शोपियां: जम्मू-कश्मीर के 20 जिले में से एक है शोपियां. ये श्रीनगर से सिर्फ 60 किलोमीटर दूर है. ढाई लाख से अधिक आबादी वाला ये जिला 2 साल पहले तक आतंकवाद और पत्थरबाजी के लिए बदनाम था. 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अब तक यानी 2 साल में शोपियां कितना बदला... बदला भी या नहीं... ये जानने के लिए ज़ी मीडिया की टीम शोपियां पहुंची. 


कितना बदल गया जहांगीर चौक का नजारा? 


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ज़ी मीडिया की टीम सबसे पहले शोपियां के जहांगीर चौक पहुंची. यहां पहले पत्थर बरसाए जाते थे. शाम 4 बजे के बाद घरों से लोग नहीं निकलते थे लेकिन अब यहां नजारा कुछ और ही है. अब लोग शोपियां टाउन में बेखौफ होकर आते हैं. घूमते हैं, शॉपिंग करते हैं और आराम से अपने घर लौट जाते हैं. कई बड़े शॉप भी यहां हैं और बड़ी बात ये है कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर यहां के युवा इन शॉप को चला रहे हैं.


पत्थरबाजी छोड़ रोजगार की राह पर युवा


एक दुकान के मालिक हसन ने बताया कि सरकार की स्कीम से उन्हें 15 लाख रुपये का लोन मिला जिससे उन्होंने अपनी दुकान शुरू की. हसन के मल्टी स्टोर ब्रांड से शोपियां के कई युवाओं को रोजगार मिला है.


शोपियां के रहने वाले इरफान का कहना है कि वो पत्रकार बनना चाहते थे, लेकिन उनके परिवार का कहना है कि कश्मीर से बाहर यहां के लोगों को अलग तरह से देखा जाता है. इसलिए उनके परिवार ने उन्हें पत्रकारिता की पढ़ाई करने के लिए बाहर नहीं जाने दिया. लेकिन ज़ी मीडिया की टीम ने इरफान की ये ख्वाहिश पूरी कर दी और अपना माइक देकर उनसे शोपियां के मौजूदा हालात पर रिपोर्ट बताने को कहा.


370 हटने के बाद सुधरे हालात


इरफान की ही तरह समीर नाम के एक युवा से बात करने पर पता चला कि 370 हटने से पहले जो सरकारें थीं उन्होंने शोपियां के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने शोपियां को सिर्फ लूटा. अब हालात सुधर रहे हैं. समीर का कहना है कि भ्रष्टाचार में कमी आई है. यहां पहले की तुलना में आपराधिक घटनाओं में कमी आई है. 


ग्रेनेड नहीं अब शिक्षा के ग्रेड की होती है बात


शोपियां के लोगों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने और राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद लोगों की सोच भी बदली. सुरक्षाबलों ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर युवाओं का माइंडसेट बदलने में अहम भूमिका निभाई. अब यहां ग्रेनेड की नहीं शिक्षा के ग्रेड की बात होती है. अब शोपियां पत्थरबाजों का नहीं, रोजगार के रास्ते पर बढ़ते युवाओं का शहर बनता जा रहा है.


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