नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में अपना फैसला सुना दिया है. आईसीजे ने जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगा दी है. आईसीजे ने कहा है कि पाकिस्तान जाधव पर दिए अपने फैसले पर विचार करे. आईसीजे ने कहा कि कुलभूषण पर मुकदमे की प्रक्रिया पर फिर से विचार हो. आईसीजे ने कहा कि पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया. पाकिस्तान ने मानवाधिकार का उल्लंघन किया. आईसीजे ने यह भी कहा कि जाधव को राजनीतिक मदद दी जानी चाहिए. 


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बता दें पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत जासूसी के आरोप में जाधव को फांसी की सजा सुना चुकी है, जिसे भारत ने बेबुनियाद बताया है. भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी जाधव का पाकिस्तानी एजेंसियों ने तीन मार्च 2016 को ईरान से अपहरण कर लिया था जहां वह अपने व्यापार के सिलसिले में गए थे.



 


पाकिस्तान ने हालांकि दावा किया कि जाधव को बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया गया और जाधव को 'जासूस' बता दिया. पाकिस्तान ने भारत को इसकी सूचना जाधव को उठाने के 22 दिनों के बाद 25 मार्च 2016 को एक संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से दी थी. भारत ने अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक नियमों का पालन करते हुए उसी दिन जाधव से राजनयिक संपर्क की मांग की लेकिन उसकी अनुमति नहीं दी गई.


मुंबई के पोवाई क्षेत्र के रहने वाले जाधव (49) के मामले की सुनवाई सिविल अदालत के बजाय सैन्य अदालत में की गई, और एक अस्पष्ट सुनवाई के बाद 10 अप्रैल 2017 को उन्हें फांसी की सजा सुना दी गई.


पाकिस्तान से जाधव को रिहा करने की अपीलों के बार-बार खारिज होने के बाद भारत ने इस संबंध में वाणिज्य दूतावास संबंधों पर वियना समझौते का खुला उल्लंघन का आरोप लगाते हुए आठ मई 2017 को हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. जाधव को जासूस कहने के पाकिस्तान के आरोप को बेबुनियद बताते हुए भारत ने वैश्विक अदालत में कहा कि जाधव की गिरफ्तारी के बहुत समय बाद तक इसकी सूचना नहीं दी गई और पाकिस्तान ने आरोपी को भी उसके अधिकार नहीं बताए.


भारत ने आईसीजे को बाद में बताया कि पाकिस्तान ने वियना समझौते का उल्लंघन करते हुए भारत के बार-बार आग्रह करने के बावजूद जाधव को राजनयिक संपर्क उपलब्ध कराने की अनुमति नहीं दी. भारत ने आईसीजे से कहा कि उसके जाधव को मौत की सजा दिए जाने की सूचना एक प्रेस विज्ञप्ति से मिली.


सीजेआई में अपनी याचिका में भारत ने जाधव को दी गई मौत की सजा को तत्काल रद्द करने और उसे रिहा करने की मांग की. भारत ने जोर देकर कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय कानून और वियना समझौते के नियमों का बेशर्मी से किया गया उल्लंघन है, जिसके तहत कैदी को विशिष्ट सिविल और राजनीतिक अधिकार दिए जाने का प्रावधान है.



भारत ने आईसीजे से पाकिस्तान सरकार को सैन्य अदालत का आदेश रद्द करने का निर्देश देने की मांग करने और ऐसा न किए जाने पर अंतर्राष्ट्रीय कानून और समझौते के अधिकारों का उल्लंघन करने के कारण आईसीजे द्वारा उस आदेश को गैर कानूनी घोषित करने की मांग की.