Hologram Case: छतीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में फर्जी होलोग्राम सप्लाई कर अवैध शराब बेचने मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने एक्शन लिया है. ईडी ने  यूपी के गौतमबुद्ध नगर जिले के कासना थाने में केस दर्ज करवाया है. आरोप है कि कासना में प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के MD विधु गुप्ता ने गलत तरीके से होलोग्राम के टेंडर लिए और फिर आरोपियों के साथ मिलकर फर्जी होलोग्राम स्पलाई किए. इस मामले में छत्तीसगढ़ कैडर के दो IAS अधिकारी अनिल टूटेजा और निरंजन दास के अलावा ITS अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी भी आरोपी हैं.


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ईडी छतीसगढ़ में हुए 2 हजार करोड़ के शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच कर रही है. आरोप है कि प्रति शराब केस में 75 रुपये अवैध तरीके से लिए जा रहे हैं. साथ ही फर्जी होलोग्राम के जरिये सरकारी शराब ठेकों से शराब बेची जा रही है, जिसका पैसे सरकार के खजाने में ना जाकर आरोपियों के खातों में जा रहा है.


होलोग्राम छापने का दिया था टेंडर


जांच के दौरान एजेंसी को पता चला कि तत्कालीन आबकारी स्पेशल सेक्रेटरी अरुणपति त्रिपाठी ने आबकारी कमिश्नर और दूसरे आरोपियों के साथ मिलकर यूपी के कासना की कंपनी प्रिज्म होलोग्राफी को गलत तरीके से होलोग्राम छापने का टेंडर दिया. 


ये होलोग्राम छतीसगढ़ में सप्लाई होने वाली शराब की बोतलों पर लगाए जाने थे, जिससे पता चल सके कि कितनी बिक्री हुई है. साथ ही खरीदार को वैध और अवैध शराब के बारे में जानकारी रहे. ये होलोग्राम स्पेशल सिक्योरिटी की साथ छपे होते थे, जिसे छतीसगढ़ आबकारी विभाग को दिये जाते थे. वह बाद में सीरियल नंबर के साथ इसे जारी करते थे ताकि शराब की सप्लाई की जानकारी रहे. सरकार ने इस कंपनी को पांच साल में 80 करोड़ होलोग्राम छापने का ठेका दिया था जो काफी महंगे दामों पर दिया गया था.


 एजेंसी का आरोप है कि कासना की इस कंपनी को अवैध तरीके से ये ठेका दिया गया और इसमें आरोपियों ने कंपनी के एमडी की मिलीभगत से फर्जी होलोग्राम भी छपवाए गए. इसमें सीरियल नंबर पहले से छपे होते थे जिन्हें ये आरोपी अपने सिडिकेंट के जरिये शराब कंपनी तक पहुंचा देते थे. फिर इनके जरिए अवैध तरीके से शराब की सप्लाई सरकारी शराब के ठेकों से होती थी. 


जो सीरियल नंबर इस होलोग्राम पर कंपनी से छप कर जाते थे उनके सीरियल नंबर अरुणपति त्रिपाठी आरोपी को फोन पर बता देते थे, जिन्हें छापकर आरोपियों के पास भेज दिया जाता था. अरुणपति त्रिपाठी ने अपने बयान में एजेंसी को बताया था कि ये पहले से छपे सीरियल नंबर शराब कंपनियों तक आरोपी अमित सिंह के जरिए पहुंचाये जाते थे जो सिडिंकेट का हिस्सा था.


ईडी को साठगांठ का अंदेशा


एजेंसी का मानना है कि प्रिज्म छतीसगढ़ के अलावा कई दूसरे राज्यों में भी सिक्योरिटी होलोग्राम की सप्लाई करती है जिससे इस कंपनी के दूसरे राज्यों के आबकारी अधिकारियों या आरोपियों के साथ इसी तरह की साठगांठ का अंदेशा हो सकता है. इसलिए इसकी जांच की जानी बेहद जरूरी है.


 ED छतीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में पांच आरोपियों अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, नितेश पुरोहित और अरविंद सिंह को गिरफ्तार कर 7 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है, जिसमें दो कंपनियां Petrosun Refineries Pvt Ltd और Dhillon City Mall Pvt Ltd शामिल है.


इसके अलावा ED इस मामले में  180 करोड़ की संपत्ति अटैच कर चुका है जिसमें IAS अनिल टूटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, अरविंद सिंह और विकास अग्रवाल की 121.87 करोड़ रुपये की 119 संपत्तियां हैं. जबकि 14 संपत्ति IAS अनिल टूटेजा की है जिसकी कीमत 8.883 करोड़ रुपये है. 69 संपतियां गिरफ्तार आरोपी अनवर ढेबर की है जिसकी कीमत ₹98.78 करोड़ है. 32 संपत्तियां अरविंद सिंह की हैं जो ₹11.35 करोड़ की है.1.54 करोड़ रुपये की  3 संपत्तियां विकास अग्रवाल की हैं और 1 संपत्ति अरुणपति त्रिपाठी की है जो ₹1.35 करोड़ की है.