IAF NEWS: भारतीय वायुसेना की गिनती दुनिया की सर्वश्रेष्ठ एयरफोर्स में होने लगी है. रूस और फ्रांस के ओपन सपोर्ट से भारत के दुश्मन कांप रहे हैं. इस बीच भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने कहा है कि एयरफोर्स दुनिया की किसी भी भावी सुरक्षा चुनौती से निपटने के लिए सक्षम है. हालांकि इस काम में स्वदेशी हथियार प्रणाली का होना महत्वपूर्ण है, फिर भी हम एयरफोर्स के आधुनिकीकरण में स्वदेशी सिस्टम लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. 


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S-400 के बाद चाहिए आयरन डोम?


सवाल: जब एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह से पूछा- क्या वर्तमान वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत को S-400 के बाद इजरायली एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम भी चाहिए?


एयरचीफ मार्शल एपी सिंह: वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'वायुसेना अभी भी मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में सक्षम है. हमारे पास जो एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जो आ चुके हैं या पाइप लाइन में हैं, आने वाले हैं वो भी वही काम करने में सक्षम है जो आयरन डोम करता है. मिसाल के लिए S-400 मिसाइल प्रणालियों की तीन इकाइयों की सप्लाई हो चुकी है, उनकी पोजिशनिंग रणनीतिक रूप हो चुकी है. अगली खेप की बात करें तो रूस ने अगले साल तक बाकी दो इकाइयां देने का वादा किया है. 



उन्होंने ये भी कहा, 'हम जहां से भी जरूरी इक्विपमेंट मंगा रहे हैं, वहां से टेक्नालजी ट्रांसफर पर पूरा जोर है. भारत ऐसे बहुत बड़े विशाल भूभाग वाले देश के चप्पे-चप्पे को एयर डिफेंस अटैक से सुरक्षित करने के लिए अभी बहुत बड़ी तादाद में सिस्टम खदीदने होंगे. हम लगातार काम कर रहे हैं. अभी जो हमारी प्राथमिकता है, वहां-वहां रणनीतिक रूप से एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती हो चुकी है'. 


चीन की हर चाल पर नजर


वायुसेना दिवस से पहले एक पीसी में वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तेजी से बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है, खासकर लद्दाख सेक्टर में और भारत भी एलएसी पर बुनियादी ढांचे की तैयारी कर रहा है. विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में भू-राजनीतिक तनावों और संघर्षों पर चर्चा करते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भविष्य की किसी भी सुरक्षा चुनौती से निपटने के लिए स्वदेशी हथियार प्रणालियों का होना महत्वपूर्ण है.


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