चीन से तनातनी के बीच भारत-भूटान की नजदीकी और बढ़ी, लागू हुआ ये अहम समझौता
चीन की मोतियों की माला रणनीति को काउंटर करने के लिए भारत (INDIA) लगातार एक के बाद एक कदम उठा रहा है.
नई दिल्ली: चीन की मोतियों की माला रणनीति को काउंटर करने के लिए भारत (INDIA) लगातार एक के बाद एक कदम उठा रहा है. म्यांमार को किलो क्लास पनडुब्बी देने की घोषणा के बाद भारत ने अब अपने परंपरागत मित्र राष्ट्र भूटान (BHUTAN) के 5 कृषि उपजों के लिए अपने बाजार में प्रवेश की अनुमति दी है.
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने रखी थी समझौते की आधारशिला
भारत ने जिन कृषि उत्पादों को मंजूरी दी है. उनमें भूटान में उगने वाले अरेका नट, मंडारिन संतरे, सेब, आलू और अदरक शामिल हैं. इस समझौते को अमलीजामा इसी साल फरवरी में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की भूटान यात्रा के दौरान दिया गया था. जिसे अब लागू कर दिया गया है. भूटान में भारत की राजदूत रूचिरा कंबोज ने इस समझौते को भूटान के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता करार दिया है.
भूटान-भारत में दोस्ती का खास रिश्ता
भूटान में भारत के दूतावास ने कहा कि भारत और भूटान में दोस्ती का खास रिश्ता है. जो दोनों देशों के व्यापार और अन्य मसलों में भी झलकता है. दोनों देशों में कृषि एक महत्वपूर्ण सेक्टर है. इस फैसले से दोनों के संबंधों में और मजबूती आएगी. इससे पहले भूटान ने भारत से टमाटर, प्याज और ओकरा के आयात के लिए मंजूरी दी थी. भारत असम के जयगांव में एक प्लांट क्वारंटीन सेंटर भी स्थापित कर रहा है. जिसके बाद भूटान के कृषि उत्पादों के ट्रकों को भारत में प्रवेश के लिए आसानी से क्लीयरेंस सर्टिफिकेट मिल सकेगा.
भूटान का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है भारत
बता दें कि भूटान का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर भारत है. वर्ष 2018 में दोनों देशों में 9227 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था. भारत ने भूटान को खनिज, प्लास्टिक और आर्टिकल का निर्यात किया. वहीं भूटान ने भारत को बिजली, सिलिकॉन, सीमेंट और डोलामाइट समेत कई खनिज निर्यात किए.
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