Indian Military Preparation Against China-Pakistan: भारत ने वर्ष 2020 की गर्मियों में चीन (China) से मिले धोखे के बाद बहुत कुछ सीखा है और उसकी तीनों सेनाएं फुल अलर्टनेस पर बनी हुई हैं. आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे (General Manoj Pandey) ने मंगलवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख सीमा में हुई घटना से हमें कुछ प्रमुख सीख मिली हैं. जिनमें किसी भी परिस्थिति के लिए हर समय हाई लेवल की तैयारियां बनाए रखना और और बुनियादी ढांचे में सुधार करना शामिल है. उन्होंने यह बात दिल्ली में आयोजित एक कॉन्क्लेव में कही.


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'लद्दाख में 2 स्थानों पर अब भी बातचीत जारी'


जब आर्मी चीफ (General Manoj Pandey) से पूछा गया कि पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉटस्प्रिंग में ‘पेट्रोलिंग पॉइंट 15’ से भारतीय और चीनी सैनिकों के पीछे हटने के बाद अब अगला कदम क्या होगा. इस पर जनरल पांडे ने कहा, ‘हमने गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों के पीछे हटने के संदर्भ में प्रगति की है. हमारे पास अभी भी गतिरोध वाले दो बिंदु हैं, जहां हमें प्रगति करने की आवश्यकता है. मुझे यकीन है कि हम इन गतिरोध वाले बिंदुओं को लेकर समाधान निकाल लेंगे.’ जम्मू कश्मीर की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर आर्मी चीफ ने कहा कि वहां पर स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है. 


'हिंद महासागर में चीन लगातार बन रहा चुनौती'


वहीं कॉन्क्लेव में शामिल हुए नेवी चीफ एडमिरल आर. हरि कुमार Admiral Hari Kumar ने कहा कि चीन (China) लगातार एक कठिन चुनौती बना हुआ है, जिसने ना सिर्फ भारत की स्थल सीमा पर बल्कि समुद्री क्षेत्र में भी अपनी मौजूदगी बढ़ाई है ताकि वह हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की मौजूदगी को चुनौती दे सके. उन्होंने कहा कि चीन हिंद महासागर में 2008 से है और उसने जिबूती में एक सैन्य अड्डा भी बना लिया है. साथ ही वह क्षेत्र में श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान समेत अन्य देशों के समुद्र तटों पर भी विभिन्न बंदरगाह विकसित कर रहा है. नौसेना प्रमुख ने कहा कि हम हिंद महासागर क्षेत्र में उनकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं.


'कंगाल पाकिस्तान बढ़ा रहा नेवी की ताकत'


नेवी चीफ ने कहा कि पाकिस्तान (Pakistan) आर्थिक रूप से कंगाल हो चुका है. इसके बावजूद वह लगातार अपनी सेना को मजबूत बनाने में जुटा हुआ है. नेवी चीफ ने कहा कि आर्थिक संकट के बावजूद, पाकिस्तान ने अपना सैन्य आधुनिकीकरण जारी रखा है, खास तौर पर अपनी नौसेना का. वर्ष 2030-2035 तक वह 50 युद्धपोत बनाने की राह पर है.


'संभावित विरोधियों से युद्ध से इनकार नहीं'
  
उन्होंने कहा, 'इन पारंपरिक सैन्य चुनौतियों के कायम रहने के साथ-साथ आतंकवाद एक बड़ा सुरक्षा खतरा बना हुआ है क्योंकि इसका आकार व दायरा बढ़ना जारी है.' एडमिरल कुमार ने कहा कि प्रतिदिन के आधार पर प्रतिस्पर्धा हो रही है, ऐसे में संभावित विरोधियों के साथ युद्ध से कभी इनकार नहीं किया जा सकता.
   
'रूस-यूक्रेन के युद्ध से मिली बड़ी सीख'
  
एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा है कि जहाजों और पनडुब्बियों के उत्पादन से लेकर कलपुर्जों- हथियारों के मामले में भारतीय नौसेना 2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएगी. नेवी चीफ ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष से भारतीय नौसेना को भी बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. जिसमें नई प्रौद्योगिकी, साइबर स्पेस और सभी तरह के गोला-बारूद का उपयोग देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संघर्ष ने किसी भी देश की रक्षा के लिए आत्मनिर्भता की आवश्यकता को जरूरी बना दिया है. 


'वर्ष 2047 तक पूरी तरह स्वदेशी नौसेना'


एडमिरल हरि कुमार ने कहा, ‘2047 तक, हमारे पास एक पूर्ण स्वदेशी नौसेना होगी, चाहे वह जहाज हो, या पनडुब्बी, विमान, मानव रहित प्रणाली, हथियार आदि. हम पूरी तरह से 'आत्मनिर्भर’ नौसेना होंगे. यही हम लक्षित कर रहे हैं.’ यह पूछे जाने पर कि क्या रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण भारतीय नौसेना की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है, उन्होंने कहा, ‘अब तक हम पर कोई कड़ा दबाव नहीं है. हमारे पास हर तरह का पर्याप्त भंडार है. आज विमान या विमान की तैनाती के मामले में कोई कमी नहीं की गई है. हमने अपने देश के उद्योगों से मदद लेने के लिए कदम उठाए हैं.’


(एजेंसी भाषा)


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