Electoral Bond news: इलेक्टोरल बांड की एवज में राजनैतिक दलो को कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से दी गई कथित रिश्वत की SIT जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका  दायर हुई है. NGO कॉमन कॉज की ओर से दायर एक याचिका में ये कहा गया है कि इलेक्टरोल बांड के जरिये दिये गए चुनावी चंदे में करोड़ों रुपये का घोटाला (Electoral Bond scam) हुआ है. इस घोटाले की कोर्ट की निगरानी में SIT जांच की जरूरत है .


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जांच से बचने, सरकारी ठेके पाने के लिए चंदा
याचिका के मुताबिक इलेक्टरोल बांड के डेटा से जाहिर होता है कि बड़ी संख्या में कारपोरेट कंपनियों ने केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों (CBI, ED, इनकम टैक्स) की जांच से बचने और सरकारी ठेके या लाइसेंस हासिल करने के लिए चंदा दिया है. यही नहीं कई मामलों में तो चंदा मिलने के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने उस कंपनी को फायदा पहुंचाने के मकसद से अपनी नीतियों में बदलाव किया है.


शैल कंपनियों ने भी दिया चंदा
याचिका के मुताबिक  कुछ घाटे में चल रही और शैल कंपनियों ने बांड के जरिये बड़ा चंदा  दिया है. साफ है कि इन शैलकंपनियों का इस्तेमाल ब्लैक मनी को बांड के जरिये वैध बनाने में  किया गया है. याचिका में आरोप लगाया है कि CBI, ED और इनकम टैक्स विभाग जैसी देश की बड़ी जांच एजेंसियां ख़ुद करप्शन में सहायक साबित हो रही है.


कई ऐसी कंपनियां जो इन जांच एजेंसियों के रडार पर थी, उन्होंने जांच को प्रभावित करने के इरादे से  सत्तारूढ़ पार्टी को बड़ा चंदा दिया है . यही नहीं, वो फार्मा कंपनी जो घटिया दवाई बनाने के चलते जाँच के दायरे में थी, उन्होंने भी इलेक्टरोल बांड के जरिये चंदा दिया.


चंदे की एवज में मिली रिश्वत को वसूला जाए
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से इन सभी पहलुओं की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है. साथ ही ये भी कहा है कि जहां कहीं भी बांड के जरिये मिली चंदे की रकम 'रिश्वत' साबित हो जाए वहां इस चंदे को अपराध से अर्जित आय (proceed of crime) मानकर राजनैतिक दलों से वसूला जाए.