नई दिल्ली: नोएडा की एक हाउसिंग सोसायटी में हत्यारे आए और बड़े आराम से दो लोगों की हत्या करके निकल गए. अगर आप ये समझते हैं कि सोसायटी के गेट पर गार्ड खड़े हैं और आप सुरक्षित हैं तो आपको अपनी राय बदल लेनी चाहिए.


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संभव है कि आपकी सोसायटी के गेट पर सिक्योरिटी गार्ड्स हों, CCTV कैमरा लगा हुआ हो और वहां मौजूद गार्ड्स आने वाले हर व्यक्ति से जानकारी भी रिकॉर्ड करते हों. लेकिन इन सभी इंतजामों के बावजूद क्या आप और आपका परिवार वहां पर सुरक्षित हैं? और आज हम भारत की इस बड़ी समस्या की तरफ आपका ध्यान खींचना चाहते हैं.


7 सितंबर को नोएडा एक्सटेंशन की एक पॉश सोसायटी में दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई. रात को लगभग साढ़े 9 बजे इस सोसायटी की पार्किंग में एक कार में ये दोनों व्यक्ति बैठे हुए थे और जिन लोगों ने इन पर हमला किया वो फायरिंग करने के बाद आसानी से भाग गए. आप इस समय उसी घटना का सीसीटीवी वीडियो देख रहे हैं. बताया जा रहा है कि वहां मौजूद सोसायटी के सिक्योरिटी गार्ड्स ने भी आरोपियों को पकड़ने की कोशिश नहीं की. यानी जिन गार्ड्स पर वहां रहने वाले लोगों की सुरक्षा का जिम्मा था वो खुद अपनी जान बचाने में लगे हुए थे.


सोसायटी में मौजूद सिक्योरिटी गार्ड्स आपकी रक्षा कर पाएंगे?
आपको खुद से ये सवाल पूछना चाहिए कि आपकी सोसायटी में ऐसी कोई घटना हो तो क्या आप और आपका परिवार सुरक्षित रहेंगे? क्या आपकी सोसायटी या टावर में मौजूद सिक्योरिटी गार्ड्स आपकी रक्षा कर पाएंगे? इन सवालों को सोच कर ही आप परेशान हो गए होंगे. क्योंकि ये समस्या सिर्फ दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और आस-पास के इलाकों की नहीं है. ये समस्या सिर्फ इन शहरों की नहीं है, बल्कि पूरे देश की है.


अब आप इन सोसायटीज में रहनेवाले लोगों के बारे में सोचिए. ऐसे भी कई लोग होते हैं जो अपना घर बेचकर सोसायटी में फ्लैट लेते हैं. उन्हें लगता है कि सोसायटी में सुरक्षा के अच्छे इंतजाम होते हैं, इसलिए वो और उनका परिवार सुरक्षित रहेंगे. यानी सोसायटीज में रहने के लिए लोग लाखों रुपए खर्च करके फ्लैट खरीदते या फिर किराये पर लेते हैं और हर महीने हजारों रुपए का मेनटेनेंस चार्ज भी देते हैं. लेकिन इसके बाद भी उन्हें पूरी सुरक्षा नहीं मिलती है.


 400 हाउसिंग सोसायटीज पर सर्वे
संभव है कि आपकी सोसायटी में आपसे मिलने के लिए आने वाले हर शख्स की पहचान तय की जाती हो. लेकिन क्या सोसायटी के गेट पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड्स किसी अपराधी को अंदर आने से रोक सकते हैं? हो सकता है सोसायटी में सुरक्षा के लिए CCTV कैमरे भी लगे हों. लेकिन वहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड्स क्या ध्यान से CCTV कैमरे की तस्वीरों की निगरानी करते हैं?


जब भी आप कोई फ्लैट खरीदने या किराए पर लेने के लिए जाते हैं तो आपको वहां पर सुरक्षा के इंतजाम जरूर दिखाए जाते हैं. बिल्डर या प्रॉपर्टी डीलर दावा करता है कि इस सोसायटी में आपको 24 घंटे सिक्योरिटी मिलेगी. आपको बताया जाता है कि दिन हो या रात सोसायटी के गेट और आप जिस टावर में रहते हैं वहां पर कोई ना कोई गार्ड जरूर मौजूद होगा. लेकिन अक्सर सोसायटीज में शिफ्ट करने के बाद आपको सच्चाई का पता चलता है.


वर्ष 2018 में पुणे की 400 हाउसिंग सोसायटीज में एक सर्वे किया गया. इस सर्वे से पता चला कि वहां पर 60 प्रतिशत से अधिक गार्ड्स ड्यूटी के दौरान नींद ले रहे थे. हालांकि ज्यादातर जगहों पर आपने भी ऐसा देखा होगा.


 सुरक्षा में हो रही मिलावट
अगर आप चाहें तो आज रात अपनी सोसायटी या कॉलोनी में सुरक्षा की जांच कर सकते हैं. इससे आपको ये जानकारी मिल जाएगी कि आप अपने घर में कितने सुरक्षित हैं.


ये खबर आपकी और आपके परिवार की सुरक्षा में हो रही मिलावट से जुड़ी हुई है. इसलिए इस मिलावट को रोकना बहुत जरूरी है. 


नोएडा एक्सटेंशन की एक पॉश सोसाइटी में दाखिल होकर दो लोगों को गोली मार दी गई. उसके बाद से सोसायटी के लोग गुस्से में हैं.


इस सोसायटी में रहने के बदले हर महीने औसतन 3000 रुपए मेंटेनेंस चार्ज  लिया जाता है. 2000 फ्लैट से 3 हजार रूपये महीने के हिसाब से 60 लाख रुपए जमा होते हैं. इसके बदले बिल्डर स्विमिंग पूल, क्लब और 24 घंटे सिक्योरिटी देने का वादा ​किया जाता है. लेकिन सोसायटी के अंदर हुए मर्डर के बाद से यहां हर किसी को अपनी जान का डर सता रहा है. ये हाल लगभग हर जगह है. सोसायटी की सुरक्षा को ठेंगा दिखाकर अंदर घुसना बहुत आसान है. वारदात से 200 मीटर दूर ही हम ऐसी ही एक और सोसायटी में आराम से दाखिल हो गये.


ट्रेनिंग के नाम पर बस पीटी करवाई जाती है
देश में ज्यादातर हाउसिंग सोसायटीज में ऐसी ही कामचलाऊ सुरक्षा मिलती है. जिसमें आप सिक्योरिटी गार्ड्स के बदले भगवान भरोसे रहते हैं. सिर्फ 8 से 10 हजार रुपये महीने की सैलरी में हर रोज 12 घंटे की ड्यूटी कर रहे सिक्योरिटी गार्ड्स खुद बेबस हैं. ट्रेनिंग के नाम पर हर दिन सुबह 5 मिनट की पीटी होती है. वही पीटी जो आपने भी प्राइमरी क्लास में जरूर की होगी.


कोई सुरक्षाकर्मी कुर्सी पर ही पूरा दिन बिता देता है. कई सिक्योरिटी गार्ड्स मोटापे के शिकार हैं और जरूरत पड़ने पर वो खुद की सुरक्षा भी नहीं कर पाएंगे. सिक्योरिटी एजेंसी चलाने वाले कहते हैं कि सोसायटी को कम पैसों में सिक्योरिटी गार्ड चाहिए और कम बजट में सुरक्षा का सिर्फ दिखावा ही किया जा सकता है.


नोएडा एक्सटेंशन की एक सोसायटी में हुई घटना ने एक बार फिर ये बता दिया है कि विला, बंगला, पेंट हाउस और चाहे जिस भी नाम से बिल्डर आपको सुरक्षित घर का सपना दिखा रहा हो. लेकिन इन सोसायटीज में हर महीने मेंटेनेंस चार्ज देने के बावजूद आपकी सुरक्षा के साथ बड़ा धोखा हो रहा है.


आपकी सोसायटी में सुरक्षा के लिए जो सिक्योरिटी गार्ड्स रखे गए हैं, उनका काम आपको और आपके परिवार को सुरक्षित रखना है. एक तरह से ये आपके घर की सुरक्षा का सबसे पहला घेरा होता है. लेकिन सुरक्षा का ये घेरा अक्सर कमज़ोर दिखाई देता है.


सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलेगी
असल में कुछ प्राइवेट कंपनियों ने सुरक्षा के इस काम को सिर्फ बिजनेस बना दिया है. ये अपने सिक्योरिटी गार्ड्स को कोई ट्रेनिंग नहीं देती हैं. यानी ऐसी कंपनियां सिक्योरिटी गार्ड्स को सिर्फ अपने ब्रांड नेम की वर्दी पहना देती हैं. ऐसे सिक्योरिटी गार्ड्स आपको सुरक्षा का आभास तो दे सकते हैं. लेकिन इनसे आपको सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलेगी.


-भारत में करीब 16 हजार सिक्योरिटी एजेंसियां हैं और प्राइवेट सुरक्षा का बाजार करीब 80 हजार करोड़ रुपए का है. वर्ष 2022 तक ये करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है.


- अभी इस इंडस्ट्री में लगभग 90 लाख लोगों को रोजगार मिलता है और उम्मीद है कि वर्ष 2022 तक 1 करोड़ 20 लाख लोगों को इस इंडस्ट्री में काम मिलेगा.


- बड़ी इंडस्ट्री होने के बावजूद सिक्योरिटी गार्ड्स की हालत दयनीय है. देश के कई शहरों में इनकी सैलरी प्रति माह सिर्फ 8 हजार रुपए है. हालांकि दिल्ली में काम करने वाले सिक्योरिटी गार्ड्स को औसतन 16 हजार रुपए की सैलरी मिलती है.


- इनके काम के घंटे कभी तय नहीं होते. अक्सर इनकी ड्यूटी 12 घंटे से लेकर 15 घंटे तक चलती है. ड्यूटी के दौरान इन्हें लंच या कोई ब्रेक नहीं मिलता है.


साल के 365 दिन काम
इन सिक्योरिटी गार्ड्स को वीकली ऑफ भी नहीं मिलता है. अगर आपको यकीन न हो तो आप अपने दफ्तर, अपनी सोसायटी या अपार्टमेंट के गार्ड से पूछिएगा कि उसे अंतिम बार वीकली ऑफ कब मिला था और बड़ी से बड़ी सिक्योरिटी एजेंसी में भी इन्हें साल के 365 दिन काम करना पड़ता है. कई बार सिक्योरिटी एजेंसियां, सिक्योरिटी गार्ड्स के लिए मिलने वाला आधा पैसा खुद ही रख लेती हैं. यानी लगातार इन गार्ड्स का शोषण होता है.


- National Skill Development Corporation यानी NSDC की रिपोर्ट एक रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर सिक्योरिटी गार्ड्स बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और असम जैसे राज्यों से आते हैं.


- सिक्योरिटी एजेंसियों में ज्यादातर सेना या अर्धसैनिक बलों से रिटायर हो चुके सुरक्षाकर्मी होते हैं. बेरोजगार युवा भी नौकरी की तलाश में अक्सर सिक्योरिटी गार्ड बन जाते हैं.


- वर्ष 2005 में Private Security Agencies Act बनाया गया था. जिसमें रजिस्टर्ड सिक्योरिटी एजेंसियों के लिए अपने सिक्योरिटी गार्ड्स को ट्रेनिंग देना अनिवार्य है.


- हर एक सिक्योरिटी एजेंसी की कोशिश होती है कि वो अपने गार्ड्स को कम से कम पैसे दे. इसलिए ज्यादातर एजेंसियों में प्रशिक्षित गार्ड्स की संख्या कम होती है. ये एजेंसियां ऐसे लोगों को रखती है जिन्हें सुरक्षा के बारे में बहुत कम जानकारी होती है. यानी जैसे झोलाछाप डॉक्टर होते हैं, उसी प्रकार बिना ट्रेनिंग वाले ये नकली गार्ड हैं.


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