DNA ANALYSIS: राम मंदिर के खिलाफ आतंकी मसूद अजहर की `बाबर` वाली साजिश
आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर ने धमकी दी कि मंदिर निर्माण रोकने के लिए उसके आतंकवादी अपनी जान देने के लिए भी तैयार हैं. मसूद अजहर की ये सोच मुगल आक्रमणकारी बाबर की तरह ही है.
नई दिल्ली: डीएनए (DNA) में आज हम इस्लामी कट्टरपंथियों की बाबर वाली सोच का विश्लेषण करेंगे. इससे पहले DNA में हमने आपको बताया था कि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद कैसे अयोध्या में राम मंदिर पर हमले की साजिश कर रहा है. 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) का भूमि पूजन किया गया था. आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर (Masood Azhar) ने इसी दिन धमकी दी कि मंदिर निर्माण रोकने के लिए उसके आतंकवादी अपनी जान देने के लिए भी तैयार हैं. मसूद अजहर की ये सोच मुगल आक्रमणकारी बाबर की तरह ही है.
राम मंदिर निर्माण से जलन
वर्ष 1528 के आसपास बाबर ने ही अयोध्या में श्रीराम मंदिर को नष्ट करवाया था. यानी आतंकी मसूद अजहर जो राम मंदिर निर्माण रोकने के लिए जान देने की बात कर रहा है, वो वही काम दोहराना चाहता है जो बाबर ने 500 साल पहले किया था. आप इसे इस्लामी कट्टरपंथियों की बाबर वाली सोच भी कह सकते हैं.
5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमिपूजन किया था. भारत और विश्व के करोड़ों लोगों ने इस तस्वीर को टीवी पर देखा. लेकिन इस्लामी कट्टरपंथियों और आतंकियों को राम मंदिर निर्माण से जलन हो रही है. 5 अगस्त को ही आतंकवादी मसूद अजहर की तरफ से सोशल मीडिया पर एक स्टेटमेंट पोस्ट किया गया.
मसूद अजहर की ओर से लिखी गई पोस्ट का शीर्षक था- ऐ मां, ऐ बाबरी मस्जिद तुझे सलाम. आतंकवादी मसूद अजहर कहता है कि वो बाबरी मस्जिद में नमाज पढ़ना चाहता है. मसूद अजहर आगे लिखता है, येलो मंकी यानी भगवा वस्त्र पहने हुए लोग राम मंदिर की आधारशिला के लिए जमा हुए हैं. मसूद अजहर आगे कहता है कि राम मंदिर निर्माण से आतंकवादियों में बेचैनी है और वो इसको पूरा नहीं होने देंगे. मसूद अजहर आगे कहता है कि राम मंदिर का निर्माण गैर कानूनी है और आतंकवादी इसको रोकने के लिए जान देने के लिए भी तैयार हैं.
पाकिस्तान को बाबर हमेशा याद रहता है...
पाकिस्तान और उसके यहां पनप रहे आतंकवादियों के लिए हमेशा से कट्टर इस्लामी हमलावर आदर्श रहे हैं. पाकिस्तान को बाबर हमेशा याद रहता है. मुगल शासक बाबर का अगर इतिहास पढ़ें तो आपको पता चलेगा कि वह उज्बेकिस्तान से भारत आया था. 1526 में उसने पानीपत के युद्ध में सिकंदर लोदी को हराया और इसके बाद उसने भारत में मुगल वंश की स्थापना की. यानी बाबर को भारत में एक क्रूर आक्रमणकारी के रूप में जाना जाता है. लेकिन यही बाबर आज पाकिस्तान का आदर्श है. पाकिस्तान ने अपने मिसाइल के नाम भी बाबर, गजनी और गजनवी के नाम पर रखे हैं. पाकिस्तान को कभी भी धर्मनिरपेक्षता में यकीन नहीं रहा है. पाकिस्तान को वो मुस्लिम भी पसंद नहीं हैं, जिनकी छवि सेकुलर रही है.
कट्टरता और आतंकवाद पाकिस्तान के आदर्श
मिर्ज़ा गालिब उर्दू और फारसी के महान शायर थे. वो आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह ज़फर के दरबारी शायर भी रहे. मिर्ज़ा गालिब की शायरी और गज़लें आज भी लोग पढ़ते हैं. लेकिन पाकिस्तान को मिर्ज़ा गालिब जैसी सोच वाले लिबरल मुस्लिम पसंद नहीं आए. आपने कभी नहीं सुना होगा कि पाकिस्तान के किसी बड़े नेता या आतंकवादियों के लिए मिर्ज़ा गालिब आदर्श हैं.
मिर्ज़ा गालिब ने कहा था-
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है.
पाकिस्तान में जिस जन्नत का हवाला देकर आतंकवादियों को भारत के खिलाफ तैयार किया जाता है, उस पर मिर्ज़ा गालिब ने चोट की थी. जब गालिब ने ये बातें लिखी होंगी, उस वक्त शायद आतंकवाद नहीं रहा हो. उस वक्त उनको भी ये अंदाजा नहीं रहा होगा कि उनका शेर आज के हालात में फिट बैठ जाएगा. लेकिन कट्टरता और आतंकवाद को आदर्श मानने वालों को ये बातें समझ में नहीं आएगी. कट्टरपंथियों को कभी ये बात समझ नहीं आएगी.
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