Hyderabad Digital Arrest: रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मासिक प्रोग्राम 'मन की बात' में डिजिटल अरेस्ट पर खुलकर बात की. जिस समय पीएम मोदी बात कर रहे थे ठीक उससे कुछ घंटों पहले हैदराबाद में इंजीनियर कुछ इसी तरह की घटना का सामना कर रहा था. हालांकि गनीमत रही कि उसे किसी भी तरह का नुकसान नहीं उठाना पड़ा. लगभग 30 घंटों के डिजिटल अरेस्ट के बाद इंजीनियर की जान बची. शुक्रवार रात को शुरू हुए इस भयावह अनुभव का अंत रविवार की सुबह हुआ. 


सुबह 4 बजे छोड़ दिया अपना घर:


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रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को सुबह करीब 3 बजे पीड़ित को जालसाजों से कॉल आने के बाद यह सिलसिला शुरू हुआ. स्पैमर्स ने पहले खुद को FedEx कूरियर एजेंट और बाद में मुंबई पुलिस अधिकारी के रूप में पेश किया. उन्होंने उससे कहा कि उसका आधार नंबर मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा हुआ है. इसी दौरान जालसाजों ने इंजीनियर ने कहा कि वो खुद को अपने परिवार से अलग कर लें ताकि उसके परिवार को किसी भी तरह का नुकसान ना हो. इसके बाद इंजीनियर तकरीबन सुबह 4 बजे अपनी पत्नी और बच्चों को यह बताकर घर से निकाल जाता है कि एक होटल में उसकी बॉस के साथ मीटिंग और कुछ घंटों के लिए बिजी रहेगा. 


कैसे बची जान:


पुलिस ने कहा कि पीड़ित इंजीनियर वीडियो कॉल पर बात करते हुए घर से तकरीबन 15 किलोमीटर अमीरपेट में एक लॉज में चला गया. जालसाजों ने उसे धमकी भी दी कि अगर उसने उनके आदेश का पालन नहीं किया तो उसके परिवार को कानूनी परेशानी में डाल दिया जाएगा और उसे गिरफ्तार भी कर लिया जाएगा. उन्होंने उससे कहा कि यह प्रक्रिया सोमवार सुबह तक जारी रहेगी जब बैंक खुलेंगे. इसके बाद उसे अपने खाते से RTGS भुगतान करना होगा और रिहा हो जाएगा. यह सब रविवार को सुबह 4 बजे तक जारी रहा. रविवार सुबह 4 बजे के करीब पीड़ित का कॉल अचानक बंद हो गया था जिसके बाद उसने हैदराबाद साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर कॉल किया और घटना से आगाह किया. 


पुलिस ने दिया आखिर तक साथ:


पीड़ित इंजीनियर की बात सुनकर पुलिस को यकीन हो गया कि यह शख्स डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो चुका है. पुलिस का कहना है कि उनकी आवाज से ही लग रहा था कि वो बहुत बुरी तरह डरे हुए हैं. फोन रिसीव करने वाले कांस्टेबल गणेश के मुताबिक वो पीड़ित से लगातार फोन पर बात करते रहे ताकि वो खुद को अकेला ना समझे. साथ ही उसके परिवार से भी संपर्क किया. कांस्टेबल ने बताया कि मैंने उनके पड़ोसी का नंबर भी लिया और सुनिश्चित किया कि कोई उनके परिवार से संपर्क करे. मैंने तभी कॉल काटा जब उनके परिवार के लोग लॉज पहुंच गए और उन्हें ले गए.'


डिजिटल गिरफ्तारी क्या है?


डिजिटल गिरफ्तारी में, धोखेबाज़ खुद को विभिन्न जांच सरकारी एजेंसियों या सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई, ट्राई, सीमा शुल्क और टेक्स अधिकारियों जैसे कानून लागू करने वाली संस्थाओं के अधिकारी बताते हैं. वे आम तौर पर पीड़ित को पहले फ़ोन करते हैं और पैसे ऐंठने से पहले उसे डराते हैं. पीड़ितों को आम तौर पर 'गिरफ़्तार' होने के झूठे बहाने से एक जगह या आम तौर पर उनके घरों तक सीमित रखा जाता है.


पीएम मोदी ने किया अलर्ट:


पीएम मोदी ने रविवार को 'मन की बात' के 115वें एपिसोड के दौरान 'डिजिटल गिरफ्तारी' घोटाले के खिलाफ़ देश को चेतावनी दी, उन्होंने कहा कि कोई भी सरकारी एजेंसी मोबाइल फ़ोन पर किसी व्यक्ति को धमकाकर पैसे नहीं मांगती. पीएमओ इंडिया द्वारा एक्स पर जारी पोस्ट में कहा गया है, "डिजिटल गिरफ्तारी धोखाधड़ी से सावधान रहें! कोई भी जांच एजेंसी पूछताछ के लिए कभी भी फ़ोन या वीडियो कॉल के ज़रिए आपसे संपर्क नहीं करेगी। सुरक्षित रहने के लिए इन 3 चरणों का पालन करें: रुकें, सोचें और कार्रवाई करें."