SBI Electoral Bonds: चुनाव आयोग ने गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर एसबीआई से मिले डेटा को सार्वजनिक कर दिया है. चुनाव आयोग को 15 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड्स से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करनी थी. लेकिन उससे एक दिन पहले ही चुनाव आयोग ने आंकड़े जारी कर दिए. डेटा सार्वजनिक करने के बाद चुनाव आयोग ने कहा कि हम पारदर्शिता के पक्ष में हैं, जानकारी उपलब्ध कराना यही बताता है. चुनाव आयोग ने एसबीआई की तरफ से पेश चुनावी बॉन्ड के मेनिफेस्टेशन पर ब्योरा दो हिस्सों में रखा है. इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने वालों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पिरामल एंटरप्राइजेज शामिल हैं. जबकि अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइज, पीवीआर, केवेंटर्स, सुला वाइन, वेल्सपुन, सन फार्मा ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे हैं. ​


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सुप्रीम कोर्ट के 15 फरवरी और 11 मार्च को दिए आदेश के  मद्देनजर चुनाव आयोग ने कहा, एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स से जुड़ा आंकड़ा हमें 12 मार्च को मुहैया करा दिया है. ईसी ने आगे कहा, 'हमने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर चुनावी बांड पर एसबीआई से मिले आंकड़ों को 'जैसा है, जहां है' के आधार पर अपलोड कर दिया है.' एसबीआई का यह डेटा https://www.eci.gov.in/candidate-politicalparty पर जाकर चेक किया जा सकता है. 


किन पार्टियों को मिला चंदा


चुनावी बॉन्ड के जरिए बीजेपी, कांग्रेस, AIADMK, बीआरएस, शिवसेना, तेदेपा, वाईएसआर कांग्रेस के अलावा DMK, JDS, NCP, TMC, JDU, RJD, AAP और सपा को भी चंदा मिला है.इससे पहले बुधवार को एसबीआई ने एक सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट जमा किया था, जिसमें उसने पुष्टि की थी कि उसने इलेक्टोरल बॉन्ड्स स्कीम के तहत जानकारियां चुनाव आयोग को मुहैया करा दी है. एसबीआई ने चुनाव आयोग को जो सूची दी है, उसमें उसने बताया है कि किस तारीख को और किसने इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे.


सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में अनाम राजनीतिक फंडिग की इजाजत देने वाली केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था. बेंच ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए चुनाव आयोग को दानदाताओं, उनकी दान की गई राशि और हासिल करने वालों का खुलासा करने का आदेश दिया था.