इंकलाब जिंदाबाद
नारा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नारा था. इस नारे का अर्थ है "क्रांति जीवित रहे" या "क्रांति अमर रहे". इस नारे का प्रयोग सबसे प्रमुखता से भगत सिंह, सुखदेव, और राजगुरु जैसे युवा क्रांतिकारियों ने किया था. उन्होंने इस नारे को ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष और आजादी की भावना को उभारने के लिए इस्तेमाल किया. यह नारा हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया, जो ब्रिटिश राज से स्वतंत्रता प्राप्त करना चाहता था.


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वन्दे मातरम्
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक और अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक नारा था. इसका अर्थ है "मां को प्रणाम" या "मां की वंदना". स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, विभिन्न आंदोलन और प्रदर्शन में "वन्दे मातरम्" का गान किया जाता था. यह नारा भारतीय जनता को एकजुट करता था और उन्हें ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करता था. बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित गीत, जो स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख नारा बना.


जय हिंद
"जय हिंद" नारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक प्रमुख और प्रेरणादायक नारा बना. इसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) की स्थापना के समय अपनाया था. इस नारे का सीधा और सशक्त संदेश "भारत की जय" या "भारत की विजय" है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विभिन्न रैलियों, सभाओं और आंदोलनों में इस नारे का व्यापक रूप से प्रयोग हुआ, जिससे यह भारतीय जनता के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक बन गया. यह नारा हर भारतीय के दिल में देशप्रेम और राष्ट्रीय गर्व की भावना को जीवित रखता है, और हमारे स्वतंत्रता संग्राम की गौरवशाली विरासत का हिस्सा है. 


सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
यह नारा. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक बेहद प्रेरणादायक और जोशीला नारा थां इसका अर्थ है "बलिदान की इच्छा अब हमारे दिल में है". यह नारा रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और अन्य क्रांतिकारियों द्वारा प्रयोग किया गया, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी."सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है" नारा आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण धरोहर है. यह नारा उन वीर स्वतंत्रता सेनानियों के साहस, बलिदान और देशभक्ति को सम्मानित करता है जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया.


स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा
"स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा" यह नारा बाल गंगाधर तिलक ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान दिया था, जो भारतीय जनता के लिए स्वतंत्रता और स्वशासन की अनिवार्यता को प्रकट करता है. तिलक ने इस नारे के माध्यम से स्वराज, अर्थात् स्व-शासन या आत्म-निर्णय के अधिकार को भारतीयों का जन्मसिद्ध अधिकार घोषित किया. यह नारा उस समय के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख ध्येय बन गया और जनता के मन में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक मजबूत और अडिग संकल्प पैदा किया.


भारत छोड़ो
"भारत छोड़ो" नारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नारा था. इस नारे का मुख्य उद्देश्य भारतीय जनता को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए एकजुट करना और एक व्यापक आंदोलन की शुरुआत करना था. यह नारा महात्मा गांधी द्वारा 8 अगस्त 1942 को बंबई (अब मुंबई) में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र में दिया गया था, जिसे भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में जाना जाता है.


ये नारे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की भावना और साहस को प्रकट करते हैं और आज भी लोगों के मन में देशभक्ति की भावना जगाते हैं.