नई दिल्ली: दिल्ली में कल कई जगह हिंसा हुई. पत्थरबाज़ी की गई. गाड़ियों में आग लगाने की कोशिश की गई. पुलिसवालों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया और ये सब हुआ नागरिकता कानून के नाम पर. मुसलमानों को डराया भी जा रहा है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह 2002 दंगों के नाम पर मुसलमानों को फिर डरा रहे हैं. दिल्ली में कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए सियासत भी अपने चरम पर है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि मुसलमानों को डराने का खेल आखिर कब तक? और देश में कब बुझेगी अफवाह की आग? 


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दिल्ली हिंसा पर अब तक ZEE NEWS EXCLUSIVE 
दिल्ली हिंसा को लेकर ZEE NEWS ने अब तक कई खुलासे किए हैं. जामिया हिंसा मामले में कांग्रेस के पूर्व MLA आसिफ खान पर केस दर्ज हुआ है. जामिया यूनिवर्सिटी में AAP छात्र विंग के नेता कासिम उस्मानी पर केस दर्ज हुआ है. जामिया हिंसा में AISA के नेता चंदन कुमार पर भी हिंसा फैलाने का आरोप है. 17 दिसंबर को सीलमपुर-जाफ़राबाद हिंसा में 2 केस दर्ज, 6 लोग गिरफ्तार. सीलमपुर-जाफ़राबाद हिंसा में 15 पुलिसकर्मी समेत 21 लोग घायल हुए. कांग्रेस के पूर्व MLA मतीन अहमद की अगुवाई में CAA के खिलाफ रैली हुई, AAP के MLA हाज़ी इशराक और पार्षद अब्दुल रहमान ने भी रैली निकाली. नागरिकता कानून के खिलाफ रैली के बाद हालात बिगड़े, हिंसा शुरू हुई. सीलमपुर-जाफ़राबाद में पहले सड़क जाम हुआ, फिर हिंसा शुरू हुई. 


नागरिकता कानून पर 'हिंसा की राजनीति' क्यों?
नागरिकता कानून पर राजनीतिक दल एकदूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए बयान दिया कि दिल्ली में वही दंगा करा रहे हैं जिन्हें चुनाव में हार का डर है. उधर, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि दिल्ली में पूरी हिंसा के पीछे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस है. 


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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि अमित शाह ने देश को जलता हुआ छोड़ दिया है उन्हें ही आग बुझाना होगा. उधर, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा कि 2002 के दंगों के बाद मुसलमान भरोसा क्यों करेगा? कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस चुनाव के लिए सांप्रदायिक उन्माद को बढ़ा रही है.