DNA: कतर की जेल से छूटे 8 पूर्व भारतीय नौसैनिक, दुनिया ने देखी भारत की बढ़ती ताकत; आखिर कैसे मान गए अमीर?
India Qatar News in Hindi: कतर की जेल से छूटकर भारत के 7 पूर्व नौसैनिक वापस आ चुके हैं. आखिरकार अड़ियल माने जाने वाले कतर के अमीर ऐसा फैसला करने पर क्यों सहमत हुए. इसे भारतीय कूटनीति की बढ़ती अहमियत का सबूत भी माना जा रहा है.
India Qatar Latest News: देशवासियों के लिए आज का दिन, भारत की शक्ति का अहसास करके, गौरव से भर जाने का दिन है. आज भारत की शक्ति को दुनिया ने देखा. देश की मोदी सरकार ने अपनी कूटनीति के दम पर, नामुमकिन को भी मुमकिन कर दिखाया. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि ये वो लोग कह रहे हैं जिन्हें आज से कुछ महीने पहले किसी दूसरे देश में फांसी की सज़ा सुना दी गई थी.
जासूसी के एक आरोप में कतर ने वहां काम कर रहे 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया गया था और एकतरफा कार्रवाई करते हुए उन्हें फांसी की सज़ा सुना दी गई थी. उस वक्त देश के कुछ लोगों ने पूर्व भारतीय नौसैनिकों को सुनाई गई सज़ा को लेकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार पर कुछ ना करने का आरोप लगाते हुए कटाक्ष किए थे. तब यही कहा जा रहा था कि भारत सरकार वैश्विक कूटनीति में कमजोर है. वो अपनी सेना के पूर्व सैनिकों को नहीं बचा पाई.
शर्म से भरे हैं तथाकथित बुद्धिजीवी
लेकिन अफसोस आज देश के वहीं कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी, डिज़ायनर पत्रकार और मोदी विरोधी मानसिकता से पीड़ित लोग शर्म से भरे हुए हैं, क्योंकि भारत सरकार अपनी कूटनीति के दम पर कतर में फंसे अपने 8 पूर्व नौसैनिकों को रिहा करवा चुकी है. 8 पूर्व नौसैनिकों में से 7 तो आज सुबह भारत लौट आए, जबकि एक जल्दी भारत वापस आ जाएंगे. यहां आने के बाद इन पूर्व नौसैनिकों ने जो कहा है, वो देश के विपक्ष और मोदी विरोधी मानसिकता से ग्रस्त लोगों को बिल्कुल पसंद नहीं आएगा.
कतर से लौटकर भारत आ चुके, इन पूर्व नौसेनिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है. इनकी बातों से भारत सरकार की कूटनीतिक जीत का पता चलता है. जिन 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को कतर से भारत लाया गया है, वो 30 अगस्त 2022 से ही कतर की जेल में बंद थे.
कतर की जेल से रिहा हुए 8 भारतीय
- ये लोग 'अल दहरा ग्लोबल' नाम की एक सिक्योरिटी एजेंसी में काम करते थे.
- ये कंपनी कतर की नौसेना के लिए विशेष Submarine Program से जुड़ी थी.
- कतर ने इस कंपनी को बंद करने का आदेश देकर 75 में से 8 भारतीयों को रोक लिया था. ये सभी भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी थे.
- आरोप ये लगाए जा रहे थे कि Submarine Program से जुड़ी जानकारी इजरायल को भेजी गई थी. लेकिन आधिकारिक रूप से कभी कुछ नहीं कहा गया.
इस मामले में कतर ने एकतरफा कार्रवाई ही की थी. 30 अगस्त 2022 में इन लोगों की गिरफ्तारी की बात को कतर ने 1 महीने तक छिपाए रखा था. सितंबर 2022 में भारत सरकार को ये पता चला कि उसके 8 भारतीय पूर्व नौसैनिक, कतर की जेल में बंद हैं. दरअसल बात हमारे नौसेना से जुड़ी थी, इसीलिए भारत सरकार ने इस मामले पर गंभीरता से काम करना शुरू किया.
- 3 अक्टूबर 2022 को पहली बार इन 8 पूर्व नौसैनिकों को Counselor Accesses दिया गया. हालांकि इस मामले में 29 मार्च 2023 से कतर की कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. 7 सुनवाइयों के बाद 26 अक्टूबर 2023 को मौत की सज़ा सुनाई गई थी. 9 नवंबर 2023 को भारत ने मौत की सज़ा के खिलाफ अपील दायर की थी. 23 नवंबर को कोर्ट ने मौत की सज़ा के खिलाफ भारत की अपील को स्वीकार किया था. 28 दिसंबर को कोर्ट ने मौत की सज़ा टालकर अधिकतम 25 वर्ष की सज़ा देने का फैसला सुनाया था.
कारगर साबित हुई कतर के अमीर से मुलाकात
मौत की सज़ा को कारावास में बदलने के बाद भी, भारत सरकार ने नए सिरे से इस मामले को लेकर अलग-अलग कोर्ट में अपील शुरू की थी. हालांकि भारत के पास 'कतर के अमीर' यानी शासक 'शेख तमीम बिन हमाद अल थानी' एक उम्मीद थे, क्योंकि अल थानी के पास सज़ा माफ करने का अधिकार था. इसी बीच 1 दिसंबर 2023 को दुबई में COP-28 (कॉप-28) की बैठक हुई थी. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर 'शेख तमीम बिन हमाद अल थानी' की मुलाकात हुई थी. माना जा रहा था कि इस मुलाकात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 पूर्व नौसैनिकों के मामले को उनके सामने रखा था.
किसी दूसरे देश में फंसे पूर्व नौसैनिकों की रिहाई प्रधानमंत्री के दखल के बिना संभव नहीं हो सकती थी. अब माना यही जा रहा है कि इस मुलाकात ने ही अपना असर दिखाया है. कहा जा रहा है कि कतर के अमीर के दखल के बाद ही, 11 फरवरी की रात को भारतीय पूर्व नौसैनिकों को कतर की जेल से भारतीय दूतावास भेजा गया. इसके बाद तुरंत ही इनको वापस भारत भेज दिया गया.
कतर के इस कदम को वैश्विक राजनीति में भारत की मजबूत स्थिति का असर भी माना जा रहा है. जानकार मानते हैं कि कतर को भारत के बढ़ते कद का अंदाजा है. शायद इसी वजह से वो भारत से अपने रिश्ते खराब नहीं करना चाहता है.
'मंगल ग्रह से भी अपने नागरिकों को लेकर आएगा भारत'
मोदी कार्यकाल के पिछले 10 वर्षों में ऐसे कई मौके आए हैं, जब विदेश में फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने में मोदी सरकार कामयाब रही है. हालात चाहे जैसे भी रहे हों, वजह चाहे आतंकी घटनाएं हों या फिर युद्ध की स्थिति ही क्यों ना हो, मोदी सरकार ने हर बार अपने नागरिकों को मुहिम चलाकर बचाया है. दूसरे देशों में फंसे भारतीय ही नहीं, जब नरेंद्र मोदी वर्ष 2013 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब केदारनाथ आपदा के समय, अपने राज्य के 153 लोगों को बचाने के लिए चार्टर प्लेन का इंतज़ाम करवाया था. उस वक्त एक मुख्यमंत्री के तौर पर वो अपने राज्य के लोगों की मदद को लेकर गंभीर नजर आए थे. अब जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री है, तो यही काम वो अपने देश के लोगों के लिए कर रहे हैं.
भारत सरकार की वैश्विक कूटनीति भले ही देश के विपक्ष को पसंद ना हो, लेकिन ऐसा कई बार हो चुका है, जब भारत सरकार अपने लोगों को खराब से खराब हालात में भी, भारत वापस लेकर आई है. हम आपको बारी बारी उन ऑपरेशन्स के बारे में बताएंगे, जिनमें विदेश में फंसे भारतीयों को देश वापस लाया गया है.
लेकिन इस मुहिम को लेकर जनता के विश्वास से जुड़ा एक ट्वीट हम आपको दिखाना चाहते हैं. ये ट्वीट देश की पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने किया था. ये हंसी मज़ाक में किया गया एक ट्वीट था जिसमें सुषमा स्वराज ने किसी व्यक्ति को जवाब दिया था कि 'अगर वो मंगल ग्रह पर भी फंसे हैं तो भारतीय दूतावास उनकी वहां पर मदद करेगा'. दरअसल देश की जनता विदेश में फंसे भारतीयों को बचाने में भारत सरकार की गंभीरता से बहुत खुश थी. वो भारतीय दूतावासों और विदेश मंत्रालय की तत्परता से गौरवान्वित थी.
इराक से निकाले थे 46 स्वास्थ्यकर्मी
भारतीय व्यक्ति, विश्व के चाहे किसी भी कोने में हो, अगर वो किसी मुसीबत में है, और वो भारत सरकार से मदद की गुहार लगाता है, तो उसको मदद जरूर मिली है. हम आपको इसके कुछ उदाहरण देते हैं.
वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शपथ को 1 महीना भी नहीं हुआ था, तब ये खबर आई कि भारत के 46 स्वास्थ्यकर्मी इराक में बंधक बना लिए गए हैं. उस वक्त इराक में ISIS आतंकवादियों का राज था.
आपको याद होगा कि वर्ष 2014 में ISIS बड़ी तेजी से इराक और सीरिया में फैलता जा रहा था. उस दौरान ISIS ने इराक और सीरिया में काम कर रहे सैकड़ों विदेशी नागरिकों को बंधक बनाया हुआ था. वो आए दिन किसी ना किसी विदेशी नागरिक को कैमरे के सामने मारकर दुनिया में दहशत फैलाने की कोशिश कर रहा था. विश्व के कई शक्तिशाली देश ISIS से अपने नागरिकों को नहीं बचा पाए थे. लेकिन जुलाई 2014 में भारत ने अपने सभी 46 स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षित निकाल लिया था. उस वक्त मोदी सरकार में विदेश मंत्री के पद पर स्वर्गीय सुषमा स्वराज ही थीं.
इसके बाद वर्ष 2015 में एक बार फिर यमन के गृहयुद्ध में हजारों भारतीय फंस गए थे. यमन में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए मोदी सरकार ने 'Operation राहत' चलाया था. इस ऑपरेशन में यमन से 6 हज़ार 710 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था. इनमें 4 हजार 748 भारतीय नागरिक और 1 हजार 962 विदेशी नागरिक थे. विदेशी नागरिकों में श्रीलंका, बांग्लदेश और पाकिस्तान के नागरिक भी शामिल थे. यानी भारत ने यमन के गृहयुद्ध से ना सिर्फ अपने नागरिकों को बचाया बल्कि, मानवता धर्म निभाते हुए अपने पड़ोसी देशों के नागरिकों को भी बचा लिया था.
पाकिस्तान भी भारत शौर्य के डर से कांपा
वर्ष 2016 में साउथ सूडान में गृहयुद्ध भड़क गया था, सैकड़ों भारतीय इसमें फंस गए. इन्हें बचाने के लिए भारत सरकार ने 'Operation Sankat Mochan' चलाया था . इसके तहत सिर्फ 48 घंटे में 150 भारतीयों को साउथ सूडान से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था.
फरवरी 2019 में हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक आपको याद होगी. इस स्ट्राइक के अगले दिन पाकिस्तान के विमान हमले के इरादे से, भारतीय एयरस्पेस में आ गए थे. इस पर भारतीय वायुसेना ने एक्शन लिया. इस एक्शन में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने पाकिस्तानी वायुसेना के 'एफ-16' लड़ाकू विमान को ध्वस्त कर दिया था. लेकिन इनके विमान की पाकिस्तान में ही क्रैश लैंडिंग हो गई थी.
अभिनंदन पाकिस्तान के कब्जे में थे. उस वक्त पूरे पाकिस्तान में डर का माहौल था, वो इस बात से डरे हुए थे कि अगर अभिनंदन को नहीं छोड़ा गया, तो मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा सैन्य ऑपरेशन शुरू कर सकती है. पाकिस्तानी संसद में भी ये बात कही गई थी. इसी डर की वजह से कब्जे के 48 घंटे के अंदर ही अभिनंदन को पाकिस्तान ने छोड़ दिया था.
वर्ष 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद, वहां काम कर रहे सैकड़ों भारतीय असुरक्षित महसूस कर रहे थे. इन भारतीयों को वापस लाने के लिए भारत सरकार ने Operation Devi Shakti लॉन्च किया था. इस ऑपरेशन में 6 सौ उनहत्तर लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया था, इनमें 448 भारतीय नागरिक थे.
दुनिया ने जानी थी भारतीय तिरंगे की ताकत
इसी तरह से वर्ष 2021 में रशिया ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था. उस वक्त यूक्रेन में करीब 20 हजार भारतीय मौजूद थे. इनमें 18 हजार के करीब तो भारतीय छात्र थे जो मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गए हुए थे. खराब होते हालात के बीच यूक्रेन से विदेशी नागरिकों का निकलना बहुत मुश्किल हो गया था.
लेकिन ऐसे हालात में भी भारत सरकार ने 80 से ज्यादा उड़ानों के जरिए भारतीय लोगों को यूक्रेन से निकाला था. ये सभी उड़ानें यूक्रेन के आसपास के देशों जैसे पोलैंड, हंगरी, रोमानिया और स्लोवाकिया से भी थीं. इन सभी देशों में राहत कैंप भी लगाए गए थे.
यूक्रेन के शहर सूमी से तो भारतीय छात्रों को निकालने के लिए, एक खास कॉरिडोर भी बनाया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत करके ये कॉरिडोर खुलवाया था. उस वक्त रूस की सेना, भारतीय तिरंगा देखकर, बस और गाड़ियों को इस कॉरिडोर से सुरक्षित गुजरने देती थी. यही नहीं यूक्रेन में फंसे पाकिस्तानी छात्रों ने भी भारतीय तिरंगा दिखाकर, इस कॉरिडोर का लाभ उठाया था. पूरी दुनिया ने तब भारत तिरंगे की शक्ति का अहसास किया था.
इस डील पर गलतफहमी में मत रहना
कई रिपोर्ट्स में ये कहा जा रहा है कि कतर ने एक खास वजह से भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को छोड़ा है. कहा ये जा रहा है कि कतर और भारत के बीच करीब साढ़े 6 लाख करोड़ रुपये की LNG यानी Liquid Natural Gas की डील साइन हुई है, जिसमें भारत, कतर से बड़ी मात्रा में LNG खरीदेगा. इसी डील के साइन होने की वजह से कतर ने भारतीय नौसैनिकों को छोड़ दिया गया है. जो लोग ऐसा सोच रहे हैं, उनको हम कुछ बताना चाहते हैं.
भारत और कतर के बीच हुई Lng की डील, कोई नई डील नहीं है. बल्कि ये पुराने समझौते का विस्तार है. भारत और कतर ने वर्ष 1999 में ही 25 वर्ष के लिए LNG खरीद की एक डील साइन की थी. जिसकी डिलिवरी वर्ष 2004 से शुरू हो गई थी. ये डील 2029 तक चलनी थी. अब इस डील का विस्तार करते हुए 20 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है. इसके साथ ही भारत ने Clean Energy की दिशा में बड़े कदम आगे उठाए हैं. भारत सरकार ने इस डील का विस्तार मौजूदा कीमतों से भी कम दाम पर किया है.
अब अमेरिका को भूल जाएं, केवल भारत कहना
तो अगर कोई ये कहता है कि एक डील की वजह से भारतीय नौसैनिकों को छोड़ा गया है तो ये उनकी भूल है. एक वक्त था जब अमेरिका के विषय में हम भारतीय सोचते थे कि दुनिया के किसी कोने में अगर किसी अमेरिकी नागरिक को मदद चाहिए होती है तो अमेरिका पूरा जोर लगाकर उसे बचाता है. ये भी कहा जाता था कि अगर किसी अमेरिकी नागरिक को किसी अन्य देश में कुछ हो जाता है, तो अमेरिकी उस देश के खिलाफ कड़े एक्शन लेता है. आज भारत दुनिया की ऐसी साफ्ट पावर बन गया है, जिसकी शक्ति उसके पड़ोसी ही नहीं, बल्कि दूर बैठे देशों के शासक भी जानते हैं. वो ये जानते हैं कि भारत दुनिया की महाशक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, और उससे संबंध बिगाड़ना ठीक नहीं होगा.