नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित IAS कैडर रूल्स (IAS Cadre Rules Change) का विरोध बढ़ता जा रहा है. देश के कई राज्यों की सरकारें लगातार इसका विरोध कर रही है. पश्चिम बंगाल (West Bengal) के बाद अब केरल (Kerala) और तमिलनाडु (Tamil Nadu) ने इन नियमों को लेकर आपत्ति जताई है. 


PM को पत्र लिखकर जताया विरोध


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

केरल के सीएम पिनाराई विजयन (Pinarayi Vijayan) और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (MK Stalin) ने पीएम मोदी को इस बारे में पत्र लिखा है. इस लेटर में एम के स्टालिन ने लिखा कि, केंद्र द्वारा प्रस्तावित आईएएस कैडर रुल्स संघीय ढांचे की नीतियों और राज्यों की स्वायत्ता पर पर सीधा प्रहार है.


MK स्टालिन ने अपने पत्र में यह भी लिखा, 'अपने-अपने स्तर पर केंद्र सरकार की योजनाओं समेत विभिन्न कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में राज्य सरकारें काम करती हैं. राज्यों को अक्सर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है ऐसा होने पर अन्य जगहों की तुलना में अधिक IAS अधिकारियों की सेवाओं की जरूरत होती है. इसलिए वो अन्य अधिकारियों की मांग भी करते रहते हैं. यानी साफ है कि अधिकारियों की कमी के कारण राज्यों का काम प्रभावित होगा. केंद्र सरकार की लेटरल एंट्री भर्ती ने उन अधिकारियों के मनोबल को भी प्रभावित किया है जो अपनी इच्छा से प्रतिनियुक्ति चाहते हैं.'


ये राज्य भी विरोध में


इससे पहले पश्चिम बंगाल (West Bengal), राजस्थान (Rajasthan), झारखंड (Jharkhand) के साथ छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) की सरकारें इन नियमों को लेकर आपत्ति जता चुकी हैं. केरल के सीएम के पत्र की बात करें तो पिनाराई विजयन ने अपने लेटर के जरिए केंद्र सरकार से नियमों में होने वाले बदलाव को वापस लेने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से प्रशासनिक अधिकारियों में भय की मनोविकृति पैदा होगी और उन्हें राज्य सरकार की नीतियों को लागू करने में परेशानी होगी.


ये भी पढ़ें- उद्धव ठाकरे ने BJP पर साधा निशाना, कहा- गठबंधन में बर्बाद कर दिए 25 साल


संघीय ढ़ांचा तोड़ने का आरोप


ममता बनर्जी ने इस मामले को लेकर एक बार फिर केंद्र पर हमला बोला है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में बनर्जी ने कहा कि केंद्र को ऐसे संशोधन पर नहीं बढ़ना चाहिए जिससे केंद्र, राज्य सरकार की आपत्ति को दरकिनार कर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति केंद्र में कर सके.


उन्होंने कहा, 'केंद्र हमारे संघीय ढांचे के साथ खिलवाड़ कैसे कर सकता है? वह चुनी हुई राज्य सरकारों के अधिकार और मत का अतिक्रमण कैसे कर सकता है? केंद्र को यह नहीं करना चाहिए.'


झारखंड के CM का बयान


सोरेन ने शनिवार को कहा कि केंद्र के इस कदम से संविधान में इस मुद्दे पर विचार विमर्श और सहयोग के लिए की गयी व्यवस्था खत्म हो जायेगी और स्वच्छंदता को बढ़ावा मिलेगा.


उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा पत्र आम लोगों के लिए जारी करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘हमने IAS कैडर के नियमों में केंद्र के प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय को अपनी कड़ी आपत्ति के साथ पत्र लिखा है और स्पष्ट कर दिया है कि प्रस्तावित संशोधन सहकारी संघवाद की बजाय स्वच्छंदता को बढ़ावा देंगे.'


सोरेन ने ट्वीट में कहा, ‘हमें उम्मीद है कि वह मेरे अनुरोध पर विचार करेंगे और नये प्रस्तावों को तत्काल दफन कर देंगे.'


बजट सत्र में आ सकता है संशोधन विधेयक


दरअसल केंद्र में नियुक्तियों के लिए IAS अधिकारियों की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता का कारण बताते हुए केंद्र ने IAS अधिकारियों की नियुक्ति के नियम में संशोधन का प्रस्ताव देते हुए 25 जनवरी तक राज्यों की प्रतिक्रिया मांगी है. केंद्र का कहना है कि राज्य सरकारें पर्याप्त संख्या में IAS अफसरों को प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेज रही है जिसकी वजह से केंद्र सरकार के कामकाज में बाधा आ रही है. बताया जा रहा है कि संसद के बजट सत्र के दौरान सरकार इस संशोधन को पेश कर सकती है.


क्या इसलिए हो रहा है विरोध?


माना जा रहा है कि अगर यह संशोधन पारित हुआ तो IAS और IPS अफसरों की केंद्र में नियुक्ति से जुड़े सभी अधिकार केंद्र सरकार के पास चले जाएंगे यानी इसके लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेने की जरुरत नहीं होगी. इसलिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार
के इस कदम का विरोध कर रहे हैं.



LIVE TV