नई दिल्ली : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपनी राष्ट्रीय रैंकिंग में बेंगलूर स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) को समग्र रूप से सर्वश्रेष्ठ संस्था चुना है. यहां विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में रैंकिंग की घोषणा करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मद्रास स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी- एम) को सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग कॉलेज और अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम-ए) को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन संस्थान चुना गया है.


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राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचे (एनआईआरएफ) के मुताबिक, दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस को सर्वश्रेष्ठ कॉलेज चुना गया. इस श्रेणी में दूसरे स्थान पर सेंट स्टीफंस कॉलेज रहा, जिसने पहली बार रैंकिंग प्रक्रिया में हिस्सा लिया था. विश्वविद्यालय श्रेणी में भारतीय विज्ञान संस्थान को पहले, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को दूसरे और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) को तीसरे पायदान पर रखा गया.


आर्किटेक्चर कॉलेज भी शामिल
पहली बार मंत्रालय ने मेडिकल, वास्तुकला एवं विधि कॉलेजों की भी रैंकिंग की. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य देखभाल संस्थान और बेंगलूर स्थित नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू) को देश में सर्वश्रेष्ठ विधि कॉलेज चुना गया. आईआईटी- खड़गपुर को वास्तुकला श्रेणी में पहले स्थान पर रखा गया.


समग्र श्रेणी में शामिल किए गए शीर्ष 10 संस्थानों में आईआईएससी, आईआईटी- मद्रास, आईआईटी- बंबई, आईआईटी- दिल्ली, आईआईटी- खड़गपुर, आईआईटी- कानपुर, आईआईटी- रुड़की, जेएनयू, बीएचयू और चेन्नई की अन्ना यूनिवर्सिटी हैं.


भारतीय विज्ञान संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, उद्योगपति जमशेदजी टाटा, मैसूर के महाराजा और भारत सरकार की साझेदारी से 1909 में इस संस्थान की स्थापना की गई थी. मोहाली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, जामिया हमदर्द और पंजाब यूनिवर्सिटी को फार्मेसी के अध्ययन के लिए शीर्ष कॉलेजों के रूप में चुना गया.


इस बीच, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एनआईआरएफ में सार्वजनिक संस्थानों की भागीदारी को अगले वर्ष से अनिवार्य कर दिया है. जावड़ेकर ने कहा, ‘एनआईआरएफ में भागीदारी नहीं करने वाले सार्वजनिक संस्थानों को मिलने वाली धनराशि में कटौती का सामना करना पड़ेगा.’ पहले इस रैंकिंग ढांचे में भागीदारी अनिवार्य नहीं थी.