नई दिल्ली: भारतीय सेना ने बुधवार को इंदौर के पास महू में इन्फैंटी स्कूल में अपने पहले स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम को फायर किया. ये फायर दिन और रात दोनों समय किए गए. दोनों ही मिसाइलों ने अपने टार्गेट को क़ामयाबी से तबाह कर दिया. इस फायरिंग को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के अलावा उत्तरी सेना कमांडर ले. जनरल रनवीर सिंह सहित सभी बड़े सैनिक अधिकारियों ने देखा. भारत ने इजराइल से 210 स्पाइक मिसाइलें और उनके 12 लॉन्चर ख़रीदें हैं. स्पाइक चौथी पीढ़ी का एंटी टैंक मिसाइल है. इसे अपने सटीक निशाने के लिए जाना जाता है. कई देश इनका इस्तेमाल करते हैं और ये 95 प्रतिशत निशाने पर रहती हैं.


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भारत ने 2011 में 8000 एंटी टैंक मिसाइल खरीदने का फैसला किया था और स्पाइक ने अपने सारे टेस्ट पास किए थे लेकिन बाद में सरकार ने स्वदेशी एंटी टैंक मिसाइल बनाने का फैसला किया और ये सौदा रुक गया. बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद, भारतीय सेना ने आपातकालीन खरीद के तहत स्पाइक मिसाइलों की सीमित तादाद खरीदने का फैसला किया था. स्पाइक मिसाइल को कंधे पर या स्टैंड पर लगाकर दागा जा सकता है और ये 4 किमी दूर से किसी टैंक या बख्तरबंद गाड़ी को बरबाद कर सकती है. इसमें दिन और रात दोनों समय निशाने को देखने लिए सिस्टम हैं जिससे 24 घंटे ये मिसाइल अचूक निशाना लगा सकती है. 


इस मिसाइल में लगे दो तरह के सीकर (SEEKER) लगे हैं जिसकी वजह से निशाना ज्यादा बेहतर है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे एक बार फ़ायर करने के बाद भी मोड़ा जा सकता है और दूसरे निशाने की तरफ़ भेजा जा सकता है. इसे निशाने तक जाने के लिए तापमान में बहुत ज्यादा फर्क की ज़रूरत नहीं होती है यानि ये खड़े हुए टैंक या गाड़ी को भी निशाना बना सकती है. 


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भारतीय सेना अभी फ्रांस से आयातित मिलान (MILAN) और रूस से आयातित कोंकुर्स (KONKURS) एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों का इस्तेमाल करती है. DRDO ने भी स्वदेशी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल बनाने की दिशा में प्रयास किए हैं. भारत को पाकिस्तान की तरफ़ से बड़े टैंक हमलों का सामना करने के साथ-साथ LOC पर दुश्मन के बंकर उड़ाने तक के लिए ऐसी मिसाइलों की ज़रूरत होती है. इन्हें कंधे, स्टैंड या गाड़ियों पर लगाकर फायर किया जा सकता है.