मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले (Maharashtra State co bank scam) में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) पर मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) का मामला दर्ज किया है. बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) के आदेश के बाद इस घोटाले के मामले में मुंबई पुलिस की इकोनॉमिक्स ऑफेन्स विंग ने एफआईआर दर्ज की थी जिसमें शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार सहित कुल 70 पूर्व संचालक का नाम था. 


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इस पूरे मामले में शरद पवार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, "मेरा कोई सहभाग न होते हुए मेरे खिलाफ मामला दर्ज करने पर सरकारी यंत्रणा एजेन्सीज और सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद. इस कार्रवाई का स्वागत करता हूं. चुनाव के समय इस तरह की कार्रवाई की मेरे चुनाव प्रचार सभाओं में युवाओ का भारी समर्थन मिल रहा है, ऐसे में कार्रवाई नहीं होती तो मुझे आश्चर्य होता. लेकिन ये कार्रवाई क्यों की जा रही, ये जनता समझ रही है और चुनाव में जनता इसका जवाब देगी. खस्ताहाल आर्थिक स्थिति में जो कोओपरेटिव संस्थाएं होती है, उन्हें उबारने के लिए मदद करने का काम आरबीआई और को ओपरेटिव बैंक करते हैं, इसलिए उसमें घोटाला हुआ, ये कहना गलत है." 


 


बता दें कि ये घोटाला करीब 25 हजार करोड़ रुपये का है. शुरुआत में मुंबई पुलिस के इकॉनोमिक्स ऑफेन्स विंग ने इस मामले में एक एफआईआर दर्ज की थी. इससे पहले, महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस को शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार समेत 70 अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने माना था कि इन सभी आरोपियों को बैंक घोटाले के बारे में पूरी जानकारी थी. अदालत ने मुंबई पुलिस की आपराधिक शाखा को पांच दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे, जिस पर अमल करते हुए मुंबई पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी.  


महाराष्ट्र में कांग्रेस- एनसीपी की सरकार के समय महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में आर्थिक गैर व्यवहार का मामला चर्चा में आया था. आरोप था कि बैंक के संचालक मंडल ने नियमों का उल्लंघन करते हुए 25 हजार करोड़ का घोटाला किया है. शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार समेत बैंक के अन्य डायरेक्टर के खिलाफ बैंकिंग और आरबीआई के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है. इन्होंने कथित तौर पर चीनी मिल को कम दरों पर कर्ज दिया था और डिफॉल्टर की संपत्तियों को कौड़ियों के भाव बेच दिया.


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आरोप है कि इन संपत्तियों को बेचने, सस्ते लोन देने और उनका पुनर्भुगतान नहीं होने से बैंक को 2007 से 2011 के बीच करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ. महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री और तत्कालीन वित्त मंत्री अजित पवार उस समय बैंक के डायरेक्टर थे. नाबार्ड ने महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटी अधिनियम के तहत इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पवार और अन्य लोगों को बैंक घोटाले का आरोपी बनाया गया.