हैदराबाद: कोरोना के इलाज (Coronavirus Treatment) को लेकर एक राहत भरी खबर आई है. हैदराबाद के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में कोविड के 40 से ज्यादा मरीजों (Patients) को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (Monoclonal antibodies) का एक डोज दिया गया, जिसने बहुत अच्‍छा असर किया. इतना ही नहीं इन मरीजों का बुखार 24 घंटों में ठीक हो गया. 


डेल्‍टा वेरिएंट के खिलाफ भी है प्रभावी


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अस्पताल के डायरेक्टर डॉ.नागेश्वर रेड्डी ने बताया कि हॉस्पिटल रिसर्च के जरिए यह पता करने की कोशिश कर रहा है कि क्‍या यह उपचार कोरोना के सबसे खतरनाक वेरिएंट डेल्टा (Delta Variant) के खिलाफ भी प्रभावी है. टीवी9 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के अध्ययनों से पता चला है कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की एक डोज वाली दवा कोरोना के ब्रिटिश, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी है. डॉ. रेड्डी कहते हैं, अब तक किसी ने भी हमारे देश में मौजूद डेल्टा वेरियेंट के खिलाफ इस दवा के प्रभाव का का परीक्षण नहीं किया है. अब हम यह काम कर रहे हैं. 40 रोगियों को दिए गए इस डोज से प्रभावी नतीजे मिले हैं. इन मरीजों की दवा देने के एक हफ्ते बाद RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव आई है. 


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क्‍या हैं मोनोक्लोनल एंटीबॉडी


मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, एंटीबॉडी के क्लोन होते हैं जो एक विशिष्ट प्रकार के एंटीजन को टारगेट करते हैं. इन्‍हें प्रयोगशाला में बनाया जाता है. यह SARs-COV-2 वायरस को स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकते हैं और शरीर को उनसे बचाते हैं. मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी के लिए 2 ड्रग Casirivimab और Indevimab दी जाती है. इन्‍हें स्विस कंपनी रॉश ने बनाया है. 


बता दें कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कोरोना पॉजिटिव होने पर उन्‍हें यह थेरेपी दी गई थी.