When Pm Modi Cries For Ghulam Nabi Azad:  तारीख- 9 फरवरी. साल- 2021...कांग्रेस के एक सीनियर लीडर के लिए पीएम मोदी बोलते हुए भावुक हो गए. किसी को अंदाजा नहीं था कि यह क्‍या हो रहा है. लेकिन पीएम मोदी राज्यसभा में अपने दोस्‍त के योगदान का लगातार जिक्र करते जा रहे थे. प्रधानमंत्री इतने भावुक हुए की बोलते-बोलते रुक गए. उनके आंसू आने लगे. उन्होंने अपने आंसू पोछे.  फिर टेबल पर रखे गिलास से पानी पिया और कहा सॉरी. इसके बाद उन्होंने फिर अपना संबोधन शुरू किया. यह घटना जिसने देखी जब चकित थे. पीएम मोदी के जिसके लिए भावुक थे उस दोस्‍त का नाम था गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Azaad). और यह घटना है गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से रिटायरमेंट के समय की. 


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संसद में हुए विदाई समारोह में सभी नेताओं ने गुलाम नबी आजाद से जुड़ी यादों को साझा किया था. लेकिन इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण ने हर किसी को हैरान कर दिया था. गुलाम नबी आजाद की विदाई पर प्रधानमंत्री रो पड़े थे. उन्होंने आजाद से जुड़ी पुरानी बातों को याद किया और जमकर तारीफ भी की थी. एक आतंकी घटना का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री भावुक हो गए थे. 


 



 


 


आइए जानते हैं कि प्रधानमंत्री के लिए गुलाम नबी आजाद ने क्या-क्या कहा था? 
गुलाम नबी की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था,  'गुलाम नबी जी जब मुख्यमंत्री थे, तो मैं भी एक राज्य का मुख्यमंत्री था. हमारी बहुत गहरी निकटता रही. एक बार गुजरात के कुछ यात्रियों पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया, आठ लोग उसमें मारे गए. सबसे पहले गुलाम नबी जी का फोन मेरे पास आया. उनके आंसू रुक नहीं रहे थे. गुलाम नबी जी लगातार इस घटना की निगरानी कर रहे थे. वे उन्हें लेकर इस तरह से चिंतित थे जैसे वे उनके परिवार के सदस्य हों. मैं आजाद के प्रयासों और श्री प्रणब मुखर्जी के प्रयासों को कभी नहीं भूलूंगा. उस समय प्रणब मुखर्जी जी रक्षा मंत्री थे. मैंने उनसे कहा कि अगर मृतक शवों को लाने के लिए सेना का हवाई जहाज मिल जाए तो उन्होंने कहा कि चिंता मत करिए मैं करता हूं व्यवस्था. वहीं, गुलाम नबी जी उस रात को एयरपोर्ट पर थे.'  यह घटना सुनाते हुए पीएम मोदी भावुक हो गए. 


गुलाम नबी से सीखना चाहिए किस तरह संभाला जाता है पद
राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, पद आते हैं, उच्च पद आते हैं, सत्ता आती है और इन्हें किस तरह से संभालना है, यह गुलाम नबी आजाद जी से सीखना चाहिए.  मैं उन्हें सच्चा दोस्त समझूंगा. 


आइए अब आपको बताते हैं गुलाम नबी के जीवन के बारें में 
गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Azaad) का जन्म 7 मार्च, 1949 को जम्मू कश्मीर राज्य के डोडा जिले के भलेसा में हुआ था. गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस पार्टी का कई दशकों तक एक बड़ा चेहरा माना जाता रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह गुलाम नबी का गांधी परिवार से करीबी होना था. लेकिन समय का च्रक बदला और गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Azaad) ने कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र दे दिया और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (Democratic Progressive Azad Party) नाम की जम्मू कश्मीर में खुद की एक नई पार्टी बना डाली. 


गुलाम नबी आजाद 2005 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने
साल 1973 में वह सक्रिय राजनीति में आए। कांग्रेस में शामिल होने के बाद वह धीरे-धीरे सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए और 2005 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने. 50 साल के राजनीतिक करियर में वह दो बार लोकसभा सांसद और पांच बार राज्यसभा सांसद रहे. इसके अलावा वह कांग्रेस में उच्च पदों पर भी नियुक्त हुए और 1982 से कांग्रेस की हर सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे. वह 2006 और 2008 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सदस्य भी रहे. 


राजनीति के अलावा बाग-बगीचों का शौक
गुलाम नबी आजाद को शेर-ओ-शायरी के अलावा बाग-बगीचों का शौक है. उनके बगीचे के शौक को पीएम मोदी ने राज्यसभा में बताया था. पीएम मोदी ने कहा था कि आजाद ने तो दिल्ली में ही कश्मीर बना रखा है. इसके पीछे का कारण शायद उनका कश्मीर से लगाव था.


कांग्रेस से इस्तीफा
कांग्रेस में लगभग चार दशक बिताने के बाद गुलाम नबी आजाद कांग्रेस पार्टी से अलग हो गए थे. कांग्रेस में उनकी भूमिका विश्वासपात्र से लेकर संकट मोचक और पावर प्लेयर के रूप में थी. कर्नाटक में 2018 चुनाव के बाद जब जेडीएस के साथ गठबंधन की बात आई तो गुलाम नबी आजाद ने ही उसमें विशेष भूमिका निभाई थी. 


चुनाव में उतार रहे अपने प्रत्‍याशी 
आगामी लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को लेकर जम्मू-कश्मीर में भी हलचल तेज हो गई है डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने उधमपुर-डोडा संसदीय क्षेत्र से अपने उम्मीदवार घोषित कर दिया है. उन्होंने इस सीट से जी.एम. सरूरी को अपना उम्मीदवार बनाया है.