Mohan Bhagwat on Gyanwapi: आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने नागपुर में कहा कि भारत किसी को जीतने के लिए नहीं बल्कि सभी को जोड़ने के लिए अस्तित्व में है. हम अपने प्रयासों को और मजबूत करेंगे ताकि देश को और ताकतवर बना सकें. सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा, 'क्या हम 'विश्वविजेता' बनना चाहते हैं? नहीं हमारी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है. हमें किसी को जीतना नहीं है. हमें सबको जोड़ना है. संघ भी सबको जोड़ने का काम करता है जीतने के लिए नहीं.


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उन्होंने आगे कहा, अभी ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है. हम इतिहास नहीं बदल सकते. इसे ना तो आज के हिंदुओं और ना ही आज के मुसलमानों ने इसे पैदा किया है. वो एक दौर था. इस्लाम आक्रमणकारियों के साथ बाहर से आया. हमलों में भारत की आजादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थानों को ध्वस्त कर दिया गया. ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर उन्होंने कहा, ''हमें रोज़ एक नया मामला नहीं उठाना चाहिए. हम विवाद क्यों बढ़ाएं? हमारी ज्ञानवापी के प्रति भक्ति है और हम उसके अनुसार कुछ कर रहे हैं, यह ठीक है. लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों करना? " 



भागवत ने कहा, मुद्दे उन जगहों को लेकर उठाए गए जहां हिंदुओं की ज्यादा आस्था है. हिंदू मुसलमानों के खिलाफ नहीं सोचते. आज के मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू थे. यह उन्हें हमेशा के लिए स्वतंत्रता से अलग रखने और मनोबल को दबाने के लिए किया गया था. इसलिए हिंदुओं को लगता है कि उनके (धार्मिक स्थलों) को बहाल किया जाना चाहिए.


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भागवत ने कहा, हमें अपने प्रयास और मजबूत करने होंगे और हमें ताकतवर बनना होगा. अगर भारत के हाथ में इतनी ताकत होती तो दुनिया के सामने ऐसी घटना नहीं आती. मन में कोई बात हो तो उठ जाती है. यह किसी के खिलाफ नहीं है. मुसलमानों को ऐसा नहीं मानना चाहिए और हिंदुओं को भी ऐसा नहीं करना चाहिए. कुछ ऐसा होता है, आपसी सहमति से रास्ता तलाशें.


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मोहन भागवत ने कहा, रास्ता कभी बाहर से नहीं आता. लोग अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं, और अगर ऐसा किया जाता है तो अदालत जो भी फैसला करे उसे स्वीकार करना चाहिए. हमें अपनी न्यायिक प्रणाली को पवित्र और सर्वोच्च मानते हुए निर्णयों का पालन करना चाहिए. उसके फैसलों पर सवाल नहीं उठाना चाहिए. भागवत ने कहा कि हम किसी भी तरह की पूजा के विरोधी नहीं हैं. हम उन सभी को स्वीकार करते हैं और उन सभी को पवित्र मानते हैं. उन्होंने पूजा का वह रूप अपनाया हो सकता है लेकिन वे हमारे ऋषियों, मुनियों, क्षत्रियों के वंशज हैं. हम एक ही पूर्वजों के वंशज हैं. 


 


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