नई दिल्ली: असम में एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशन के बाद बिना दस्तावेज वाले लोगों के भविष्य को लेकर योजना तैयार करने के लिए सरकार ने उच्च स्तरीय कमेटी बनाने का फैसला किया है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा मंगलवार रात बुलाई गई बैठक में कमेटी के गठन का फैसला किया गया. इसमें केंद्र और असम सरकार के प्रतिनिधियों के साथ असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल तथा अन्य मौजूद थे.


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बैठक में हिस्सा लेने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को बताया,‘राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची से बाहर के लोगों के भविष्य को लेकर उच्च स्तरीय कमेटी फैसला करेगी.’


फिलहाल, मसौदा एनआरसी से बाहर कुल 40 लाख लोगों में महज 6 लाख लोगों ने ही असम की नागरिकता सूची में अपना नाम शामिल करवाने के लिए आवेदन और भारतीय नागरिकता के दावे वाले संबंधित दस्तावेज सौंपे हैं. 


अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित कमेटी असम में बिना दस्तावेज वाले सभी लोगों के संबंध में उपलब्ध विकल्पों पर गौर करेगी. हालांकि, अधिकारी ने इसका खुलासा करने से इन्कार किया कि क्या सरकार उन्हें काम करने की अनुमति (वर्क परमिट) देने पर विचार करेगी.


सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मसौदा एनआरसी के संबंध में दावे और आपत्ति दर्ज कराने के लिए 25 सितंबर को प्रक्रिया शुरू हुई थी और यह 15 दिसंबर को खत्म होगी. मंगलवार की रात हुई बैठक में केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा और खुफिया ब्यूरो के निदेशक राजीव जैन समेत अन्य भी मौजूद थे.


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि लोगों को बांटने के मकसद से एनआरसी की कवायद शुरू की गयी. उन्होंने चेताया था कि इससे देश में खूनखराबा और गृहयुद्ध होगा . 


मसौदा एनआरसी में 40 लाख लोगों के नाम बाहर होने के बाद बनर्जी ने यह भी कहा था कि भारतीय नागरिक अपने ही वतन में शरणार्थी बन गए हैं. उनका आरोप था कि असम से बंगालियों को बाहर निकालने के लिए एनआरसी प्रक्रिया शुरू की गयी.


सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी अद्यतन किए जाने में दावे और आपत्ति के निपटारे के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को अंतिम रूप दिया था. मसौदा एनआरसी का प्रकाशन 30 जुलाई को हुआ था और 2.9 करोड़ लोगों के नाम इसमें शामिल किये गए जबकि कुल आवेदन 3.29 करोड़ आए थे. मसौदा एनआरसी से 40 लाख लोगों के नाम बाहर रहने पर बहुत विवाद हुआ .