Social Media Post हटाने के निर्देश पर हंगामा, IT Ministry ने कहा, ‘Criticism नहीं, Fake News रोकना उद्देश्य’
रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों का कहना है कि सरकार का यह कदम आलोचना पर लगाम लगाना नहीं बल्कि ऐसी पोस्ट या खबरों को लोगों तक पहुंचने से रोकना है, जिनमें गलत या भ्रामक जानकारी है. कुछ लोग फोटो या बयानों से छेड़छाड़ करके जानबूझकर सरकार को निशाना बना रहे हैं.
नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच भ्रामक और फर्जी खबरों (Fake न्यूज) को लेकर सरकार सख्त हो गई है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सोशल मीडिया (Social Media) प्लेटफॉर्म जैसे कि ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब से ऐसे लगभग 100 पोस्ट (Post) और यूआरएल हटाने को कहा है, जो किसी न किसी तरह से गलत जानकारी लोगों तक पहुंचा रहे हैं. सरकार के इस निर्देश पर एक्शन भी शुरू हो गया है. हालांकि, इसे लेकर सवाल भी उठाए जा रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि उसका मकसद केवल भ्रामक और फर्जी खबरों पर लगाम लगाना है, ताकि लोगों में बेवजह डर पैदा न हो.
दुरुपयोग पर Home Ministry है गंभीर
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, सूचना एवं प्रौद्योगिकी (IT) मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जिन पोस्ट (Post) को हटाने को कहा गया है वो कथित रूप से असंबंधित, पुराने और संदर्भित छवियों या दृश्यों से अलग, सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील और कोविड-19 के बारे में गलत जानकारी फैलाने वाले हैं. मंत्रालय ने यह कदम गृह मंत्रालय (Home Ministry) की अनुशंसा के बाद उठाया गया है. गृह मंत्रालय ने कुछ लोगों द्वारा सोशल मीडिया के दुरुपयोग को गंभीरता से लिया है.
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Corona से जंग हो रही प्रभावित
सूत्रों का कहना है कि सरकार का यह कदम आलोचना पर लगाम लगाना नहीं बल्कि ऐसी पोस्ट या खबरों को लोगों तक पहुंचने से रोकना है, जिनमें गलत या भ्रामक जानकारी है. कुछ लोग फोटो या बयानों से छेड़छाड़ करके जानबूझकर सरकार को निशाना बना रहे हैं और कोरोना से जंग को प्रभावित कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग कहीं की तस्वीर को कहीं और की बताकर भ्रम और डर फैला रहे हैं. ऐसे ही लोगों को नियंत्रित करने के लिए यह कदम उठाया गया है. इसके अलावा सरकार का इसके पीछे कोई और मकसद नहीं है.
इनके Post हटाने के निर्देश
जिन लोगों के पोस्ट हटाने के निर्देश दिए गए हैं उसमें कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा (Pawan Khera) भी हैं. खेड़ा ने पिछले साल तबलीगी जमात, इस साल के कुंभ और सियासी रैलियों को जोड़ते हुए पोस्ट किये थे. इसी तरह, कांग्रेस सांसद रेवनाथ रेड्डी (Revnath Reddy), पश्चिमी बंगाल के मंत्री मौली घटक (Moly Ghatak), अवनीश दास (Avinash Das), डॉक्टर कफील खान (Dr. Kafeel Khan) और फिल्म निर्माता विनोद कापड़ी (Vinod Kapri) के पोस्ट हटाने के निर्देश भी दिए गए हैं. इन सभी पर पुराने फोटो या बयान इस्तेमाल करके भ्रम फैलाने का आरोप है. हालांकि, पवन खेड़ा ने अपना ट्वीट हटाए जाने को लेकर कानूनी नोटिस भेजा है.
Twitter ने दिया यह बयान
मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल सरकार की आलोचना करने, मदद लेने और यहां तक कि COVID-19 महामारी से निपटने के लिए सुझाव देने के लिए किया जा सकता है, लेकिन कुछ लोग जानबूझकर फर्जी खबरें फैला रहे हैं, जो समाज के लिए खतरनाक हैं. इसलिए उनके पोस्ट हटाने को कहा गया है. वहीं, फेसबुक और इंस्टाग्राम ने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है. हालांकि. ट्विटर के प्रवक्ता ने बताया है कि हमें वैध अनुरोध प्राप्त हुए हैं, जिसकी हम ट्विटर के नियम और स्थानीय कानून के अनुसार समीक्षा करेंगे. यदि कोई भी कंटेंट हमारे नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे तुरंत हटा दिया जाएगा.
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