वाराणसी: अयोध्या के बाद अब ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर विवाद (Gyanvapi Mosque- Kashi Vishwanath Temple Dispute) पर सबकी निगाहें अदालत पर टिक गई हैं. इस मामले में आज वाराणसी के जिला न्यायालय में सुनवाई होने वाली है. उम्मीद है कि आज इस पर फैसला हो जाएगा कि केस की सुनवाई वाराणसी कोर्ट में होगी या फिर लखनऊ ट्रिब्यूनल कोर्ट में. 


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हुई थी जबरदस्त बहस
सुनवाई कहां हो, इसी मुद्दे पर कुछ दिनों पहले अदालत में जबरदस्त बहस हुई थी. दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क दिए, जिसे सुनने के बाद न्यायाधीश ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. लिहाजा, आज होने वाली सुनवाई में इस संबंध में फैसला होने की उम्मीद है. दरअसल, सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni Waqf Board) चाहता है कि यह मामला वक्फ लखनऊ ट्रिब्यूनल कोर्ट में चलाया जाए. 


ZEE NEWS के पास EXCLUSIVE दस्तावेज
ZEE NEWS के पास काशी विश्वनाथ मंदिर के ऐतिहासिक EXCLUSIVE दस्तावेज हैं, जिनके मुताबिक 1669 में औरंगजेब के आदेश पर काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़ा गया था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि हमारे लिए जैसी अयोध्या है वैसी ही काशी है. मालूम हो कि अयोध्या पर कोर्ट के फैसले के बाद से काशी विश्वनाथ को लेकर कानूनी लड़ाई तेज हो गई है. 


सुन्नी बोर्ड का तर्क
सुन्नी वक्फ बोर्ड का तर्क है कि इस मामले की सुनवाई निचली अदालत में नहीं हो सकती है. इसी को लेकर बोर्ड के वकील ने 18 सितंबर को सिविल रिवीजन दाखिल किया था, जिस पर स्वयंभू विशेश्वर का पक्ष जानने के लिए कोर्ट ने 28 सितंबर की तारीख दी थी. इस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. 


क्या है विवाद?
कहा जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने करवाया था और यह निर्माण मंदिर तोड़कर किया गया था. इसी को लेकर पूरा विवाद है. 1991 में ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वनाथ के पक्षकार पंडित सोमनाथ ने मुकदमा दायर करते हुए कहा था कि मस्जिद, विश्वनाथ मंदिर का ही हिस्सा है और यहां हिंदुओं को दर्शन, पूजापाठ के साथ ही मरम्मत का भी अधिकार होना चाहिए. उन्होंने दावा किया था कि विवादित परिसर में बाबा विश्वनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है.