AIIMS Fees: देश के सबसे भरोसेमंद अस्पताल एम्स ने मरीजों की बेहतरी के लिए कुछ नए कदम उठाए हैं. सबसे बड़ा कदम ये कि एम्स में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए बेड की संख्या बढ़ाई जाएगी. साधारण बेड में 10%, तो आईसीयू बेड में 30% तक की बढ़ोतरी की जा सकती है. 


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जनसंपर्क विभाग की प्रमुख डॉक्टर रीमा दादा के मुताबिक, एम्स ने हाल ही में जच्चा बच्चा डिपार्टमेंट अलग से शुरू किया है. इसके अलावा सर्जरी विभाग, बुजुर्ग लोगों के लिए जिरियाट्रिक मेडिसिन, (Geriatric medicine) प्लास्टिक सर्जरी और बर्न डिपार्टमेंट को हाल ही में अलग करके शुरू किया गया है, जिसकी वजह से कुछ बेड की संख्या बढ़ी है. इनके अलावा एम्स में 3000 बेड अलग से बढ़ाए जाएंगे. इनमें 300 बेड्स केवल इमरजेंसी मरीजों के लिए रहेंगे. 


बनाए गए रैन बसेरे


एम्स के मेन गेट और अंदर के कैंपस में मरीजों की भीड़ कम करने के लिए रैन बसेरे बढ़ाए गए हैं. लेकिन गेट पर जमा मरीजों की भीड़ बराबर बनी हुई है. भारत में इस वक्त दिल्ली के अलावा 17 अलग-अलग AIIMS अलग-अलग चरणों में काम कर रहे हैं. लेकिन कई  AIIMS पूरी तरह से फंक्शनल ना होने की वजह से मरीजों को दिल्ली रेफर कर देते हैं . 


बिहार के दरभंगा से आए सत्यनारायण मिश्रा 2012 से अलग-अलग बीमारियों के लिए एम्स के चक्कर काट रहे हैं. फाइल मोटी हो चुकी है. एम्स की महीनों और सालों की तारीखों के बावजूद इन्हें इलाज पर भरोसा है. एम्स के इलाज से सत्यनारायण मिश्रा का कैंसर ठीक हो चुका है और अब वह दिल की बीमारी का इलाज करवा रहे हैं. 


एम्स के मेन गेट पर मरीजों को जानकारी देने के लिए एक हेल्पलाइन काउंटर भी बनाया गया है. हालांकि यह काउंटर किसी भी मरीज को यह नहीं बता पाया कि उसे इलाज टेस्ट और ऑपरेशन के लिए जो महीनों लंबी तारीखें मिल रही हैं, उन्हें कम कैसे किया जा सकता है. 


एम्स ने उठाए हैं ये कदम 


  • 1 मार्च से एम्स में मिलेट्स कैंटीन की शुरुआत हो रही है, जिसमें मोटे अनाज वाला खाना और स्नैक्स मिलने लगेंगे. बाकी कैंटीन में भी सेहतमंद खाने के ऑप्शन जोड़े जाएंगे. 

  • ई कैजुअल्टी यानी इमरजेंसी में कितने बेड उपलब्ध हैं, इसे ऑनलाइन देखा जा सकेगा. मेन वेबसाइट पर इमरजेंसी डैशबोर्ड का विकल्प मौजूद है. हालांकि फिलहाल कई तकनीकी दिक्कतों की वजह से यह लिंक काम नहीं कर रहा है . 

  • इसी तरह एम्स में बेड बढ़ाने के लिए बजट के आवंटन का इंतजार किया जा रहा है. यानी मरीजों को राहत की योजनाएं कागजों पर तो उतर आई हैं,  उन्हें अमल में आने में अभी कुछ महीने लग सकते हैं. 


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