DNA with Sudhir Chaudhary: अंग्रेजों की नफरत ‘मोह’ में कैसे बदली? भारत में चरखा चला रहे ब्रिटिश PM
DNA with Sudhir Chaudhary: बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने अपनी भारत यात्रा के दौरान महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम का दौरा किया है. इसके अलावा वो वर्ष 1947 यानी भारत की आजादी के बाद गुजरात आने वाले ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री भी बन गए हैं.
DNA with Sudhir Chaudhary: भारत के दौरे पर आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने गुजरात के साबरमती आश्रम में चरखा चलाया और इस दौरान महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी दी. बोरिस जॉनसन उसी देश के प्रधानमंत्री हैं, जिसने भारत पर लगभग 200 वर्षों तक शासन किया और जिस साबरमती आश्रम में उन्होंने ढेर सारी तस्वीरें खिंचवाई, वो साबरमती आश्रम स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान अंग्रेजी सरकार के खिलाफ विद्रोह का केन्द्र हुआ करता था. बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने अपनी भारत यात्रा के दौरान महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम का दौरा किया है. इसके अलावा वो वर्ष 1947 यानी भारत की आजादी के बाद गुजरात आने वाले ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री भी बन गए हैं. महात्मा गांधी भी गुजराती थे और उनका जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. इसलिए बोरिस जॉनसन ने साबरमती आश्रम की Visitor's Book में महात्मा गांधी के लिए एक खास संदेश भी लिखा.
गांधी जी के आश्रम में जॉनसन ने लिखा खास खत
उन्होंने लिखा कि 'महात्मा गांधी जैसे असाधारण इंसान के आश्रम में आना उनके लिए सौभाग्य की बात है और उन्होंने यहां आकर ये समझा कि कैसे गांधीजी ने सच्चाई के साधारण सिद्धांतों और अहिंसा का इस्तेमाल दुनिया को बेहतर बनाने के लिए किया.' इसके अलावा उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा को हार पहनाते हुए एक ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि वो भी बाकी लोगों की तरह साबरमती आश्रम जाकर खुद को गौरांवित महसूस कर रहे हैं. इस समय जब दुनिया में तनाव बना हुआ है, तब शांति को लेकर गांधी जी के विचार इतिहास की दिशा को बदल सकते हैं.
एक समय में गांधी से नफरत करते थे ब्रिटेनवासी
बोरिस जॉनसन उसी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हैं, जो एक समय महात्मा गांधी और उनके चरखे से काफी नफरत करता था. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री Winston Churchill (विंस्टन चर्चिल) ने एक बार गांधीजी को Half Naked Fakir बता दिया था. जिसका हिन्दी में अर्थ होता है, एक ऐसा फकीर, जिसके आधे शरीर पर वस्त्र नहीं है. असल में Winston Churchill ऐसा कह कर गांधी जी और उनके चरखे का मजाक उड़ा रहे थे. इसके अलावा विंस्टन चर्चिल ने 1943 में भारतीयों की तुलना से जानवरों से की थी. उस समय संयुक्त बंगाल में अकाल पड़ा हुआ था और विंस्टन चर्चिल ये कह रहे थे कि भारत के लिए कोई भी मदद नाकाफी होगी क्योंकि भारतीय खरगोश की तरह बच्चे पैदा करते हैं. लेकिन बोरिस जॉनसन आज इसी भारत में आकर अपने आप को भाग्यशाली और गौरवांवित महसूस कर रहे हैं.
समय के चक्र में फंसा ब्रिटेन
ये समय का चक्र है, जो ब्रिटेन को उसका असली चरित्र दिखा रहा है. बोरिस जॉनसन ने साबरमती आश्रम में जिस चरखे के साथ तस्वीर खिंचवाई, उसी चरखे से स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार काफी नफरत करती थी. वैसे इस चरखे की कहानी, गुजरात के साबरमती आश्रम से ही शुरू होती है. दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के बाद महात्मा गांधी ने अपने पहले आश्रम की स्थापना 25 मई 1915 को थी और ये आश्रम अहमदाबाद के कोचराब में था और ये आश्रम क्षेत्रफल में भी ज्यादा बड़ा नहीं था, जिसकी वजह से महात्मा गांधी वहां पशुपालन और किसानी नहीं कर पा रहे थे.
इसके बाद उन्होंने 17 जून 1917 को ये आश्रम साबरमती नदी के किनारे एक बड़ी सी जगह पर शिफ्ट कर लिया. जिसे आज साबरमती आश्रम या गांधी आश्रम के नाम से भी जाना जाता है. महात्मा गांधी वर्ष 1927 से 1930 तक इसी आश्रम में रहे और इस दौरान उन्होंने कई बड़े आन्दोलन और भूख हड़ताल इसी आश्रम से शुरू किए. इनमें 1920 में शुरू हुआ असहयोग आन्दोलन काफी महत्वपूर्ण था, जिसमें महात्मा गांधी ने देश के लोगों को विदेशी वस्तुएं छोड़कर, स्वदेशी वस्तुएं अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे और लोगों को अपने घरों में चरखा चला कर सूत कातने का संदेश दे रहे थे. यानी जो साबरमती आश्रम अंग्रेजी सरकार के खिलाफ विद्रोह का केन्द्र हुआ करता था, आज बोरिस जॉनसन ने उसी जगह पर जाकर ये शानदार तस्वीरें खिंचवाईं और महात्मा गांधी के बारे में भी अच्छी-अच्छी बातें लिखी.
महात्मा गांधी चाहते थे ऐसा
जबकि आजादी से पहले महात्मा गांधी चाहते थे कि भारत के लोग विदेशी कपड़ों को त्याग दें और अपने लिए स्वयं ही कपड़ा तैयार करें और इस अपील ने भारत के लोगों पर गहरा असर डाला. उस समय भारत के ज्यादातर किसान चरखा चलाने के लिए प्रेरित हुए और ये चरखा अंग्रेजों के खिलाफ एक बम से भी ताकत हथियार बन गया. इसके बाद महात्मा गांधी ने चरखे के महत्व को भारत के लोगों के बीच कभी नहीं घटने दिया.
चरखे से अंग्रेजों को रही सख्त नफरत
हालांकि इस चरखे की वजह से अंग्रेजी सरकार ने भारत के लोगों पर जो जुल्म किए, उसके विरोध में महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम को भी छोड़ दिया था. असल में महात्मा गांधी ने 1930 में अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ने के लिए इसी आश्रम से दांडी मार्च शुरू किया था और इस आन्दोलन के दौरान अंग्रेजी सरकार ने 60 हजार स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार करके जेल में भर दिया था और उनकी सम्पत्ति भी जब्त कर ली थी. इसके विरोध में तब महात्मा गांधी ने ये कहा कि अंग्रेजी सरकार उनके साबरमती आश्रम को भी जब्त कर सकती है और इसके बाद 1933 में उन्होंने ये ऐलान किया कि जब तक भारत को आजादी नहीं मिलती, तब तक वो इस आश्रम में वापस नहीं लौटेंगे. आजादी के एक साल बाद ही महात्मा गांधी की हत्या हो गई थी और इस वजह से वो 1933 के बाद कभी साबरमती आश्रम नहीं लौट पाए.
महात्मा गांधी को काफी खुशी होती
हालांकि आज अगर महात्मा गांधी जीवित होते तो वो अपने आश्रम में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को इस तरह चरखा चलाते हुए देख कर काफी खुश होते. बोरिस जॉनसन ने गुजरात के हालोल में स्थित JCB के एक Plant का भी दौरा किया और इस दौरान वो एक बुलडोजर में भी बैठे और उसे चालू करके भी दिखाया. JCB इंग्लैंड की एक मशहूर कम्पनी है, जो बुलडोजर और इसी तरह के दूसरे उपकरण बनाती है. हालांकि हमारे देश में बहुत सारे लोग बुलडोजर को ही JCB कहते हैं. जबकि JCB एक कम्पनी का नाम है. इसका पूरा नाम है, Joseph Cyril Bamford (जोसेफ सिरिल बैमफोर्ड). आज बोरिस जॉनसन ने इसी कम्पनी के बुलडोजर को चला कर दिखाया.
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