हरदोई में बच्चे ने होमवर्क से बचने के लिए हिंदू-मुस्लिम कर दिया, चौंका देगा ये मामला
Hardoi News: उत्तर प्रदेश के हरदोई से एक चौंका देने वाली खबर सामने आई है. ये आपको शायद फिल्मी लगे लेकिन समाज के तौर पर आपको झकझोर देगी. आप सोचने पर मजबूर होंगे कि हमारे बच्चों के दिमाग में किस हद तक नफरत भर चुकी है.
Hardoi News: उत्तर प्रदेश के हरदोई से एक चौंका देने वाली खबर सामने आई है. ये आपको शायद फिल्मी लगे लेकिन समाज के तौर पर आपको झकझोर देगी. आप सोचने पर मजबूर होंगे कि हमारे बच्चों के दिमाग में किस हद तक नफरत भर चुकी है. एक बच्चे ने होमवर्क करने से बचने के लिए अपनी झूठी किडनैपिंग की कहानी गढ़ी. ये बच्चा 10 वीं का छात्र है. लेकिन 15 साल के छात्र ने जो बहाना बनाया. अपने अपहरण की जो झूठी कहानी सुनाई. उससे पूरे इलाके में सांप्रदायिक आग लग सकती थी. दंगे भड़क सकते थे. आइये आपको बताते हैं.. क्या था वो बहाना और एक स्कूली बच्चे के दिमाग में ये नफरती प्लान आया कहां से.
15 साल के बच्चे ने होमवर्क ना करने और स्कूल से घर लेट पहुंचने पर डांट से बचने के लिए अपनी किडनैपिंग की जो झूठी कहानी सुनाई. उसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. बच्चे ने दावा किया कि इलाके के हिंदूवादी नेता ने उसे अगवा किया था. हिंदू नेताओं ने उसे मारा-पीटा और जबरदस्ती जय श्रीराम के नारे लगवाए. जय श्रीराम नहीं बोलने पर उसके साथ मारपीट की. उसके हाथ पर ब्लेड से जख्म कर दिये. और फिर उसे सुनसान इलाके में छोड़ दिया गया.
मुस्लिम परिवार के इस बच्चे ने अपनी किडनैपिंग की कहानी को पूरी तरह सांप्रदायिक रंग दे दिया. पुलिस को शिकायत मिली तो पुलिस ने तफ्तीश शुरु की तो माजरा कुछ और ही निकला. जांच में पता चला कि बच्चे ने हिंदू नेताओं के हमले का झूठा आरोप लगाया था. बच्चे ने कहानी को हकीकत दिखाने के लिए खुद अपने हाथ पर ब्लेड से घाव किये थे. बच्चे को किसी हिंदू नेता ने जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर नहीं किया था. सच ये था कि बच्चा खुद ही घर पर डांट से बचने के लिए एक खाली बिल्डिंग में छिप गया था.
पुलिस की जांच में सामने आया कि ये सारी कहानी एक बच्चे के दिमाग की उपज थी. 10वीं में पढ़ने वाले एक छात्र की कल्पना थी. होमवर्क न कर पाने पर बहाना था. झूठ पकड़े जाने के बाद बच्चे ने खुद ही अपनी गलती मान ली. और पुलिस ने भी उसे समझाकर बुझाकर घरवालों के हवाले कर दिया. ये घटना इतनी छोटी नहीं है.. जितनी लगती है. ये घटना सवाल खड़े करती है. आखिर बच्चे के दिमाग में ये नफरती सोच आई कहां से? बच्चे के दिमाग में इस नफरती सोच का जिम्मेदार कौन है?
ये सवाल बच्चे के माता-पिता.. उसके पड़ोसियों और समाज से है. क्योंकि इतनी छोटी उम्र में एक बच्चे के दिमाग में ऐसी नफरती सोच भरने के लिए कहीं न कहीं ये समाज ही जिम्मेदार है. जहां आए दिन दो संप्रदाय आपस में छोटी छोटी बातों पर एक दूसरे से भिड़ जाते हैं. इस मामले से तो ये साफ हो जाता है कि 10वीं क्लास तक पहुंचते-पहुंचते ही आजकल के बच्चों को हिंदू-मुसलमान के बीच की खाई पता चल गई है. 15 साल की उम्र में बच्चे ये समझने लग गए हैं कि अगर कोई मुस्लिम. हिंदू संगठनों पर जबरन जय श्री राम का नारा लगवाने का आरोप लगा दे. तो बड़ा बखेड़ा खड़ा हो सकता है.