Farooq Abdullah on India Pakistan Talk: जम्मू कश्मीर के पुंछ में आतंकियों के हमले में 4 जवानों की शहादत के बाद से राजनीति गरम है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने इसे मुद्दा बनाते हुए एक बार फिर पाकिस्तान के साथ बातचीत की पैरवी की है. अब्दुल्ला ने कहा कि जब पाकिस्तान बार- बार बातचीत के खुले संकेत दे रहा है तो भारत ऐसा करने से क्यों हिचक रहा है. एनसी चीफ ने यह भी कहा कि अगर बातचीत के जरिए मसले का हल नहीं ढूंढा गया तो हमारा हाल भी गाजा और फिलीस्तीन जैसा होगा, जहां पर इजरायली बमबारी में अब तक 21 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. फारूक अब्दुल्ला की इस बयानबाजी पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. 


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'पाकिस्तान से बातचीत क्यों नहीं?'


मीडिया से बात करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने भारत-पाकिस्तान संबंधों पर पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान का उल्लेख किया कि 'हम अपने दोस्त बदल सकते हैं लेकिन अपने पड़ोसी नहीं. प्रधानमंत्री मोदी खुद कह चुके हैं कि युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है और मामलों को बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए. फिर बातचीत क्यों नहीं हो रही? नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं और वे कह रहे हैं कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन क्या कारण है कि हम बात करने के लिए तैयार नहीं हैं?


'हमारा हाल भी हो सकता है गाजा जैसा' 


उन्होंने कहा, 'अगर हम बातचीत के जरिए मामले का हल नहीं ढूंढते हैं तो हमारा हाल भी गाजा और फिलिस्तीन जैसा हो सकता है, जहां पर इजरायल लगातार बमबारी कर रहा है. उस हमले में अब तक गाजा के 21 हजार लोग मारे जा चुके हैं. साथ ही गाजा का बड़ा हिस्सा मलबे में तब्दील हो चुका है.'


'ऐसे खत्म नहीं होगा आतंकवाद'


जम्मू कश्मीर के कई बार सीएम रहे फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को भी प्रदेश की स्थिति को लेकर विवादित बयान दिया था. अब्दुल्ला ने कहा था, 'वे दावा कर रहे थे कि (2019 में) अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के साथ आतंकवाद खत्म हो गया है, लेकिन चार साल बाद, आतंकवाद अभी भी है और जब तक हम प्रयास नहीं करेंगे तब तक खत्म नहीं होगा. इसके मूल कारण को समझें. सामान्य स्थिति का नारा लगाने या पर्यटकों के आगमन को शांति के रूप में प्रचारित करने से आतंकवाद खत्म नहीं होगा.' 



'हम अपने लोगों को खो रहे' 


पुंछ के आतंकी हमले में 4 जवानों की शहादत पर अब्दुल्ला ने कहा, 'मुझे (अधिकारी की हत्या) पर अफसोस है. जो लोग सामान्य स्थिति का दावा कर रहे हैं वे चुप हैं. उन्होंने मूल कारण को संबोधित करने के बजाय सतही तरीके से घावों को भरने की कोशिश की. आम लोगों को समझना चाहिए कि हम अपने सैनिकों, अधिकारियों और आम लोगों को खो रहे हैं.'


नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने सलाह दी कि केंद्र को जम्मू-कश्मीर में रक्तपात को समाप्त करने के लिए सही नजरिया ढूंढने की जरूरत है. उन्होंने कहा, हम भारत का हिस्सा हैं, हम भारत का हिस्सा थे और हम भारत का हिस्सा रहेंगे. अगर हमें आतंकवाद को खत्म करना है, तो हमें सामान्य स्थिति का दावा करने या पर्यटन के बारे में बात करने के बजाय तरीकों की तलाश करनी होगी. 


'पाकिस्तान ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा'


उन्होंने दावा किया, 'सेना या पुलिस के इस्तेमाल से आतंकवाद खत्म नहीं होगा. हमें गहराई तक जाना होगा और इसे खत्म करने के लिए मूल कारण का पता लगाना होगा.' जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री की ये टिप्पणियां पिछले एक सप्ताह में जम्मू कश्मीर में हुई आतंकी घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में आई हैं. 


भाजपा की वरिष्ठ नेता डॉ. हिना शफी भट ने दिग्गज नेता की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि यह अफसोसजनक है कि जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ नेता अभी भी पाकिस्तान के साथ बातचीत की बात कर रहे हैं. फारूक साहब को अब सीख लेनी चाहिए, यह शासन पाकिस्तान के सामने झुकने वाला नहीं है. हमने कोशिश की, उन्होंने बार-बार हमारी पीठ में छुरा घोंपा है.