नई दिल्लीः भारत ने बुधवार (9 सितंबर) को हुई कमांडर स्तर की वार्ता (Commander level talks) के दौरान चीनी सैनिकों (Chinese Troops) को भाले, लठैत ले जाने का मुद्दा उठाया. बता दें कि 7 सितंबर को चीन की सेना ने फिर उकसाने वाला काम किया है. चीन बार-बार भारत के खिलाफ अपने जाल बिछा रहा है. सोमवार (7 सितंबर) को चीन के करीब 50 से 60 सैनिक पूर्वी लद्दाख की रेजांग-ला रिजलाइन के मुखपारी स्थित एक भारतीय चौकी की ओर बढ़ते नजर आए थे.


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चीनी सैनिकों की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है. पूर्वी लद्दाख में चोरी-छिपे आए चीनी सैनिक छड़, भाले, पारंपिक तलवार, रॉड और धारदार हथियारों के साथ दिखाई दिए थे.


दोनों पक्षों की ओर से पहली ब्रिगेड कमांडर्स मीटिंग उस दरमियान हुई जब चीनी सेना (PLA) के सैनिकों ने एक भारतीय फॉरवर्ड पोजिशन (Indian forward positions)  बंद करने का प्रयास किया और 40 साल में पहली बार उनकी ओर से गोलियां बरसाई गईं. बुधवार (9 सितंबर) को हुई कमांडर मीटिंग सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर के 3 बजे तक चली. हालांकि चार घंटे तक चली यह मीटिंग बेनजीता रही. हमारे सहयोगी चैनल WION को एक सरकारी सूत्र ने बताया कि इस मीटिंग के दौरान भारत की ओर से चीनी सेना के आक्रामक रवैया का मुद्दा उठाया गया लेकिन परिणाम कुछ खास नहीं निकला. 


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जानकारी के लिए बता दें कि चीन ने इस घटना को लेकर दावा किया था, 'भारतीय सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चेतावनी के लिए फायरिंग की थी यानी वार्निंग शॉट्स फायर किए थे. इसीलिए उन्हें जवाबी कार्रवाई करने के लिए मजबूरी में ऐसा करना पड़ा.' 


चीन के जवाब में भारतीय सेना ने कहा, "पीएलए के सैनिकों (PLA troops) ने हवा में कुछ राउंड फायरिंग की थी. चीन के उकसाने के बावजूद हमारी सेना के जवानों ने बड़े संयम के साथ जिम्मेदार रवैया अपनाया था.'' चीन जहां जान-बूझकर उकसावे वाली गतिविधियां कर रहा है तो वहीं भारत एलएसी पर तनाव कम करने की कोशिश में लगा हुआ है. सरकार ने साफ शब्‍दों में कहा कि सेना ने किसी भी मौके पर फायरिंग नहीं की. 


बता दें कि चीन की ओर से यह कोई पहली बार नहीं, इससे पहले भी ड्रैगन ऐसी हरकतें कर चुका है. हालांकि भारतीय सेना हमेशा ही चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देती रही है. गौरतलब है कि 15-16 जून की रात को जब भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में चीन के सैनिकों ने अतिक्रमण करने की कोशिश की थी. तब भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया था. भारतीय सेना के जवाब में चीन के 45-50 सैनिक मारे गए थे. भारतीय सेना के 20 जवान देश की सीमा की रक्षा के लिए शहीद हो गए थे.


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