नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार के दूसरे कार्यकाल में सुषमा स्वराज को भले ही मंत्री नहीं बनाया गया हो, लेकिन उनके अपने पिछले कार्यकाल के दौरान सोशल मीडिया के जरिए उनसे आसानी से संपर्क साधा जा सकता था. वह विदेशों में मुश्किल में फंसे भारतीयों की मदद के लिए काफी मशहूर हुईं. सुषमा हरियाणा सरकार में सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर भी सेवाएं दे चुकी हैं. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सुषमा, मेनका गांधी और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया गया है जबकि पिछली सरकार में वह प्रमुख मंत्री माने जाते थे.


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सुषमा ने स्वास्थ्य कारणों से इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था.  अपने पिछले कार्यकाल में वह सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहीं और विदेशों में बसे भारतीयों से बड़े पैमाने पर संवाद किया.  विदेशों में बसे भारतीय अगर किसी मुश्किल में होते तो अपने संकटमोचक के तौर पर वह तुरंत सुषमा को याद करते.


पूर्व विदेश मंत्री ने भी शायद ही उन्हें कभी निराश किया हो. विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा ने पासपोर्ट संबंधी आधारभूत संरचना का विस्तार किया और पूर्वी देशों के साथ संवाद बढ़ाया. सुषमा को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की शुरुआत में ही विदेश मंत्री बनाया गया था. 


वह दिवंगत इंदिरा गांधी के बाद विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने वाली दूसरी महिला रही हैं. प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी ने कुछ समय के लिए विदेश मंत्रालय का पदभार संभाला था. सुषमा ने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने की पहले ही घोषणा कर दी थी.