


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8 अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया था कि चैनलों की जो रेटिंग होती है उसमें घोटाला चल रहा है. इस मामले में रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनलों का नाम सामने आया था. बाद में यह बात सामने आई कि इस मामले की शिकायत में इंडिया टुडे टीवी का नाम है. लेकिन मुंबई पुलिस ने उसका नाम नहीं बताया. कल 9 अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने इस बारे में स्पष्टीकरण दिया है.


इसमें कहा गया है, 'हमें मिली शिकायत में इंडिया टुडे टीवी का नाम लिया गया था. जब हमने FIR दर्ज करके जांच शुरू की तो उस चैनल के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला. लेकिन जांच के दौरान हमें रिपब्लिक टीवी के साथ दो और चैनल बॉक्स सिनेमा और फक्त मराठी यानी कुल मिलाकर तीन चैनलों के खिलाफ सबूत मिले. बॉक्स सिनेमा और फक्त मराठी चैनल से जुड़े दो लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है जबकि तीसरे चैनल यानी रिपब्लिक टीवी को लेकर आगे की जांच जारी है.'



सच का अपना-अपना संस्करण
TRP घोटाले की इस खबर में जितने भी पक्ष हैं सबके अपने-अपने दावे हैं. लेकिन हर कोई सच का अपना-अपना संस्करण सुना रहा है. हर कोई एक-दूसरे को दोषी बताने में जुटा है. इस सबके बीच तथ्य और सत्य कहीं दबकर रह गए हैं.


अब हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताते हैं, जिसका दावा है कि TRP रैकेट के लोगों ने उससे भी संपर्क किया था और कहा था कि अगर वो रोज शाम को रिपब्लिक टीवी देखेगा तो बदले में 400 रुपये हर महीने मिलेंगे. साथ ही बिजली के बिल की भरपाई की बात भी कही गई. इस व्यक्ति ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर पूरी कहानी हमें बताई. उसने बताया कि शुरू में मैंने TRP का बैरोमीटर अपने घर में लगवा लिया था, लेकिन बाद में मैंने उसे हटाने को कह दिया.


अब आपको समझाते हैं कि कुछ लोगों के एक खास चैनल देर तक देखने से उस चैनल की TRP कैसे बढ़ जाती है? इस बात को समझने के लिए आपको इस पूरे कारोबार को जानना होगा.


- टेलीविजन चैनलों की रेटिंग पता करने के लिए Broadcast Audience Research Council यानी BARC ने देशभर में 44 हजार घरों में टेलीविजन के सेट टॉप बॉक्स के साथ एक मशीन लगा रखी है, जिसे बैरोमीटर कहते हैं. इससे यह पता चल जाता है कि कोई व्यक्ति कितनी देर तक कौन सा चैनल देख रहा है.


- ये बैरोमीटर जिन 44 हजार घरों में लगे हैं उनके कुल सदस्यों की संख्या 1 लाख 80 हजार के लगभग है.


- टेलीविजन विज्ञापनों का सालाना कारोबार 32 हजार करोड़ रुपये का है. इसे अगर हम 1 लाख 80 हजार से बाटें, एक व्यक्ति जो TRP मीटर वाला टीवी देख रहा है उसकी पसंद-नापसंद की कीमत 17 लाख, 77 हजार, 777 रुपये है.


अब आप कल्पना कर सकते हैं कि जो व्यक्ति 400 से 500 रुपये में कोई खास चैनल चलाने को तैयार हो जाता है वो 17 लाख 77 हजार 777 रुपये के विज्ञापन कारोबार को प्रभावित करता है. यानी जो लोग 400 या 500 रुपये में बिक जाते हैं उन्हें खुद भी नहीं पता होगा कि वो जो कर रहे हैं उसका कुछ लोग कितना बड़ा फायदा उठा रहे हैं.


TRP का फॉर्मूला
यहां पर आपको TRP का फॉर्मूला भी समझना चाहिए. आपने अपने घर में भी देखा होगा कि आमतौर पर जो परिवार का मुखिया होता है वो सबसे ज्यादा न्यूज़ चैनल देखता है. नौजवान और छात्र अक्सर स्पोर्ट्स चैनल देखते हैं. बच्चे किड्स चैनल देखते हैं और परिवार की महिलाएं अधिकतर एंटरटेनमेंट चैनल देखना पसंद करती हैं. यानी न्यूज चैनल देखने वाले अधिकतर पुरुष होते हैं. यही कारण है कि आज जो भी न्यूज़ चैनल आप देखते हैं, वो सभी पुरुष प्रधान हैं. जो कंटेंट आपको दिखाया जाता है वो भी पुरुषों की पसंद को ध्यान में रखकर बनाया जाता है. जो कार्यक्रम बनते हैं वो भी पुरुषों के हिसाब से होते हैं. इस कारण ऐसी स्थिति बन चुकी है कि अगर आप कोई न्यूज चैनल अपने परिवार के बच्चों के साथ बैठकर देखना चाहें तो नहीं देख सकते. क्योंकि जिस तरह चिल्ला-चिल्लाकर और नाच-गाकर खबरें दिखाई जा रही हैं, उसे कोई भी अपने बच्चों को नहीं दिखाना चाहेगा. ज़ी न्यूज़ पर हम हमेशा इस बात का ध्यान रखते हैं. हमारे लिए टीआरपी नहीं, वो कहानियां जरूरी हैं जो हर परिवार और हर घर को रिश्तों की गर्माहट देती हैं.


खबरों में झूठ की मिलावट
ज़ी न्यूज़ पर हमारी कोशिश हमेशा यही रहती है कि आप समाचार भी पूरे परिवार के साथ बैठकर देख सकें. जो खबरें दिखाई जाएं वो ऐसी न हों कि उनका बच्चों के संस्कार पर बुरा असर पड़ता हो. खबरों में झूठ की कोई मिलावट न हो जिसका आपके विचारों और व्यवहार पर बुरा असर पड़ता हो. इसी कारण हमने टीआरपी घोटाले के बारे में सभी वर्गों से बात करने की कोशिश की और उनसे ही जानना चाहा कि वो अपनी पसंद और नापसंद के साथ हो रही इस हैकिंग के बारे में क्या सोचते हैं.


TRP घोटाले की पड़ताल के दौरान हमें एक ऐसा व्यक्ति भी मिला जिसे बॉक्स सिनेमा नाम के चैनल को लगाकर रखने को कहा गया था. उसे इसके बदले में हर महीने गूगल पे पर भुगतान किया जाता था. 


ज़ी न्यूज़ पर हमारी कोशिश हमेशा यही रहती है कि आप समाचार भी पूरे परिवार के साथ बैठकर देख सकें. जो खबरें दिखाई जाएं वो ऐसी न हों कि उनका बच्चों के संस्कार पर बुरा असर पड़ता हो. खबरों में झूठ की कोई मिलावट न हो जिसका आपके विचारों और व्यवहार पर बुरा असर पड़ता हो. इसी कारण हमने टीआरपी घोटाले के बारे में सभी वर्गों से बात करने की कोशिश की और उनसे ही जानना चाहा कि वो अपनी पसंद और नापसंद के साथ हो रही इस हैकिंग के बारे में क्या सोचते हैं.