DNA With Sudhir Chaudhary: अब हम आपको मुगल शासक औरंगजेब की मजार पर लेकर चलेंगे और आपको बताएंगे कि हमारे इतिहासकारों ने औरंगजेब के बारे में हमारे देश के लोगों को कितना बहकाया है. आज भी हमारे देश के लोग इन मुगल शासकों को महान बादशाह समझते हैं. लेकिन आज हम इस भ्रम को भी तोड़ देंगे.


औरंगजेब की मजार पर जाते हैं ये नेता 


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ये खबर आज हम आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि, काशी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बाद अब हमारे देश में औरंगजेब की काफी चर्चा हो रही है. औरंगजेब ने ही वर्ष 1669 में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनाने का आदेश दिया था. लेकिन अकबरुद्दीन ओवैसी जैसे नेता आज भी औरंगजेब की मजार पर जाते हैं और उसे याद करते हैं.


हिन्दुओं से करता था नफरत


सच ये है कि औरंगजेब भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र के तौर पर स्थापित करना चाहता था. और इसके लिए उसकी नीतियां बहुत स्पष्ट थीं. वो हिन्दुओं से नफरत करता था और हिन्दुओं को पूरी तरह खत्म कर देना चाहता था. वर्ष 1658 से 1707 तक औरंगजेब ने भारत के 15 करोड़ लोगों पर लगभग 49 साल तक राज किया. और वर्ष 1679 में औरंगजेब ने हिन्दुओं पर जजिया टैक्स लगा दिया था. यानी ये एक ऐसा टैक्स था, जो सिर्फ हिन्दू देते थे और मुसलमानों को इससे पूरी तरह छूट मिली हुई थी.


छत्रपति शिवाजी ने किया था जजिया का विरोध


इस टैक्स के खिलाफ तब छत्रपती शिवाजी महाराज ने औरंगजेब का विरोध किया था और उसे एक चिट्ठी लिख कर ये कहा था कि औरंगजेब एक ऐसा राजा है, जो अपना खजाना गरीब हिन्दुओं को लूट कर भरना चाहता है. लेकिन इसे विडम्बना ही कहेंगे कि आज छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में एक जिले का नाम औरंगाबाद है, जो औरंगजेब के नाम पर ही पड़ा है. इसी शहर में औरंगजेब की मजार भी है.


औरंगाबाद का असली नाम क्या था?


औरंगाबाद का क्षेत्र पहले खडगी के नाम से विख्यात था. लेकिन दक्कन की लड़ाई के दौरान जब औरंगजेब इस क्षेत्र में आया तो उसने इसका नाम बदल कर औरंगाबाद कर दिया. इसके अलावा उस समय औरंगजेब काफी कोशिशों के बाद भी दक्षिण भारत पर कब्जा नहीं कर पाया था. औरंगजेब ने अपने शासनकाल के लगभग 20 वर्ष दक्षिण भारत में युद्ध लड़ते हुए बिताए. लेकिन इसके बावजूद वो मराठाओं की बढ़ती हुई शक्ति को खत्म नहीं कर पाए. और उनका प्रभाव उत्तर भारत से लेकर महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के कुछ ही इलाकों तक सीमित रहा. और यही वजह है कि आज आपको दक्षिण भारत में मुगल शासकों की मजार नहीं मिलेंगी. और ना ही वहां आपको मंदिर और मस्जिद के ऐसे विवाद दिखाई देंगे.


इतिहाकारों ने बनाई झूठी छवि 


औरंगजेब को नायक बनाने के पीछे एक बड़ी भूमिका हमारे इतिहाकारों की भी थी. आपको ऐसे ढेर सारे इतिहासकार मिल जाएंगे, जो अपनी पुस्तकों में ये लिखते हैं कि औरंगजेब एक महान रणनीतिकार और योद्धा था. जबकि सच्चाई ये है कि औरंगजेब ने सबसे ज्यादा हिन्दुओं पर जुल्म किए. वर्ष 1672 उसने एक आदेश जारी किया था, जिसमें ये कहा गया था कि भविष्य में हिन्दुओं को कोई भी जमीन ना दी जाए. और तब इस फरमान का मकसद था, हिंदुओं को सता कर उन्हें पलायन करने के लिए मजबूर करना. लेकिन इसे इस देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आज जब हमारी टीम औरंगजेब की मजार पर गई तो यहां आने वाले ज्यादातर पर्यटकों ने औरंगजेब को एक महान मुगल बादशाह बताया. इन सब स्थितियों से ये समझना आसान है कि भारत में आज भी औरंगजेब के अंधभक्त मौजूद हैं.