History of Mughal Dynasty in India: भारत पर करीब 300 सालों तक कब्जा कर शासन करने वाला मुगल वंश हिंदुओं पर अपने अत्याचारों के लिए ज्यादा कुख्यात रहा. उसने हिंदुओं को इस्लाम में कन्वर्ट करने के लिए तलवार के बल पर ऐसी नीतियां लागू करवाईं, जिसने देश की डेमोग्राफी ही बिगाड़कर रख दी. इस मुगलिया सल्तनत में केवल पुरुषों का बोलबाला रहता था और महिलाओं की कोई पूछ नहीं होती थी. लेकिन एक महिला ऐसी थी, जिसने इस परिपाटी को बदलने की बड़ी पहल की. 


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बंगाल के जागीरदार की बेगम थी नूरजहां


इस महिला का नाम नूरजहां (Nur Jahan) था. वह मुगलिया सल्तनत में बंगाल के वर्धमान के जागीरदार शेर अफगान की बेगम थी. जब कभी भी शेर अफगान को राजकाज की वजह से बाहर जाना पड़ता था तो वह ही शासन संभालती थी. धीरे-धीर करके वह घुड़सवारी और शिकार में हाथ आजमाने लगी. नतीजा ये हुआ कि वह बंदूक चलाने में माहिर हो गई. 


जहांगीर ने उससे निकाह कर बना लिया बेगम


शेर अफगान की मौत के बाद एक दिन मुगल बादशाह जहांगीर (Jahangir) की नजर उस पर पड़ी. वह उसकी खूबसूरती पर मोहित हो गया. उसने वर्ष 1610 में उसे अपनी बेगम बना लिया. मुगलिया बेगम बनने से पहले उसका नाम मेहर-उन-निसा था, जो बाद में नूरजहां (Nur Jahan) बन गई. निकाह के बाद जहांगीर को जब नूरजहां की निशानेबाजी की खूबी का पता चला तो वह हैरान रह गया. 


नरभक्षी बाघ ने मचा रखा था आतंक


वर्ष 1619 ने एक नरभक्षी बाघ ने  मुगल साम्राज्य में आतंक मचा रखा था. शिकारी दल भी उस खतरनाक बाघ पर काबू पाने में नाकाम हो रहा था. शिकारी दस्ते ने जहांगीर (Jahangir) के दरबार में जाकर इस बारे में सूचित किया तो बादशाह ने उन्हें चुप करवा दिया. तब तक 50 साल के हो चुके जहांगीर ने कहा कि वह अब खुद शिकार नहीं करता. तभी पीछे से नूरजहां (Nur Jahan) ने कहा कि वह उस बाघ का खात्मा करेगी. नूरजहां की निशानेबाजी की खासियत से परिचित जहांगीर ने उसे अनुमति दे दी. 


नूरजहां ने बंदूक से किया बाघ का खात्मा 


इसके बाद नूरजहां हाथी की पीठ पर बैठकर अपने सुरक्षा दस्ते के साथ जंगल में पहुंची और बंदूक से अचूक निशाना लगाकर बाघ को मार गिराया. जिससे लोगों का डर खत्म हुआ. नूरजहां न केवल अच्छी शिकारी थी बल्कि शासन में भी उसकी पकड़ थी. शराब और गांजे के नशे में डूबे जहांगीर (Jahangir) की दिलचस्पी शासन में कम हो रही थी. जिसके चलते नूरजहां (Nur Jahan) ने शासन संभालना शुरू कर दिया. वर्ष 1617 में चांदी के ऐसे सिक्के जारी हुए जिनमें नूरजहां और जहांगीर का नाम लिखा था. उस दौर में सिक्के पर किसी महिला का नाम दर्ज होना बहुत बड़ी बात थी. 


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