शिवांक मिश्रा, नई दिल्ली: शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में सोमवार तड़के करीब 3 बजकर 15 मिनट से प्रदर्शन स्थल के बाहर कालिंदी कुंज रोड पर भारी संख्या में पुलिस बल और अर्धसैनिक बल तैनात हो गए हैं. बता दें कि रविवार सुबह से ही इलाके में धारा 144 लागू है और किसी भी प्रकार के धरना प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा हुआ है. पुलिस का कहना था कि हिंदू सेना और अन्य संगठन ने 1 मार्च को शाहीन बाग में प्रदर्शन की घोषणा की थी हालांकि हिंदू सेना ने अपना प्रदर्शन रद्द कर दिया लेकिन पुलिस ने एहतियातन सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए हैं.


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गौरतलब है कि शाहीन बाग में जारी सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शन देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है. शाहीन बाग के आंदोलन के बाद देश के कई शहरों में भी ऐसे ही प्रदर्शन हुए. शाहीन बाग का मसला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. इससे पहले 26 फरवरी को शाहीन बाग में सड़क खुलवाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हिंसा पर भी बात की थी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि शाहीन बाग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए माहौल ठीक नहीं है, फिलहाल सुनवाई टालना सही रहेगा.


इससे पहले 24 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन ने सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी. वार्ताकारों ने यह रिपोर्ट दिल्ली के शाहीन बाग के सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत के बाद सौंपी थी. कोर्ट वकील अमित साहनी व भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. साहनी व गर्ग ने अपनी याचिका में शाहीनबाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग की है. प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली व नोएडा को जोड़ने वाली एक प्रमुख मार्ग को रोक दिया है.


शाहीन बाग में नाकाबंदी हटाने के लिए चल रहे प्रयासों में शामिल वजाहत हबीबुल्ला ने 23 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी स्थल पर सड़क को खोलने के लिए समाधान सुझाए थे. हलफनामे में कहा गया था कि आस-पास की कुछ सड़कों पर लगे बैरिकेड्स हटाने से स्थिति में तुरंत राहत मिल सकती है.


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