नई दिल्ली: ब्रिक्स (BRICS) देशों के हाल ही में हुए वेबिनार (Webinar) में भारत ने ड्रग तस्करी (Drug Smuggling) के लिए डार्कनेट (Dark Net) तथा आधुनिक तकनीक के दुरुपयोग पर चर्चा की. इस दौरान समुद्री मार्ग से मादक पदार्थ तस्करी की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर भी चर्चा की गई है.


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बताते चलें कि ब्रिक्स देशों में ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका और भारत शामिल हैं. रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स मादक पदार्थ निरोधी कार्यसमूह के चौथे सत्र का आयोजन 12 अगस्त को हुआ था. इसमें भारत का प्रतिनिधत्व मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो के महानिदेशक राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) ने किया था.


केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए बताया कि ब्रिक्स देशों में मादक पदार्थ संबंधी हालात को लेकर विचारों का आदान-प्रदान हुआ है. इसमें मादक पदार्थों की गैरकानूनी तस्करी के अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय चलन, हालात पर विभिन्न घरेलू एवं बाहरी कारकों का प्रभाव आदि विषयों पर भी बात हुई.


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उन्होंने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि चर्चा के दौरान एक समान बात निकलकर सामने आई कि सदस्य देशों के बीच रियल टाइम जानकारी साझा करने की आवश्यकता है और समुद्री मार्गों के जरिए होने वाली मादक पदार्थ तस्करी पर रोक लगाने की जरूरत है. डार्कनेट तथा अन्य आधुनिक तकनीकों का तस्करी में इस्तेमाल बैठक के मुख्य बिंदुओं में से एक था.


बताते चलें कि डार्कनेट गहरे छिपे इंटरनेट प्लेटफॉर्म को कहते हैं जिसका इस्तेमाल मादक पदार्थों की बिक्री, अश्लील सामग्रियों के लेनदेन तथा अन्य अवैध गतिविधियों के लिए किया जाता है. इस तरह इन गतिविधियों में लिप्त लोग कानून लागू करने वाली एजेंसियों की निगरानी से भी बच जाते हैं और इन्हें ट्रेक करना पाना भी मुश्किल होता है.


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