IMD warns of harsh winter: ग्रीष्मकालीन मानसून जो सोमवार को सामान्य से लगभग 8% अधिक बारिश दर्ज करने के बाद 'सामान्य से अधिक' श्रेणी में समाप्त हुआ. अनुमान लगाया जा रहा है कि मानसून अक्टूबर के मध्य तक देश से पूरी तरह से विदा हो जाने की संभावना है और दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीप में लगभग उसी समय (17 अक्टूबर तक) शीतकालीन मानसून शुरू हो जाएगा. आईएमडी ने मंगलवार ने इसको लेकर चेतावनी जारी की है. उनके मुताबिक,  उत्तर भारत विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर और आसपास के मध्य क्षेत्र सहित उत्तर-पश्चिम भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ने की संभावना का भी संकेत दिया, क्योंकि अक्टूबर-नवंबर के दौरान ला नीना की स्थिति बनने की उम्मीद है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सबसे पहले जानते हैं क्या है ला नीना 


ला नीना प्राकृतिक जलवायु परिघटना का हिस्सा है जिसे एल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) कहा जाता है. इसकी दो विपरीत अवस्थाएं हैं, एल नीनो और ला नीना, दोनों ही वैश्विक मौसम को महत्वपूर्ण रूप से बदलते हैं. ला नीना एक जलवायु घटना है जो मध्य और पूर्व-मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह के तापमान के समय-समय पर ठंडा होने से जुड़ी है. हालांकि यह भारतीय उपमहाद्वीप में अच्छी मानसूनी वर्षा से जुड़ा है, लेकिन विभिन्न वैश्विक मॉडलों द्वारा पूर्वानुमानों के बावजूद यह दक्षिण-पश्चिम (ग्रीष्म) मानसून के महीनों के दौरान अनुपस्थित रहा. जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार खूब ठंड होने वाली है. 


ला नीना एक मौसम पैटर्न है
ला नीना एक ऐसा मौसम पैटर्न है, जिसमें इक्वेटोरियल पैसिफिक में समुद्र की सतह का औसत से ज्यादा ठंडे तापमान हो जाता है. इसमें तापमान में काफी कमी और बारिश की उम्मीद बढ़ जाती है. ये पैटर्न आम तौर पर अप्रैल और जून के बीच शुरू होता है. तेज पूर्वी हवाओं ये स्थिति पैदा होती है, जो समुद्र के पानी को पश्चिम की ओर धकेलती है, जिससे समुद्र की सतह ठंडी हो जाती है. ये पैटर्न पूरी दुनिया में मौसम पर असर डाल सकता है.


ला नीना के दौरान, प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी हिस्सों में समुद्र का तापमान सामान्य से कम ठंडा होता है, जिससे वायुमंडलीय दबाव और हवाओं में बदलाव होता है. यह बदलाव मौसम पैटर्न को बदल देता है, जिसकी वजह से कई सारी समस्याएं हो सकती हैं. जैसे:-


1. सूखा और जल संकट


2. भारी बारिश और बाढ़ (कुछ इलाकों में)


3. तापमान में बदलाव


4. तूफान और चक्रवात की कम संख्या


5. कृषि और खाद्य उत्पादन पर प्रभाव


ला नीना का सही अनुमान नवंबर में लगेगा
आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा के मुताबिक अक्टूबर-नवंबर के दौरान ला नीना की स्थिति विकसित होने की 71% संभावना है. जिन वर्षों में ला नीना होता है, देश के उत्तरी भाग, विशेष रूप से उत्तर-पश्चिम भारत और उससे सटे मध्य क्षेत्र में तापमान सामान्य से कम (सामान्य से अधिक ठंडा) होता है. इसलिए, सर्दियों के महीनों में शीत लहर की स्थिति हो सकती है.  हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसकी गंभीरता का पता बाद में ही चलेगा क्योंकि ला नीना की स्थिति अभी भी कमजोर है और मौसम विभाग को यह देखना होगा कि जनवरी या फरवरी में यह कितनी मजबूत होगी.