IAS Nitika Khandelwal: महाराष्ट्र कैडर की 2022 बैच की ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर की नियुक्ति सवालों के घेरे में है. ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर पर आरोप है कि सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए उन्होंने फर्जी दिव्यांगता और ओबीसी सर्टिफिकेट दिए. अभी इस मामले की जांच चल ही रही है कि आईएएस नितिका खंडेलवाल का नाम चर्चा में आ गया. आइए जानते हैं आईएएस नितिका खंडेलवाल का कौन सा वीडियो हो रहा वायरल, क्या लग रहा है उन पर आरोप. 'जी न्यूज डिजिटल' के पत्रकार कृष्‍णा पांडेय से बातचीत के दौरान नितिका खंडेलवाल ने क्या बताई सच्चाई.


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सबसे पहले जानते हैं नितिका खंडेलवाल का कौन सा वीडियो हो रहा वायरल और क्या लग रहा उनपर आरोप.


IAS नितिका खंडेलवाल का वायरल वीडियो:-



फर्जी दस्तावेज के जरिए मिली नौकरी?
माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर नितिका खंडेलवाल के नाम पर कई यूजर्स ने सवाल उठाए हैं, एक यूजर्स ने Factfusion78 ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा 'नितिका खंडेलवाल का आरटीओ टेस्ट कुछ और ही कहानी बयां कर रही है,  पता नहीं और कितने लोगों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर योग्य उम्मीदवारों की सीटें छीन ली हैं, इसकी जांच होनी चाहिए.



IAS नितिका खंडेलवाल बिना चश्मा के दे रही टेस्ट?
सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि 2014 बैच की निकिता खंडेलवाल को दृष्टिबाधित कोटे के तहत सामान्य श्रेणी से चुना गया था. वहीं एक वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें वह वह बिना चश्मा लगाए अपना ड्राइविंग टेस्ट दे रही हैं. उनपर आरोप लग रहे हैं कि नितिका खंडेलवाल ने गलत विकलांगता प्रमाण पत्र देकर आईएएस पद हासिल किया है.

निकिता नहीं दिख रही विकलांग?
माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म एक्स एक यूजर्स ने लिखा 'नितिका खंडेलवाल अपनी योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि शारीरिक विकलांगता प्रमाण पत्र के आधार पर आईएएस बनीं. लेकिन उनका आरटीओ टेस्ट पूरी तरह से अलग कहानी बयां कर रहा है. वह किसी भी तरह की विकलांगता वाली व्यक्ति नहीं दिखतीं.



एक और यूपीएससी धोखाधड़ी?
एक्स पर एक Amitabh Chaudhary नाम के  यूजर्स ने लिखा 'नितिका खंडेलवाल अपनी योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि शारीरिक विकलांगता प्रमाण पत्र के आधार पर आईएएस बनीं. लेकिन उनका आरटीओ टेस्ट पूरी तरह से अलग कहानी बयां कर रहा है. वह किसी भी तरह से विकलांग नहीं दिखतीं. यूपीएससी में योग्य उम्मीदवारों की सीटें छीनकर फर्जी शारीरिक विकलांगता और जाति के दस्तावेज बनवाने के सैकड़ों नहीं बल्कि कई हज़ार मामले हैं. इसकी गहन जांच की जरूरत है.



सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रही नितिका खंडेलवाल
नितिका खंडेलवाल का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें लोगों ने जमकर ट्रोल कर रहे हैं.  एक यूजर्स ने चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए लिखा 'मेरे एक मित्र को कलर ब्लाइंडनेस के लिए पर्याप्त अंक प्राप्त करने के बावजूद एक को छोड़कर किसी भी सार्वजनिक उपक्रम में नौकरी नहीं मिल सकी''.


विकलांगता प्रमाण पत्र पर उठे सवाल
लोगों ने नितिका खंडेलवाल द्वारा चयन प्रक्रिया के दौरान प्रस्तुत विकलांगता प्रमाण पत्र की वैधता की गहन जांच की मांग को जन्म दिया है. इसने प्रतियोगी परीक्षाओं में विकलांगता श्रेणियों के आवेदन में संभावित विसंगतियों के बारे में व्यापक चिंताएं उठाई हैं.



नितिका ने वायरल वीडियो की क्या बताई सच्चाई
नितिका से जब हमने इस वीडियो की सच्चाई पूछी तो उन्होंने बताया ''मैं उन दिनों रूडकी में एसडीएम पोस्ट पर थी. कई दिनों से शिकायतें मिल रही थी कि आरटीओ ऑफिस में ड्राइविंग टेस्ट के नाम पर धांधली हो रही है, जो टेस्ट का मापदंड है, वह बहुत कठिन है, जिसे आसानी से पास नहीं किया जा सकता, अगर कोई रिश्वत देता है तो उसे पास कर दिया जा रहा है, इस तरह की कई शिकायतें हमारे पास थी, एक दिन हमने खुद आरटीओ ऑफिस जाकर इसकी तहकीकात की. तब का यह वीडियो है. जिसे अपने यूट्यूब चैनल पर भी अपलोड किया था. वहां जाकर हमने देखा कि सिमुलेशन टेस्ट में क्या समस्या आ रही है, उसी दौरान इस वीडियो को शूट किया गया ‌था.


'मौन का मतलब कुछ और निकाला जाता'
जब नितिका से पूछा कि अब तक इस मामले में आपने अपनी तरफ से कुछ क्यों नहीं कहा तो उनका कहना था कि आजाद भारत में सबको हक है अपनी बात कहने और सुनने का, लेकिन जब इस मामले में बहुत सारे तरीकों से हमारी मेहनत पर और हम जैसे कई सारे उम्‍मीदवारों पर सवाल उठाए जाने लगे तो लगा, हमे अपना पक्ष रखना चाहिए और असली सच्चाई लोगों को बतानी चाहिए. नितिका खंडेलवाल ने बताया कि जब इस तरह के आरोप किसी पर लगते हैं तो एक ऑफिसर के नाते दुख तो होता है. पहले सोचा था कि इस मामले में कुछ नहीं बोलेंगे, लेकिन जिस तरह सोशल मीडिया पर हमारे बारे में लिखा जा रहा, उसमें अपना पक्ष रखना जरूरी समझा.

कोई इंसान जब दिव्यांग दिखे, तभी समाज करेगा स्वीकार?
नितिका ने बड़ें दुख के साथ ये लाइन कही कि हमारे समाज में कुछ लोगों को अपने नजरिए में बदलाव लाना होगा, आप किसी की मेहनत को एक झटके में नहीं नकार सकते, जबकि आप सच्चाई से भी अवगत नहीं हैं, हम जिस समाज में हैं यहां दिव्यांग अगर दिव्यांग की तरह न दिखे तो सवाल उठाना कितना जायज है. हम सरकार और अपने विभाग को जवाब दे सकते हैं, सोशल मीडिया के जमाने में आजादी के नाम पर कब क्या नैरटिव चलने लगे, इसमें बहुत समझदारी और धैर्य रखना होगा.


जानें किस रोग से पीड़ित हैं IAS निकिता खंडेलवाल?
IAS निकिता खंडेलवाल Cone-rod dystrophy रोग से पीड़ित हैं, सरल भाषा में कहें तो आंख की गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं निकिता. कोन-रॉड डिस्ट्रोफी में इंसान की आंखों की रोशनी समय के साथ पूरी तरह खत्म हो सकती है. इसमें सबसे अधिक रेटिना पर प्रभाव पड़ता है. इसमें रेटिना की प्रकाश-संवेदी कोशिकाएं धीरे-धीरे खराब होने लगती हैं. कोन-रॉड डिस्ट्रोफी 30 से अधिक प्रकार हैं. ऐसा अनुमान है कि यह बीमारी 30,000 से 40,000 व्यक्तियों में से 1 को प्रभावित करती है.


कौन हैं उत्तराखंड की लेडी सिंघम IAS निकिता खंडेलवाल
नितिका खंडेलवाल को उत्तराखंड की एक दबंग लेडी सिंघम के तौर पर माना जाता है. उनकी पहचान तेज-तर्रार अफसरों में है. जनता में उनके काम को लेकर चर्चा रहती है. निकिता खंडेलवाल 2014 की आईएएस हैं. उत्तराखंड में रुद्रपुर जिले की रहने वाली हैं. नितिका ने क्लास 1st से इंटरमीडिएट की पढ़ाई जेसीज पब्लिक स्कूल रुद्रपुर से की है. दिल्ली से बीए करने के बाद जामिया मिलिया से एचआर में एमए किया है. नितिका खंडेलवाल की यूपीएससी की परीक्षा में 897 रैंक थी. यूपीएससी में रैंक 897 रैंक होने बावजूद विजुअल इम्पीरिटी के प्रमाणपत्र के चलते उन्हें दिव्यांग कोटा (पीडब्लूडी कोटा) से आईएएस का पद मिला. निकिता इन दिनों देहरादून में पोस्टेड हैं.


बुर्का पहनकर दरगाह में मारा था छापा
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पद पर जब नितिका खंडेलवाल थी तो बुर्का पहनकर कलियर दरगाह कार्यालय का औचक निरीक्षण किया था, इस दौरान तीन कर्मचारियों को कार्यालय में धूम्रपान करते पाए जाने पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने उनकी सेवाएं समाप्त करने के आदेश दिए थे. अवैध वसूली करने पर एक कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे.  

कोरोनाकाल में  2.5 लाख से अधिक व्यक्तियों को भोजन मुहैया कराया
कोरोना के दौरान नितिका देहरादून की मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) की जिम्मेदारी संभाल रही थीं.  लॉकडाउन के समय एक लाख 15 हजार से अधिक व्यक्तियों/परिवारों को राशन की अन्नपुर्णा राशन किट और एक लाख 2.5 लाख से अधिक व्यक्तियों को भोजन मुहैया कराया था. ट्रेनों से नौ हजार से अधिक व्यक्तियों को उनके घर भेजा.