लखनऊ : आतंकवाद को मदरसे से जोड़कर विवादित बयान देने वाले शिया वक्फ वोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने सोशल मीडिया पर मिल रही धमकियों के बाद अपने लिए कब्र बनवा ली है, जिस पर बकायदा उन्होंने अपना नाम भी लिखा दिया है. वसीम ने कहा कि उन्होंने राजधानी लखनऊ के तालकटोरा में अपने वालिद (पिता) की कब्र के पास अपनी कब्र बनवा ली है. ऐसा करने के पीछे का कारण बताते हुए रिजवी ने कहा कि आजकल उन्हें सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकी दी जा रही है. उन्होंने कहा, "मैं मरने से नहीं डरता, मैं मरने को तैयार हूं, लेकिन मैंने कोई गलत बयान नहीं दिया".  


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कुछ मरदसों में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां हैं- रिजवी
उन्होंने कहा कि 'कुछ मरदसों में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां हैं, जो बंद होनी चाहिए. यह वह नहीं कह रहे हैं, यह तो साफ-साफ सरकार की रिपोर्ट कह रही है. उन्होंने तो बस मुस्लिम समाज के बच्चों की नस्ल सुधार के लिए ऐसा कहा'.


मुस्लिम समाज को भड़काकर उनका दुश्मन बनाया जा रहा है- वसीम रिजवी
वसीम रिजवी ने कहा कि लेकिन कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए ऐसे मदरसे चलाना चाहते हैं, इसलिए मुस्लिम समाज को भड़काकर समाज को उनका दुश्मन बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अब सोशल मीडिया पर पूरे देशभर के मुस्लिम समाज से उन्हें धमकियां मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि वह मरने को तैयार हैं, इसके उन्हें कब्र की जरूरत थी, इसलिए उन्होंने तालकटोरा स्थित कब्रिस्तान में अपने वालिद की कब्र के पास अपनी कब्र बनवा ली है.


वसीम ओछी राजनीति कर रहे हैं- मोहसिन रजा
वहीं, वसीम के बयान पर उत्तर प्रदेश के हज राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि अब उन (वसीम रिजवी) की इस टिप्पणी पर सरकार क्या बयान दे. वसीम ओछी राजनीति कर रहे हैं.


जमात-ए-उलेमा हिंद ने भेजा कानूनी नोटिस
इससे पहले जमात-ए-उलेमा हिंद ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी को उनके इस विवादित बयान के चलते लीगल नोटिस भेजा. जमात-ए-उलेमा हिंद संस्था का आरोप है कि रिजवी ने 9 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लिखी अपनी चिट्ठी में मदरसों को लेकर विवादित बात कही. शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के प्रमुख ने अपने चिट्ठी में कहा था कि देश में मदरसों को बंद कर दिया जाए, ऐसे इस्लामी स्कूलों में दी जा रही शिक्षा छात्रों को आतंकवाद से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है. चिट्ठी में आरोप लगाया गया है कि मदरसों में दी जा रही शिक्षा आज के माहौल के हिसाब से प्रासंगिक नहीं है और इसलिए वे देश में बेरोजगार युवाओं की संख्या को बढ़ाते हैं.


रिजवी ने कहा कि मदरसों से पास होने वाले छात्रों को रोजगार मिलने की संभावना अभी काफी कम है और उन्हें अच्छी नौकरियां नहीं मिलतीं. ‘‘अधिक से अधिक, उन्हें उर्दू अनुवादकों या टाइपिस्टों की नौकरियां प्राप्त होती हैं.’’ शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने दावा किया कि देश के अधिकतर मदरसे मान्यताप्राप्त नहीं हैं और ऐसे संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने वाले मुस्लिम छात्र बेरोजगारी की ओर बढ़ रहे हैं.