गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में इस बार राहुल गांधी 'प्रचलित' छवि के उलट मुखर रूप से नए रूप में दिखे. उन्‍होंने मुखर अंदाज में बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती दी. इन सबका असर यह हुआ कि पिछले कई वर्षों के बाद कांग्रेस गुजरात में चुनाव आक्रामक रूप से लड़ती हुई दिखी. हालांकि नतीजे पार्टी की अपेक्षा के अनुरूप नहीं दिखे लेकिन गुजरात में प्रदर्शन बेहतर रहा. कहीं न कहीं यह माना जा रहा है कि बीजेपी के वोटबैंक में थोड़ा-बहुत ही सही लेकिन कांग्रेस ने सेंधमारी की है. इसका श्रेय राहुल गांधी के उठाए चुनावी मुद्दों को ही दिया जा रहा है. इन चुनावों में राहुल गांधी लोगों को एक नए अवतार में दिखे. राजनीतिक विश्‍लेषकों ने भी यह कहा कि 13 साल के सियासी सफर के बाद राहुल गांधी परिपक्‍व नेता के रूप में उभरे हैं. नतीजे आने के बाद विश्‍लेषकों ने भी यह माना कि भले ही कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है लेकिन उनकी 'अपील' बढ़ी है. 


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अशोक गहलोत
संभवतया इसी कड़ी में गुजरात में कांग्रेस के चुनाव प्रभारी अशोक गहलोत ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव की विजेता है, फिर चाहे वह राज्य में भाजपा को हराने में कामयाब नहीं भी रहे. गहलोत ने कहा, "भाजपा (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) ने भावात्मक मुद्दों पर चुनाव लड़ा. मोदी ने मतदाताओं से कहा कि वह गुजरात के बेटे हैं. उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है." 


उन्होंने संवाददाताओं को बताया, "लेकिन कांग्रेस ने वास्तविक चुनाव अभियान किया और किसानों, दलितों, जनजातियों और व्यापारियों से संबंधित मुद्दों पर बात की. हमने लोगों से बात करने के बाद गुजरात के लोगों के लिए अपने घोषणापत्र को औपचारिक रूप दिया." यह पूछे जाने पर कि क्या गुजरात में जीत या हार का श्रेय पार्टी के नए अध्यक्ष राहुल गांधी को दिया जाएगा? इसके जवाब में गहलोत ने कहा कि यह काल्पनिक सवाल है. उन्होंने कहा, "काल्पनिक बातें नहीं करें. जो भी चुनाव परिणाम होंगे, कांग्रेस और राहुल गांधी ही असली विजेता हैं."


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22 वर्षों से गुजरात में बीजेपी का राज
गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं. वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 121 और कांग्रेस को 45 सीटें मिली थीं. वर्ष 1995 में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला था, लेकिन उस वक्त बीजेपी के दो बड़े नेताओं शंकर सिंह वघेला और केशू भाई पटेल के मतभेदों की वजह से सरकार नहीं चल पाई. 1998 में विधानसभा चुनाव हुए जिनमें बीजेपी को 117 सीटें मिली और कांग्रेस को 53 सीटें मिलीं. यानी कांग्रेस की सीटों में इज़ाफ़ा हुआ और बीजेपी की सीटों में कमी आई. हालांकि सरकार बीजेपी की ही बनी और केशू भाई पटेल मुख्यमंत्री बनाए गए. लेकिन वर्ष 2001 में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने केशुभाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बना दिया. 


इसके बाद वर्ष 2002 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 127 और कांग्रेस को 51 सीटें मिलीं. ये अब तक हुए चुनावों में बीजेपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन था. वर्ष 2002 के बाद 2007 में विधानसभा चुनाव हुए.  वर्ष 2007 में बीजेपी को 117 और कांग्रेस को 59 सीटें मिलीं. आप देख सकते हैं कि वर्ष 2002 के मुकाबले वर्ष 2007 में बीजेपी की 10 सीटें घट गईं और कांग्रेस की 8 सीटें बढ़ गईं.


इसके बाद वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव हुए. इन चुनावों में भी सरकार बीजेपी की ही बनी. लेकिन इस बार भी बीजेपी की सीटें कम हुईं और कांग्रेस की सीटें बढ़ गईं. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 115 और कांग्रेस को 61 सीटें मिलीं. यानी बीजेपी की 2 सीटें घट गईं और कांग्रेस की 2 सीटें बढ़ गईं.