रेलवे के बाद अब वायुसेना का कमाल, जम्मू-कश्मीर हाईवे पर उतरे 5 हेलिकॉप्टर
Chinook : भारतीय वायु सेना (IAF) ने मंगलवार ( 2 अप्रेल ) आधी रात के आसपास अनंतनाग के बिजबेहरा में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पांच हेलीकॉप्टरों के साथ 3.5 किमी लंबी इमरजेंसी लेडिंग पट्टी का पहला टेस्ट किया है. अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में पेश किए गए अमेरिका निर्मित चिनूक सहित पांच IAF हेलीकॉप्टरों ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रैक्टिस की है.
Indian Air Force: बॉर्डर पर भारत लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रहा है. कहीं ऐसी सुरंग बन रही है जिससे कुछ ही घंटे में सीमा तक पहुंचा जा सकता है, तो कहीं रेल नेटवर्क को बढ़ाया जा रहा है. अब भारतीय वायु सेना ने भी अपनी बढ़ती ताकत दिखाई है. वायुसेना के पांच हेलिकॉप्टरों ने सोमवार-मंगलवार की रात जम्मू-कश्मीर हाईवे पर लैंडिंग की. कश्मीर के अनंतनाग में पांच हेलीकॉप्टरों के 3.5 किमी लंबी इमरजेंसी लैंडिंग पट्टी पर पहला टेस्ट होते भारत ने एक बार फिर से दिखा दिया कि दुश्मन को उसकी हद में रहना ही होगा, वरना अंजाम बेहद बुरा होगा.
इमरजेंसी लैंडिग सुविधा वाले है ये तीन राज्य
इस प्रैक्टिस के बाद, जम्मू कश्मीर इमरजेंसी लैंडिग सुविधा (ELF) वाला पहला केंद्रशासित प्रदेश बन गया है. आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तीन ऐसे राज्य हैं जहां ELF वर्तमान में उपलब्ध हैं. अधिकारियों के मुताबिक, अमेरिका निर्मित दो चिनूक, रूस निर्मित एक एमआई-17 और दो उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात राजमार्ग के वानपोह-संगम मार्ग पर उतरे. बता दें, कि यह राजमार्ग कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है.
साथ ही अधिकारियों ने बताया कि प्रैक्टिस देर रात दो बजकर 50 मिनट पर खत्म हुई. अधिकारियों के मुताबिक, प्रैक्टिस बिना किसी परेशानी के खत्म हुई. इमरजेंसी स्थिति में विमान उतारने के लिए 3.5 किलोमीटर लंबी पट्टी पर 2020 में काम शुरू हुआ था और यह पिछले साल पूरा हो गया.
चिनूक की खासियत
चिनूक हेलीकॉप्टर की मैक्सम स्पीड 310 किमी प्रति घंटा है. इसका इस्तमाल भारी वजन उठाने के लिए किया जाता है. मुख्य कैबिन में 33 से ज्यादा सैनिक बैठ सकते हैं. इसका इस्तमाल चिकित्सा निकासी के लिए भी किया जा सकता है और इसमें 24 स्ट्रेचर समायोजित किए जा सकते हैं.
एमआई-17 हेलीकॉप्टर में 35 सैनिकों के बैठने की जगह है. एएलएच हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित है. इसमें दो इंजन हैं. इसका इस्तेमाल लोगों के हताहत होने पर उन्हें निकालने के लिए किया जाता है. बता दें, कि इन हेलीकॉप्टरों को प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों में लगाया गया है.