ICMR Website: भारत सरकार के शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की वेबसाइट में हैकर लगातार सेंध लगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनकी कोशिशों को नाकाम कर दिया जाता है. एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी. 


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अधिकारी ने और क्या कहा?


अधिकारी ने बताया, संभावित तौर पर हांगकांग के हैकरों ने 30 नवंबर को 24 घंटे के दौरान आईएमसीआर की वेबसाइट में करीब 6000 बार सेंध लगाने की कोशिश की. ये हमले कथित रैनसमवेयर हमले की पृष्ठभूमि में हुए जिसकी वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की ऑनलाइन सेवा बाधित हो गई थी. अधिकारी ने बताया, आईसीएमआर की वेबसाइट पर मौजूद सामग्री सुरक्षित है. वेबसाइट की सुरक्षा की जिम्मेदारी एनआईसी डाटा सेंटर की है जो नियमित तौर पर इसे अद्यतन करता है. हमले को सफलतापूर्वक नाकाम किया गया. 


भारत साइबर हमलों से निपटने में कितना सक्षम


इससे पहले देश के सबसे प्रतिष्ठित, अग्रणी और विश्वसनीय सरकारी अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सर्वर पर साइबर हमला हुआ था. इन साइबर हमले के बाद सवाल उठ रहे है कि भारत ऐसे साइबर हमलों से निपटने में कितना सक्षम है. 


ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि भारत साइबर हमलों का सामना करने वाले शीर्ष 10 देशों में शुमार है. यह अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों के बाद बढ़ते रैंसमवेयर हमलों वाले शीर्ष पांच देशों में भी शामिल है.


इस साल अप्रैल महीने में राष्ट्रीय पावर ग्रिड पर साइबर हमले हुए थे. वर्ष 2018 की शुरुआत में भारतीय आधारकार्ड धारकों के रिकॉर्ड पर साइबर हमला हुआ था. इसी साल पुणे के कॉसमॉस बैंक पर साइबर हमला हुआ था और हैकर्स ने कॉसमॉस कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड से 94.42 करोड़ रूपये की चोरी की थी.


ज्ञात हो कि साइबर खतरों से निपटने की रणनीति बनाने के लिए केंद्र सरकार 2013 में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति लेकर आई थी लेकिन अभी तक यह मूर्त रूप नहीं ले सकी है. फिलहाल देश में साइबर सुरक्षा पर कोई संयुक्‍त कार्यकारी समूह नहीं है और साइबर सुरक्षा पर किसी स्‍वायत्त निकाय का गठन भी नहीं किया गया है.


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