नई दिल्ली/विशाखापत्तनम : अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर बुधवार को भारत के साथ एक नए 10 वर्षीय रक्षा आज रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। समझौते के तहत रक्षा उपकरण एवं प्रौद्योगिकी के संयुक्त विकास एवं उत्पादन का रास्ता साफ हो जाएगा जिससे दोनों देशों के सामरिक संबंधों के नई ऊंचाइयों पर पहुंचने की उम्मीद है।


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कार्टर मंगलवार को अपने तीन दिन के भारत दौरे पर पहुंचे। उन्होंने अपनी यह यात्रा सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विशाखापत्तम स्थित पूर्वी नौसेना कमान के दौरे से शुरू की जिसके संचालन क्षेत्र में महत्वपूर्ण दक्षिण चीन सागर क्षेत्र और मलक्का जलडमरूमध्य का इलाका आता है। रक्षा सूत्रों ने कहा कि वह आज शाम रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ व्यापक वार्ता करेंगे जिसमें भारत-अमेरिका रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (डीटीटीआई) पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।


अमेरिकी रक्षा मंत्री प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मिलेंगे और साथ ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी मुलाकात करेंगे। नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा, ‘कार्टर का भारत दौरा एशिया में अमेरिका के पुनर्संतुलन की नीति पर उनके ध्यान केंद्रित करने के तहत हो रहा है। खासकर विशापत्तनम के उनके दौरे से समुद्री सुरक्षा को लेकर उनकी प्रतिबद्धता और क्षेत्रीय सहयोगियों में पारदर्शिता एवं विश्वास का निर्माण करने वाले एक क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे की जरूरत का पता चलता है।’


अमेरिका एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपनी नौसैन्य परिसंपत्तियों के पुनर्संतुलन में लगा हुआ है और क्षेत्र में अपना सहयोगी बनने के लिए भारत को लुभा रहा है। अमेरिकी नौसेना 2020 तक अपनी नौसैन्य परिसंपत्तियों का 60 फीसदी हिस्सा प्रशांत क्षेत्र में तैनात करना चाहती है। जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान समझौते को लेकर फैसला किया गया था। समझौता समुद्री सुरक्षा, विमानवाहक पोत, जेट इंजन प्रौद्योगिकी सहयोग और संयुक्त प्रशिक्षण जैसे कई मुद्दों पर केंद्रित होगा।


कार्टर के साथ भारत दौरे पर उनकी पत्नी स्टेफानी और एक 13 सदस्यीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल आया है। कार्टर अमेरिकी रक्षा मंत्री के तौर पर पहली बार भारत आए हैं। वह इससे पहले सितंबर 2013 और जुलाई 2012 में उप रक्षा मंत्री के तौर पर भारत आए थे। रक्षा मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार उप रक्षा मंत्री के तौर पर कार्टर भारत-अमेरिका रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (डीटीटीआई) के मुख्य शिल्पकार थे। उन्होंने अन्य बातों के अलावा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, सह विकास, सह निर्माण एवं संयुक्त उपक्रमों की सीमा और स्तर के लिहाज से भारत को अमेरिका के सबसे करीबी सहयोगियों के बराबर देखने की वकालत की थी।