TV-D1 Launch: गगन यान मिशन को 2025 में लांच किया जाएगा. यह मानवयुक्त मिशन है. उससे पहले 21 अक्टूबर को टेस्ट फ्लाइट(TV-D1)को लांच किया जाएगा. टेस्ट फ्लाइट के दौरान किसी भी तरह के अड़चनों को दूर करने के लिए इसरो की तरफ से हर संभव कोशिश की गई है. हर एक औजार को कई दफा परखा गया है. फर्ज करें कि आप स्पेस क्रॉफ्ट के जरिए स्पेस में जा रहे हों और उसमें आग लग जाए तो क्या होगा. भला यह सवाल क्यों. अब जब कोई स्पेस मिशन पर जाएगा तो उसके हिफाजत की व्यवस्था भी होगी. लेकिन अपोलो मिशन के अंतरिक्ष यात्री इतने खुशकिस्मत नहीं रहे. हालांकि बाद में जो मिशन भेजे गए उसमें हिफाजत के इतंजामात किए गए.


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हादसे का शिकार हुआ था अपोलो मिशन


अमेरिका के अपोलो मिशन से जुड़े तीन एस्ट्रोनॉट्स खाक हो गए थे.  व्यवस्था फुलप्रूफ थी लेकिन तकनीकी खामी की वजह से रॉकेट एएस-204 कमांड सर्विस मॉड्यूल में आग लगी और  इन तीनों के नाम गस ग्रिसम, एड व्हाइट और रॉजर शेफ था.ये तीनों लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस थे. मिशन पर जाने के लिए रॉकेट में सवार भी हो चुके थे लेकिन एकाएक कैप्सूल फट गया और महज 25.5 सेकेंड में तापमान 1 हजार डिग्री सेल्सियस के करीब जा पहुंचा. उसका असर यह हुआ कि अपोलो मिशन को तगड़ा झटका लगा. उसके बाद से नासा स्पेसक्रॉफ्ट सेफ्टी के लिए और तरीकों को अपनाने के लिए सोचना पड़ा.


सोयूज टी-10 के साथ ऐसा हुआ लेकिन..
इसी तरह का हादसा 27 सितंबर 1983 को रूस के सोयूज टी-10 रॉकेट के साथ हुआ. रूसी अंतरिक्ष यात्री व्लादिमीर तीटोव और गेनेडी स्ट्रेलोव सैल्यूट स्पेस स्टेशन से उड़ान भरने के लिए तैयार थे. काउंट डाउन अपने अंतिम स्टेज में था लेकिन लांच व्हीकल में आग लग गई. अच्छी बात यह रही कि पैड अबॉर्ट मेकनिज्म की वजह से दोनों की जान बच गई.इसी तरह 11 अक्टूबर 2018 को सोयूज एमएस-10 के जरिए जो अंतरिक्षयात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने वाले थे. लेकिन बूस्टर सेपरेशन में तकनीकी खामी आई और उसकी वजह से स्पेसक्राफ्ट में सवार एस्ट्रोनॉट्स के लिए रहना अनसेफ था. क्रू एस्केप सिस्टम की वजह से स्पेसक्राफ्ट को जमीन पर सुरक्षित उतारा गया.


इसरो ने दिया खास ध्यान
अपोलो मिशन की उस नाकामी से सीख लेकर इसरो ने गगनयान मिशन ने सेफ्टी पर ज्यादा ध्यान दिया है, इसरो भी क्रू एस्केप सिस्टम पर काम कर रहा है ताकि इमरजेंसी की स्थिति में क्रू मेंबर्स को सुरक्षित धरती पर लाया जा सके. बता दें कि टेस्ट फ्लाइट का नाम TV-D1 दिया गया है जिसमें टीवी का मतलब टेस्ट व्हीकल है. गगनयान प्रोग्राम के तहत इसे 21 अक्टूबर को सुबह 8 बजे लांच किया जाएगा. इसमें क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम को भी इंस्टाल किया गया है. इस टेस्ट की खासियत यह है कि अगर मिशन को किसी भी स्टेज पर अबॉर्ट करना पड़ा तो यह देखा जाएगा कि अंतरिक्ष यात्रियों की किस तरह हिफाजत की जा सकती है. टीवी -डी1 को 1.2 मैक स्पीड के साथ करीब 11.7 किमी की ऊंचाई पर भेजा जाएगा. इससे पहले पैड अबॉर्ट टेस्ट को 2018 में इसरो ने डिमांस्ट्रेट किया था.