नई दिल्ली : पाकिस्तान पठानकोट आतंकी हमले के मामले की जांच के लिए भारतीय जांच अधिकारियों की टीम को अपने यहां का दौरा करने देने के वादे उस समय पलट गया जब उसने पाया कि एनआईए के पास इसमें शामिल आतंकवादियों के तार आईएसआई से जुड़े होने के पर्याप्त सबूत हैं।


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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हाल ही में पांच दिनों के भारत दौरे पर आई पाकिस्तान की संयुक्त जांच टीम (जेआईटी) को उन आतंकवादियों के पाकिस्तान में बैठे आकाओं के बारे में महत्वपूर्ण सबूत दिए थे जिन्होंने दो जनवरी को पठानकोट स्थित वायुसेना अड्डे पर हमला किया था।


आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जेआईटी को आतंकवादियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत की पूरी प्रतिलिपि दी गई थी। इन आकाओं की पहचान भी बताई गई थी।


सूत्रों ने कहा कि एनआईए ने पाकिस्तानी अधिकारियों के आतंकवादियों के आकाओं के साथ संबंध के बारे बताया था। माना जा रहा है कि ये अधिकारी आईएसआई से जुड़े हुए हैं।


जेआईटी को मारे गए आतंकवादियों के पाकिस्तानी संपर्कों के संदर्भ में इलेक्ट्रानिक एवं फोरेंसिक सबूत, आतंकवादियों के नाम और कई दूसरे महत्वपूर्ण साक्ष्य मुहैया कराये गए थे।


पाकिस्तानी टीम को इसके ठोस सबूत दिए गए थे कि जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का भाई अब्दुल रउफ आतंकवादियों के निरंतर संपर्क में था और तीन दिनों तक चले हमले के दौरान उनको निर्देश दे रहा था।


एक सूत्र ने कहा, ‘एनआईए ने आतंकवादियों के साथ पाकिस्तानी संपर्कों के सबूत के तौर पर जो विवरण एकत्र किए किए थे उसको लेकर जेआईटी पूरी तरह हैरान थी। उनको लगा कि उनका खेल अब पूरा हो चुका है। एनआईए की टीम के पाकिस्तान का दौरा करने देने के वादे से अचानक पलटी मारना इसी का नतीजा हो सकता है।’ पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कल संकेत दिया था कि शायद भारतीय जांच अधिकारियों को पाकिस्तान जाने की इजाजत नहीं दी जाए।


बहरहाल, भारत ने कहा है कि जेआईटी की यात्रा से पहले दोनों पक्षों के बीच अदला-बदली के आधार पर सहमति बनी थी।