DNA: ऐसे ही नहीं बदला 8 भारतीयों की सजा-ए-मौत का फैसला, जानिए भारत की कूटनीतिक जीत की इनसाइड स्टोरी...
DNA Analysis: कतर की कोर्ट ऑफ अपील ने 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों के फांसी की सजा को टाल दिया है. कतर का अपने फैसले को वापस लेना भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है. आइए समझते हैं कि ये मामला कैसे आगे बढ़ रहा है?
DNA Analysis: कतर ने 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी. कतर के इस फैसले से भारत भी हैरान रह गया था. लेकिन इसके बाद भारत ने इस मामले में कतर की कोर्ट में अपना पक्ष बहुत मजबूती से रखा है. इस मामले में आज का दिन भारत के लिए शुभ रहा. जासूसी के आरोप में फांसी की सजा पाए नेवी के 8 पूर्व कर्मियों को आज कतर की अदालत ने बड़ी राहत दी. कोर्ट ने भारत के आठों पूर्व नौ सैनिकों की फांसी की सजा को रोक दिया है. ये मामला कतर की कोर्ट ऑफ अपील में चल रहा है. इसका मतलब ये है कि अब सजा-ए-मौत की जगह इन भारतीयों को जेल में रहना होगा.
कोर्ट ऑफ अपील में चल रही सुनवाई
कतर की कोर्ट ऑफ अपील में सुनवाई के दौरान भारत के Ambassador अदालत में मौजूद थे. उनके साथ सभी 8 परिवारों के सदस्य भी थे. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि 8 भारतीयों की सजा कम की गई है. अभी उन्हें विस्तृत फैसले का इंतज़ार है. विदेश मंत्रालय इस वक्त अपनी कानूनी टीम के संपर्क में है. वो उन 8 भारतीयों के परिवार के भी संपर्क में हैं. भारत के लिए ये अच्छी खबर है. आइए Point to point समझते हैं कि ये मामला कैसे आगे बढ़ रहा है?
1. 26 अक्टूबर 2023 को कतर की Court of First Instance यानि निचली अदालत ने 8 भारतीयों को फांसी की सज़ा सुनाई थी, जिसके खिलाफ भारत ने अपील दायर की थी.
2. 24 नवंबर को कतर की Court of Appeals ने भारत की याचिका को स्वीकार किया.
3. 3 दिसंबर को भारतीय राजदूत को पूर्व नौसैनिकों से मिलने की इजाज़त मिली.
4. 7 दिसंबर को भारतीय नेवी के 8 पूर्व सैनिकों को consular access मिला था.
5. अब आज कतर की कोर्ट ऑफ अपील ने भारत के आठों पूर्व नौ सैनिकों की फांसी की सजा को कैद में बदला.
1 साल से कतर की जेल में भारतीय नौसैनिक
कतर की अदालत ने जिस तरह से भारतीयों को मौत की सजा सुनाई थी. वो भारत के लिए एक गंभीर मामला है. मामला संवेदनशील और गोपनीय है इसलिए दोनों देशों ने इसपर बहुत ज्यादा खुलकर नहीं कहा. पिछले करीब 1 साल से भारतीय नौसैनिक कतर की जेल में है, और तभी से उनको कानूनी मदद देने की कोशिश की जा रही है. अब उसका असर दिख रहा है. कतर की अदालत से भारतीय की मौत की सजा का कम होना भारत के लिए अच्छी खबर भी है और भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत भी है.
अगस्त 2022 में किया गया गिरफ्तार
कतर की अदालत ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व नौसैनिकों को अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया था. जिसपर भारत सरकार ने भी हैरानी जताई थी. भारत ने इस मामले में हमेशा यही कहा है कि वो अपने नागरिकों के साथ खड़ा है और हर संभव उनकी मदद करेगा. जानिए भारत को इस मामले में एक के बाद एक कैसे कामयाबी मिली है?
1. पहली कामयाबी - भारत ने इस मामले में अपना पक्ष रखा और भारत की पुर्नविचार याचिका को कतर कोर्ट ने स्वीकार किया.
2. दूसरी कामयाबी - भारतीय राजदूत को आठों भारतीयों से मिलने की इजाजत मिली.
3. तीसरी कामयाबी - 7 दिसंबर को भारत के 8 पूर्व सैनिकों को consular access मिला.
4. चौथी कामयाबी - ये कामयाबी अबतक की सबसे बड़ी कामयाबी है, जिसमें आज कतर की अदालत ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी है.
भारत और कतर के रिश्ते लंबे समय से अच्छे रहे है. दोनों देश हमेशा एक दूसरे के साथ खड़े नजर आते है. कुछ दिन पहले दुबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी से मिले थे. दोनों ने गर्मजोशी के साथ एक दूसरे से हाथ मिलाया था. मुलाकात के बाद मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्वीटर) पर लिखा था कि दुबई में कतर के अमीर से मुलाकात हुई. मैंने उनसे कतर में रहने वाले भारतीय नागरिकों का हालचाल जाना.
डिप्लोमेटिक तरीके से मिलेगी जीत
पीएम मोदी और कतर के अमीर की दुबई में हुई मुलाकात के बीच ही कहा जाने लगा था कि कतर 8 भारतीय पूर्व नौसैनिकों के मामले में कोई बड़ा कदम उठा सकता है. इस मामले में भारत सरकार या पीड़ित परिवारों के पास बहुत सीमित कानूनी अधिकार हैं. पूरे मामले में कतर के कानून ही लागू हो रहे हैं. इस मामले को हल करने का बस एक ही तरीका है और वो है डिप्लोमेटिक तरीका. ठीक उसी तरीके से जैसे हमास के कब्जे में मौजूद अमेरिकी मां-बेटी को छुड़ाने के लिए अमेरिका ने कतर से मदद ली और आज वे दोनों सुरक्षित हैं, ठीक उसी तरीके से भारत सरकार भी अपने नागरिकों को बचाने के लिए कोशिश कर रही होगी.
भारतीयों पर जासूसी का आरोप
कतर ने 8 भारतीयों को जासूसी के आरोप में पकड़ा. उन्हें जेल में डाला, फिर फांसी की सजा सुनाई, लेकिन हैरानी की बात देखिए कतर ने आरोप, धाराओं और सजा के आधार की कोई जानकारी नहीं दी थी. कतर की कोर्ट के फैसले पर भारत ने भी हैरानी जताई थी.
इस मामले में भारत के पास आगे क्या विकल्प हैं?
अगर कतर के Appeal Court से जेल अवधि में कोई और रियायत नहीं मिलती है तो भारत के पास एक और विकल्प होगा. और वो विकल्प है कि भारत, कतर से इन 8 पूर्व नौ सैनिकों को भारत भेजने का आग्रह करे, ताकि वो अपनी जेल अवधि भारत की जेलों में पूरी कर सके. भारत और कतर ने वर्ष 2015 में एक Treaty on Transfer of Sentence Persons पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत दोनों देशों के नागरिकों को अगर दूसरे देश में सजा होती है तो वो नागरिक ये जेल अवधि अपनी खुद की जेल में बीता सकते है. भारत इस समझौते के तहत इन आठों नौसैनिकों को कतर से भारत transfer करने को कह सकता है.
पूर्व नौसैनिकों को मिली बड़ी राहत
इसके अलावा कतर के अमीर भी इन 8 भारतीयों की सज़ा को माफ कर सकते है. ये मामला संवेदनशील भी है और गोपनीय भी. इसलिए मामले में दोनों देश बहुत संभलकर कदम रख रहे है. लेकिन आज का फैसला भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत है. कतर की जेल में बंद भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को आज बहुत बड़ी राहत मिली है. इनके परिवार वालों के लिए ये एक तरह से न्यू ईयर गिफ्ट है. ये 8 पूर्व नौसैनिक, कतर की एक Security Agency अल दहरा ग्लोबल में काम करते थे.
जानिए पूरे मामले की टाइमलाइन
1. जिन 8 पूर्व नौसैनिकों को कतर में मौत की सजा सुनाई गई थी, वो 'अल दहरा ग्लोबल' में अलग-अलग पदों पर तैनात थे.
2. अगस्त 2022 में इनको गिरफ्तार किया गया था, और फिर इस साल मार्च में इन 8 पूर्व नौसैनिक पर जासूसी का आरोप लगाया था।
3. दरअसल जिस सिक्योरिटी एजेंसी 'अल दहरा ग्लोबल' में ये काम करते थे, वो कंपनी कतर की नौसेना के लिए एक विशेष Submarine Program के साथ जुड़ी हुई थी.
4. इटली की एक खास तकनीक पर बनी इस Submarine की खासियत ये थी कि ये राडार की पकड़ में नहीं आती थी.
5. 'अल दहरा ग्लोबल' में करीब 75 भारतीय नागरिक काम करते थे। जिसमें से ज्यादातर भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी थे.
6. अगस्त में इस कंपनी के प्रमुख खमीस अल अजामी समेत 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को गिरफ्तार कर लिया गया.
7. इन लोगों पर आरोप लगाया गया कि इन्होंने Submarine से जुड़ी जानकारी इजरायल को भेजी। हालांकि कतर ने इसपर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है.
जिन 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई गई है, उन पर लगे आरोपों को लेकर आधिकारिक तौर पर अभी ना तो कतर ने कुछ बताया है, ना ही भारतीय अधिकारियों की तरफ से ही कुछ साफ किया गया है. इस मामले में कई ऐसी चीजें हुई है जो कतर की मंशा पर सवाल भी खड़े करती है.
1. अगस्त 2022 में 8 भारतीय पूर्व नौसेना अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था.
2. उसके बाद इन सभी को solitary confinement यानि अकेले रखा गया. इनको न किसी से मिलने की इजाजत थी और न बात करने की मंजूरी थी.
3. गिरफ्तार 8 भारतीयों को ये जानने में ही महीने लग गए कि उनके साथी भी पकड़े गए हैं.
4. सूत्रों के मुताबिक भारतीय दूतावास को भी उनकी गिरफ्तारी की सूचना एक महीने बाद दी गई थी.
20 वर्षों तक किया काम
इन सभी रिटायर्ट नौसैनिकों ने नौसेना में करीब 20 वर्षों तक काम किया. यही वजह है कि सिक्योरिटी एजेंसी अल-दहरा ग्लोबल ने इनकी Skill को देखते हुए, इन्हें कतर की नौसेना के लोगों को Training देने के मकसद से नौकरी पर रखा था. लेकिन इसके बाद भी इनपर जासूसी का आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया और फिर फांसी की सजा भी सुना दी गई.
फांसी की सजा पर रोक
इस मामले में भारत के लिए एक के बाद एक राहत की खबर आई है. फांसी की सजा पर रोक लगना आठों भारतीयों, इनके परिवारों और पूरे देश के लिए राहत की खबर है. पूरे देश को उम्मीद है कि भारत सरकार इन आठों भारतीयों को देश लाने में भी कामयाब होगी.