India China: हिमालय में अब `1962` नहीं दोहरा पाएगा चीन, भारत तैनात करने जा रहा ये खतरनाक शस्त्र; दुस्साहस करने पर बर्बाद हो जाएगा ड्रैगन
Indian Army against China: दुनिया में अपनी दबंगई बढ़ाने के लिए चीन लगातार नए-नए हथियारों का परीक्षण कर रहा है. लेकिन उसकी धौंसपट्टी में आए बिना भारत भी लगातार उसका जवाब ढूंढने में जुटा है. अब भारत ने हिमालय के पहाड़ों में ऐसा खतरनाक शस्त्र तैनात करने का फैसला किया है, जो चीन के होश उड़ा देगा.
Indian Army preparations against China on LAC: चालबाज चीन की बढ़ती फौजी तैयारियों को देखते हुए भारत भी लगातार सतर्क है. वह ड्रैगन से निपटने के लिए लगातार अपनी आर्टिलरी को मजबूत करने में लगा है. इसके लिए भारतीय सेना ने रक्षा मंत्रालय को 307 नई ATAGS हॉवित्जर तोप खरीदने का प्रस्ताव दिया है. हल्के वजन वाली इन देसी तोपों को आसानी से चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिए हिमालय के ऊंचे पहाड़ों पर कहीं भी तैनात किया जा सकता है. इन तोपों की मारक क्षमता इतनी जबरदस्त है कि चीन इनके गोलों की मार सह नहीं पाएगा.
307 स्वदेशी तोप खरीदेगी भारतीय सेना
सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना (Indian Army) ने मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाते हुए 307 एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की खरीद के लिए रक्षा मंत्रालय को प्रस्ताव दिया है. यह प्रस्ताव 1 बिलियन अमेरिकन डॉलर का है. देश में विकसित की जा रही स्वदेशी हॉवित्जर तोपों (Indigenous Artillery Guns) के लिए यह पहला बड़ा ऑर्डर होगा. इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो भारतीय सेना पहाड़ों के युद्ध में और मजबूत हो जाएगी.
50 किमी दूर इलाके को कर सकती है बर्बाद
रक्षा जानकारों के मुताबिक इन स्वदेशी हॉवित्जर तोपों (Indian Army) का निर्माण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारत फोर्ज लिमिटेड और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के साथ मिलकर किया है. इन तोपों की नली 155 मिमी की है और वजन 18 टन है. इन तोपों से फायर करने पर 50 दूर इलाके में दुश्मन के इलाके को पूरी तरह बर्बाद किया जा सकता है. पिछले साल पोखरण फील्ड रेंज में इन तोपों (Indigenous Artillery Guns) का ट्रायल किया गया था और अब अलग-अलग पहाड़ी इलाकों में ट्रायल करके इनकी काबलियत जांची जा रही है.
वर्ष 1987 में चीन को सिखाया था सबक
सेना से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस उन्नत आर्टिलरी गन (Indian Army) सिस्टम का विकास वर्ष 2016 में किया गया था. उसके बाद से इन तोपों को ज्यादा उन्नत बनाने की कोशिश की जा रही है. रक्षा जानकारों के मुताबिक पहाड़ी युद्ध में टैंक, बख्तरबंद गाड़ियां खास काम नहीं आती लेकिन पहाड़ों की ढलानों और चोटियों में छिपी तोपों की मार भीषण होती है. वर्ष 1987 में सिक्किम के नाथू ला में हुई भिड़ंत में भारत ने अपनी तोपों के दम पर ही चीन के 400 से ज्यादा सैनिक मार गिराए थे.
चीन-पाकिस्तान को भारत का संदेश
इन तोपों (Indigenous Artillery Guns) का इस्तेमाल चीन और पाकिस्तान दोनों के खिलाफ किया जा सकता है. देश में ही बनी होने की वजह से इनकी कीमत भी काफी कम पड़ेगी और सेना के इनके कलपुर्जों की दिक्कत भी नहीं होगी. अमेरिका से लिए चिनूक हेलीकॉप्टरों के जरिए इन तोपों को पहाड़ की किसी भी चोटी पर आसानी से इंस्टॉल किया जा सकता है. जिसके बाद ये तोपों दुश्मनों पर कहर ढाने लगती हैं.
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