Gujarat Phase 1 Election 2022 Jambur: गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए 18 जिलों की 182 सीटों में से 89 पर मतदान शुरू हो गया है. भारत के मिनी अफ्रीकी गांव जंबूर (Mini Aficans Jambur Village) के कई मतदाता पहली बार अपने विशेष आदिवासी बूथ में मतदान करेंगे. इससे पहले गुजरात के मिनी अफ्रीकी गांव जम्बूर के लोगों ने अपने विशेष आदिवासी बूथ पर मतदान करने के पहले अवसर पर जश्न मनाया. उन्होंने इस बात पर जमकर खुशियां मनाई क्योंकि उन्हें पहली बार विशेष आदिवासी बूथ पर मतदान करने का मौका मिलेगा. 


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वोटिंग से पहले मचाया धमाल


अफ्रीकी समुदाय के इन लोगों में लोकतंत्र के महापर्व के मौके पर जमकर उत्साह दिखा. इन लोगों ने वोटिंग की पूर्व संध्या पर जो जश्न शुरू किया वो देर रात तक चलता रहा. नाचते-गाते हुए इन अफ्रीकी लोगों ने कहा कि पहली बार वोटिंग करने जा रहे हैं इसलिए, जश्न तो बनता है.


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रहमान ने किया इंडिया का गुणगान


सिद्धि आदिवासी समुदाय से आने वाले जंबूर गांव के वरिष्ठ नागरिक रहमान ने कहा, 'यह बड़े सम्मान और खुशी की बात है कि चुनाव आयोग (EC) ने हमारे लिए मतदान करने के खातिर एक विशेष बूथ बनाया है. हम सालों से इस गांव में रह रहे हैं. लेकिन पहली बार कुछ ऐसा हो रहा है  जिससे हमें बहुत ज्यादा खुशी मिली है. हमारे पूर्वज अफ्रीका से हैं और हम कई साल पहले भारत आए थे. जब जूनागढ़ में किला बन रहा था, तब हमारे पूर्वज यहां काम करने आए थे. पहले हम रतनपुर गांव में बसे और फिर धीरे-धीरे इस गांव में आ गए.'


समुदाय का युवा लड़ रहा चुनाव


रहमान ने ये भी बताया कि हमारे पूर्वज अफ्रीका से होने के बावजूद हम भारत और गुजरात की परंपरा का पालन करते हैं. वहीं तलाला सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले अब्दुल मगुज ने कहा कि क्षेत्र में स्थानीय समुदाय पीड़ित है. हमारा गांव 2 नदियों के बीच में स्थित है जहां सब एक साथ रहते हैं. मैं यहां से तीसरी बार चुनाव लड़ रहा हूं. हम चाहते हैं कि हम भी विधानसभा जाएं. हमें अधिकार मिले ताकि हम और अच्छा काम कर सकें.'


सरकार से खुश हैं लोग


अब्दुल ने बताया कि हमारे इलाके को भारत का अफ्रीका कहा जाता है. हमें सिद्धि आदिवासी समुदाय के रूप में जाना जाता है. सरकार आदिवासियों को मदद देती रहती है, इसमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन हमारे स्थानीय समुदाय को यहां भुगतना पड़ता है, हमें उतनी सुविधाएं नहीं मिलती हैं.'


खेती इस समुदाय का मुख्य व्यवसाय है. खेती के अलावा, इस समुदाय के लोग स्थानीय जस सिद्धि आदिवासी नृत्य करते हैं. जहां भी पर्यटक आते हैं, वहां ये लोग अपना कार्यक्रम पेश करते हैं. यहां के कुछ युवा रैपर बनकर धमाल मचाते हैं. उनका कहना है कि ऐसा करने से उनकी अच्छी खासी इनकम हो जाती है.


अफ्रीकी मूल के लोग यहां कब आए इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि गुजरात में बीते 200 सालों से अफ्रीकी मूल के लोग रह रहे हैं. वास्तव में इस गांव का नजारा देखकर भारत में मिनी अफ्रीका की झलक दिखाई देती है.


(इनपुट: ANI)


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