DNA Analysis: पूरी दुनिया में इस्लाम धर्म के ठेकेदारों ने लोगों को मानसिक रूप से इस तरह सैनिटाइज़ कर दिया है कि अब इस्लाम धर्म के अपमान पर किसी की हत्या भी कर दी जाए तो उसकी आलोचना नहीं होती बल्कि इस तरह की हत्याओं को सही ठहराया जाता है. यानी लोगों ने एक खास समुदाय की इस असहनशीलता को स्वीकार कर लिया है. इसकी वजह से ऐसे मुद्दों पर जब हिंसा होती है, हत्याएं होती हैं तो उन्हें जायज बताया जाता है जबकि दूसरे धर्मों में ऐसा नहीं है.


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क्या जिहाद के नाम पर काट सकते हैं किसी का गला?


आपको याद होगा, वर्ष 2015 में जब फ्रांस की एक मैग्ज़ीन शार्ले हेब्दो में पैगम्बर मोहम्मद साहब के कुछ कार्टून प्रकाशित हुए थे तो आतंकवादियों ने इस Magazine के दफ्तर में घुस कर 12 पत्रकारों की हत्या कर दी थी. उस समय इस्लामिक कट्टरपंथियों ने पूरी दुनिया को यही संदेश दिया था कि अगर किसी ने पैगम्बर मोहम्मद साहब का अपमान किया तो उसकी हत्या कर दी जाएगी और इस हत्या को गलत नहीं माना जाएगा.


इसी तरह वर्ष 2020 में जब फ्रांस के एक स्कूल में Samuel Patty नाम के एक टीचर ने अपनी क्लास में पैगम्बर मोहम्मद साहब के कुछ कार्टून दिखा दिए थे तो आतंकवादियों ने उनकी भी गला काट कर हत्या कर दी थी. इस हत्या पर भी तब मुस्लिम देश चुप रहे थे और अपना समर्थन दिया था.


कुल मिला कर कहें तो आज पूरी दुनिया को मानसिक रूप से ये बात मानने के लिए मजबूर कर दिया गया है कि अगर किसी ने पैगम्बर मोहम्मद साहब का अपमान किया तो उसकी हत्या कर दी जाएगी और इस हत्या को सभी रूपों में जायज़ माना जाएगा. अब ये लोग नुपूर शर्मा को भी ऐसी ही सज़ा देने की मांग कर रहे हैं. 



फ्रांस से क्या सीख सकता है भारत? 


हालांकि हमारे देश चाहे तो फ्रांस से काफ़ी कुछ सीख सकता है. जब फ्रांस में Samuel Patty नाम के इस टीचर की गला काटकर हत्या की गई थी, तब फ्रांस के लोग इसके खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे. इन लोगों ने ये कहना शुरू कर दिया था कि वो भी Samuel Patty हैं और इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ वो मरने के लिए भी तैयार हैं.


उस समय फ्रांस की सरकार इस धार्मिक जेहाद के खिलाफ कड़े कानून लेकर आई थी और उसने झुकने से इनकार कर दिया था. आज जो कुछ हमारे देश में हो रहा है, उसे रोकने के लिए सरकार को भी कड़े कदम उठाने की जरूरत है.


ये इत्तेफाक ही है कि जिस समय उदयपुर में ये घटना हुई, उस समय प्रधानमंत्री UAE में थे. मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) जर्मनी से लौटते वक्त एक घंटे के लिए UAE की राजधानी अबू धाबी में रुके और इस दौरान UAE के मौजूदा राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने एयरपोर्ट पर उनका शानदार स्वागत किया. इस दौरान दोनों नेताओं ने एक दूसरे को गले भी लगाया. प्रधानमंत्री मोदी ने UAE के पूर्व राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर भी शोक व्यक्त किया. 


UAE वही देश है, जिसने पिछले दिनों नुपूर शर्मा के मामले में भारत के खिलाफ़ आपत्ति दर्ज कराई थी. अब भारत में ये मुद्दा काफी बड़ा होता जा रहा है. इसलिए आज हमारा उन तमाम मुस्लिम देशों से भी ये सवाल है कि क्या वो उदयपुर में हुई इस घटना का उसी तरह से विरोध करेंगे, जैसे उन्होंने नुपूर शर्मा के मामले में भारत का विरोध किया था.


UAE और भारत एक दूसरे के लिए बन गए जरूरी


आपको ये भी समझना चाहिए कि UAE और भारत ये दोनों देश एक दूसरे के लिए कितने ज़रूरी हैं?


चीन और अमेरिका के बाद UAE भारत का तीसरा सबसे बड़ा Trade Partner है. जबकि UAE के लिए भारत उसका दूसरा सबसे बड़ा Trade Partner है. वर्ष 2019-20 में दोनों देशों के बीच 4 लाख 60 हजार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था. अमेरिका के बाद भारत सबसे ज्यादा निर्यात UAE को ही करता है. वर्ष 2019 में भारत ने UAE को 2 लाख 26 हजार करोड़ रुपये की वस्तु और सेवाओं का निर्यात किया था.


आज UAE चीनी, फल, हरी सब्ज़ियां, चाय, मीट, कपड़े, Chemicals कीमती धातु और पत्थर के लिए काफी हद तक भारत पर निर्भर है. जबकि भारत कच्चे तेल के लिए UAE पर निर्भर है. सऊदी अरब और इराक के बाद भारत अपनी जरूरत का 10 प्रतिशत कच्चा तेल UAE से ही खरीदता है.


UAE में रहते हैं 35 लाख भारतीय


UAE की कुल आबादी लगभग एक करोड़ है, जिनमें 35 लाख लोग अकेले भारत से हैं. यानी UAE की कुल आबादी में 35 प्रतिशत तो सिर्फ भारतीय हैं. बड़ी बात ये है कि 2018 में दूसरे देशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों ने लगभग 6 लाख करोड़ रुपये भारत भेजे थे, जिनमें से एक लाख करोड़ रुपये अकेले UAE से आए थे. हालांकि UAE और भारत में एक बहुत बड़ा अंतर है.


UAE एक मुस्लिम राष्ट्र है जबकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. दुख की बात ये है कि हमारे देश में आज लोगों को धर्मनिरपेक्ष होने की सजा उनका गला काट कर दी जा रही है.


पीएम मोदी की उपहार वाली पॉलिसी


इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी जर्मनी में थे, जहां उन्होंने G-7 समिट में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने G-7 देशों के राष्ट्राध्यक्षों को खास उपहार भी दिए. ये प्रधानमंत्री मोदी की गिफ्ट वाली डिप्लोमेसी है, जिसमें वो भारतीय संस्कृति और उसकी विरासत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लगातार रखते रहे हैं.


- प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने अमेरिका के राष्ट्रपति Joe Biden को वाराणसी में बना खास गुलाबी मीनाकारी Brooch और Cufflink Set भेंट किया. ये Cufflink Set.. Joe Biden के लिए था जबकि इसी मैचिंग का गुलाबी मीनाकारी Brooch.. First Lady Jill Biden के लिए है.


- फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुयल मैक्रों को प्रधानमंत्री मोदी ने जरी जरदोज़ी Box में इत्र भेंट किए है. जिसे लखनऊ की पहचान माना जाता है. इस पर हाथ से नक्काशी की गई है और इसके अन्दर रखे कपड़े पर फ्रांस के राष्ट्रीय ध्वज के रंग का इस्तेमाल किया गया है.


- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री Boris Johnson को प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर का Hand Painted Tea Set तोहफे में दिया है. जिसके बाहरी हिस्से पर Platinum Metal Paint का इस्तेमाल हुआ है. क्योंकि ब्रिटेन की महारानी Queen Elizabeth Second इस साल अपनी ताजपोशी की Platinum Jubilee मना रही हैं.


विदेशी शासनाध्यक्षों को दिए खास उपहार


- इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने इटली के प्रधानमंत्री को मार्बल से तैयार किया गया एक Table Top कनाडा के प्रधानमंत्री को कश्मीर में हाथ से बुना गया रेशमी कालीन और जापान के प्रधानमंत्री को मिट्टी के बर्तन गिफ्ट किए हैं. जो उत्तर प्रदेश के निजामाबाद की पारम्परिक विरासत को दर्शाते हैं. इस बर्तन की खास बात है, इसका काला रंग. इसे बनाते समय ये सुनिश्चित किया जाता है कि इसमें ऑक्सीजन का प्रवेश ना हो. इसी से इन बर्तनों को ये काला रंग मिलता है.


- इस सूची में कुछ और खास तोहफे हैं. जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मनी के चांसलर को Metal मरोडी के नक्काशी वाला मटका भेंट किया है. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को राम दरबार, सेनेगल के राष्ट्रपति को सीतापुर की मूंज की टोकरियां और कपास की दरियां और Argentina के राष्ट्रपति को छत्तीसगढ़ की नंदी-थीम वाली डोकरा कलाकृति भेंट की है.


भारतीय हस्तकला को खास पहचान दिला रहे पीएम मोदी


इन तोहफों के चयन से आप समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी कैसे भारत की हस्त शिल्पकला और हुनर को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक नई पहचान दिला रहे हैं. असल में वो भारत की सांस्कृति विरासत के सबसे बड़े Brand Ambassador बन कर इसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं.