हैदराबाद: 'नफरत वाले भाषण (Hate Speech)' देने को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी (Akbaruddin Owaisi) के खिलाफ दर्ज मामले में हैदराबाद की विशेष अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया. असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी को 10 साल पुराने मामले में कोर्ट ने बरी कर दिया है. सांसदों और विधायकों के खिलाफ सुनवाई करने वाली विशेष सत्र अदालत ने इससे पहले फैसला सुनाने का दिन मंगलवार (12 अप्रैल) तय किया था, लेकिन बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष के वकील की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला बुधवार तक के लिए टाल दिया.


साल 2012 में दर्ज किया गया था अकबरुद्दीन के खिलाफ मामला


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अकबरुद्दीन तेलंगाना विधान सभा में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता हैं. अकबरुद्दीन के खिलाफ निजामाबाद और निर्मल में कथित रूप से नफरत फैलाने वाला भाषण देने का मामला वर्ष 2012 में दर्ज किया गया था. इस मामले की सुनवाई को लेकर अकबरुद्दीन मंगलवार को अदालत के सामने पेश हुए थे.


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समुदाय विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक भाषण का आरोप


एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) के छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी (Akbaruddin Owaisi) के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. उन पर सार्वजनिक भाषण के दौरान एक समुदाय विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक और भड़काने वाली भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप है.


विवादित भाषण के बाद हुई थी अकबरुद्दीन की गिरफ्तारी


अकबरुद्दीन ओवैसी (Akbaruddin Owaisi) ने कथित रूप से नफरत फैलाने वाला भाषण निजामाबाद में आठ दिसंबर, 2012 को और निर्मल कस्बे में 22 दिसंबर, 2012 को भाषण दिया था. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था, लेकिन वह जमानत पर जेल से बाहर हैं. अपराध जांच विभाग (CID) ने निजामाबाद मामले की जांच करके साल 2016 में आरोपपत्र दाखिल किया. इसी तरह निर्मल मामले में भी जिला अदालत ने साल 2016 में आरोपपत्र दाखिल किया.


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