नई दिल्ली: एक तरफ भारत ने LAC पर चीन के अतिक्रमण का जवाब दिया तो दूसरी तरफ डिजिटल दुनिया में चीन के अतिक्रमण पर भी भारत ने स्ट्राइक की है. भारत ने चीन के 118 Mobile Phone Applications पर बैन लगा दिया है. जिन एप्स पर रोक लगी है, उनमें PubG, Super Cleaner, Hide App और WeChat भी शामिल हैं. ज्यादातर एप्स ऐसे हैं जिनको भारत में लाखों-करोड़ों की संख्या में लोग इस्तेमाल करते हैं.


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हाल में सीमा पर जिस तरह से भारत और चीन के रिश्ते बिगड़े हैं उसके बाद से ये चीन के खिलाफ भारत की सबसे बड़ी कार्रवाई है. चाइनीज एप्स को बैन करने की ये तीसरी किस्त है. इससे पहले इसी वर्ष जून में 59 और जुलाई में 47 एप्स पर पाबंदी लगाई गई थी. अब भारत में चीन के कुल 224 एप्स बैन किए जा चुके हैं.


PUBG के दुनिया में 56 करोड़ यूजर
भारत ने चीन के 118 एप्स को बैन किया है. भारत सरकार के अनुसार ये तमाम एप्स देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा बन चुके थे. इनसे भारत के करोड़ों यूजर्स का गोपनीय डाटा लगातार देश से बाहर जा रहा था. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चीन से रिश्ते नहीं बिगड़ते तब भी इन एप्स को भारत में ऑपरेट करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी.


एक आकलन के मुताबिक चीन के ये एप्स दुनियाभर से जो कमाई करते हैं, उसका औसतन 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा भारत से जाता है. उदाहरण के लिए PUBG के दुनिया में 56 करोड़ यूजर हैं, जिनमें से 17 करोड़ अकेले भारत में हैं. ​यानी PUBG इस्तेमाल करने वाला हर तीसरा व्यक्ति भारतीय है. PUBG ने इस साल जुलाई तक दुनिया भर में 22 हजार करोड़ से ज्यादा का बिजनेस किया था और इसमें भारत के यूजर्स का बड़ा हिस्सा है. ये सिर्फ भारत में चाइनीज एप्स की कमाई का एक उदाहरण है. लेकिन अब भारत के बाजार से चीन के इन एप्स की विदाई हो जाने के बाद भारत से हजारों करोड़ रुपये कमाने का चीन का ये सपना अधूरा रह जाएगा.


परमाणु बम या मिसाइलों की जरूरत नहीं 
चीन के कानून के मुताबिक सभी कंपनियों को वहां की सरकार के साथ डेटा शेयर करना होता है. यानी आपका प्राइवेट डेटा चीन की सरकार के हाथ भी लग सकता है और जैसा कि हम DNA में आपको कई बार बता चुके हैं कि आने वाले जमाने में वही देश-दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बन पाएगा. जिसके पास सबसे ज्यादा डेटा होगा. अब युद्ध जीतने के लिए परमाणु बम या मिसाइलों की जरूरत नहीं है, बल्कि सिर्फ आपके डेटा का इस्तेमाल करके भी किसी देश को घुटने टेकने पर मजबूर किया जा सकता है.


भारत के मोबाइल ऐप मार्केट में चाइनीज एप्स की घुसपैठ पिछले कुछ वर्षों में बहुत बढ़ गई थी. हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.


मोबाइल ऐप डाउनलोड्स के मामले में 2017 में टॉप 100 एप्स में सिर्फ 18 चाइनीज ऐप थे, लेकिन 2018 में टॉप 100 एप्स में चाइनीज ऐप बढ़कर 44 हो गए. हालांकि इस वर्ष 224 चाइनीज ऐप पर बैन लगने के बाद इन आंकड़ों में बदलाव आ सकता है.


PUBG जैसा गेम खेलने वाले भारतीयों की संख्या 17 करोड़ से भी ज्यादा
भारत में सबसे लोकप्रिय चाइनीज एप्स में PUBG शामिल है. मोबाइल फोन पर PUBG जैसा गेम खेलने वाले भारतीयों की संख्या 17 करोड़ से भी ज्यादा है. इस बात की भी पूरी संभावना है कि आप या आपके परिवार का कोई न कोई सदस्य PUBG जरूर खेलता होगा. इस पर अब प्रतिबंध लग गया है और आपको गेमिंग की लत लगाने वाला PUBG भी, एक चाइनीज कंपनी टेसेंट (Tencent) और दक्षिण कोरिया की कंपनी ब्लूहोल (Bluehole) द्वारा संचालित है.


चीन के सोशल मीडिया ऐप, टैनटन (Tantan) पर भी प्रतिबंध लग गया है. वर्ष 2021 तक भारत में इस ऐप के यूजर्स की संख्या 20 करोड़ होने की संभावना थी और ये एप एक चाइनीज कंपनी मोमो का है.


सुपर क्लीनर एप का इस्तेमाल भी भारत में बहुत होता है. ये ऐप आपके मोबाइल फोन की स्पीड बढ़ाने का दावा करता है. भारत में 9 करोड़ से ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. इस ऐप पर भी भारत में प्रतिबंध लग गया है.


इसी तरह यू डिक्शनरी, अंग्रेजी शब्दों का मतलब बताने वाला लोकप्रिय ऐप है. ये ऐप भारत की 15 भाषाओं में काम करता है. भारत में इसके 6 करोड़ यूजर हैं और इस पर भी अब प्रतिबंध लग गया है.


ऐसा नहीं है कि चीन के सिर्फ मोबाइल फोन एप्स ही यूजर्स की प्राइवेसी और सुरक्षा को खतरे में डालते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक मेड इन चाइना मोबाइल फोन के जरिये भी चीन, लोगों की जासूसी करता है. चीन की मोबाइल फोन निर्माता कंपनी XIAOMI पर आरोप लगते हैं कि वो दुनियाभर में अपने यूजर्स का डेटा गुप्त तरीके से चीन भेजती है.​


स्वदेशी भावना से जोड़ेंगे ये भारतीय ऐप 
इस खबर को देखने के बाद आपके बच्चे भी परेशान हो रहे होंगे, लेकिन हम आपको बता दें कि चीन के जो भी ऐप बैन किए गए हैं, उनके भारतीय विकल्प आपके पास मौजूद हैं. आप और आपके बच्चों का कोई पसंदीदा ऐप भी बैन हो गया है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है.


भारत ने जब Tik Tok समेत चीन के कई एप्स पर पाबंदी लगाई थी. तब हमने बताया था कि आप किन प्लेटफॉर्म्स पर अपनी कला का प्रदर्शन कर सकते हैं. आपको बता दें कि भारत में निर्मित App Talkiz तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. ये ऐप न सिर्फ अपनी कला दिखाने का मंच दे रहा है बल्कि आपको स्वदेशी की भावना के साथ भी जोड़ रहा है.


-चीन के UC Browser के विकल्प के तौर पर भारत Browser नाम से सर्च इंजन मौजूद है. इस ऐप को बेंगलुरु के स्टार्टअप Blue Sky Invention ने बनाया है.


-चीन का Scanner App बैन होने के बाद Bharat Scanner App को डाउनलोड कर सकते हैं.


-Bharat Scanner App को इसी वर्ष जुलाई में चीन के Cam Scanner के विकल्प के तौर पर लॉन्च किया गया था.


-इस ऐप की मदद से आप कागजों को आसानी से स्कैन कर सकते हैं. इसके अलावा आपको इस ऐप में फिल्टर से लेकर PDF फॉर्मेट में फाइल बनाने की सुविधा मिलेगी.


-Ludo all star की जगह Indian Ludo को आजमा सकते हैं. चीन की Gaming App, PUBG का बेहतर विकल्प हो सकता है Indian Air Force: A Cut Above. इस गेमिंग ऐप को खेलने वाले प्लेयर को विंग कमांडर अभिनंदन की तरह मिशन दिया जाता है.


टेक्नोलॉजी के मामले में एक तरह का राष्ट्रवाद
 Zee News ने जून महीने में भारत में चीन के सामानों के बहिष्कार की मुहिम शुरू की थी. लगभग डेढ़ महीने में Zee News की Made In India मुहिम से 1 करोड़ से ज्यादा लोग मिस्ड कॉल देकर जुड़े.


भारत के लिए ये एक बड़ा मौका है. ये टेक्नोलॉजी के मामले में एक तरह का राष्ट्रवाद है. इसको आप ऐसे समझ सकते हैं कि दुनिया की 10 बड़ी टेक कंपनियां हैं. उनमें से 5 चीन की हैं. चीन ने इंटरनेट राष्ट्रवाद के दम पर ये काम किया था. भारत के पास भी अब ये मौका है. चीन के कुल 224 मोबाइल एप्स पर पाबंदी लग चुकी है. इससे भारतीय कंपनियों के पास मौका है कि वो वर्ल्ड क्लास मोबाइल ऐप बनाएं और कंपनियों को वर्ल्ड क्लास बनाएं. भारत में इस समय 50 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स हैं. 70 करोड़ भारतीय इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.


किसी भी संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए मीडिया बड़ा माध्यम है. मोबाइल गेम्स और मोबाइल एप्स प्रचार का माध्यम बन गए हैं. इसे कूटनीति की भाषा में सॉफ्ट पावर कहते हैं. बच्चे या बड़े जो आजकल वीडियो गेम्स खेलते हैं वो भी सॉफ्ट पावर के एक तरह से हथियार हैं. क्योंकि उनकी सोच इन्हीं मोबाइल वीडियो गेम से प्रभावित होती है.


क्या डिजिटल दुनिया में भारत की शक्ति का एहसास कराने का समय आ चुका है?
अब तक भारत,  चीन के 224 मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगा चुका है. भारत के चीन के सामानों के खिलाफ इस कदम का मतलब समझना जरूरी है. क्या ये भारत के आत्मनिर्भर अभियान की दिशा में उठाया गया कदम है? क्या डिजिटल दुनिया में भारत की शक्ति का एहसास कराने का समय आ चुका है.


1. क्या भारत के पास दुनिया की डिजिटल राजधानी बनने का सही समय है. हमें कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए. सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि दुनिया में संख्या के लिहाज से सफल इंजीनियर भारतीय हैं. तो सवाल ये उठता है कि क्या भारत सिर्फ अपने इंजीनियर्स के दम पर दुनिया की डिजिटल राजधानी बन सकता है?


2. भारत में कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय टेक्नोलॉजी कंपनियों के दफ्तर हैं. पहले बेंगलुरु, गुरुग्राम, हैदराबाद, पुणे के दफ्तरों में अंतरराष्ट्रीय कंपनियां के छोटे-छोटे काम ही होते थे. उस वक्त शायद इन कंपनियों को उतना भरोसा नहीं दिखता था. अब आप देखिए जिस तरह भारतीय कंपनियां फ्लिपकार्ट, ओला, जोमैटो, जियो में विदेशी कंपनियों ने हिस्सेदारी खरीदी है. ये बताता है कि भारतीय टेक कंपनियों में दुनिया का कितना भरोसा है. बड़ी कंपनियों का भरोसा भारत को डिजिटल वर्ल्ड में सबसे आगे रखने में मदद कर सकता है.
3. google, Adobe, Microsoft, Mastercard के CEO  कौन हैं, ये दुनिया जानती है. सुंदर पिचाई, शांतनु नारायण, सत्य नडेला, अजयपाल सिंह बंगा कौन हैं और जिन कंपनियों को वो लीड कर रहे हैं, दुनिया देख रही है. जब भारतीय, दुनिया की बड़ी कंपनियों को लीड कर सकते हैं तो फिर भारत के लिए भी मौका है कि भारतीय ही ग्लोबल टेक कंपनियां बनाएं और उन्हें दुनिया में आगे बढ़ाएं.


4. आत्मनिर्भर भारत के लिए भी चीन के एप्स पर पाबंदी को आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि इससे भारतीय एप्स को बढ़ावा दिया जा सकता है और आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है.


5. चीन के बाद भारत ही दुनिया के लिए सबसे बड़ा डिजिटल बाजार है. भारतीय टेक कंपनियों के पास ये सुनहरा मौका कि वो डिजिटल वर्ल्ड के बड़े खिलाड़ी बनें और डिजिटल दुनिया में चीन के अतिक्रमण को खत्म करें. यही चीन को सही और करारा जवाब होगा.


6. डिजिटल दुनिया में उसी देश का दबदबा होता है, जिसके यूजर्स यानी उपभोक्ता ज्यादा हैं. चीन में टेक्नोलॉजी कंपनियों के यूजर्स ज्यादा हैं. अगर भारतीय कंपनियां और उनके यूजर्स बढ़ेंगे. इसका सीधा मतलब होगा भारत के पास सबसे ज्यादा डेटा है और इसके दम पर भारत Data Capital बन सकता है और इसकी वजह से दुनिया की बड़ी कंपनियों को भारत में अपना सर्वर लगाना होगा. क्योंकि चीन में हिटलरशाही की वजह से सर्वर को लेकर जो दिक्कतें होती हैं, भारत में नहीं होंगी. इसकी वजह ये है कि भारत में लोकतांत्रिक सरकार है.


7. और आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण जानकारी, सरकार ने हर गांव को वर्ष 2022 तक ब्रॉडबैंड से जोड़ने का लक्ष्य रखा है. इससे भारत न सिर्फ दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल मार्केट बन सकता है, बल्कि दुनिया डिजिटल प्लेयर बन सकता है.


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